ब्रिटन के उच्च न्यायालय ने विजय माल्या की याचिका खारिज़ की

लंडन – भारतीय बैंकों को ९ हजार करोड़ रुपयों के लिए ठगकर ब्रिटन भागे विजय माल्या को लंडन की अदालत ने झटका दिया है। भारत सरकार को प्रत्यर्पण ना करें, यह बिनती माल्या ने लंडन उच्च न्यायालय में दाखिल की हुई याचिका में की थी। पर, लंडन की अदालत ने माल्या की याचिका ठुकराई है। इस वजह से, माल्या का भारत को प्रत्यर्पण करने का मार्ग खुल गया है।

विजय माल्या ने फ़रवरी महीने में, प्रत्यर्पण के विरोध में लंडन हायकोर्ट में याचिका पेश की थी। सोमवार के दिन इस पर अदालत का निर्णय हुआ। लंडन के रॉयल कोर्ट में लॉर्ड जस्टिस स्टीफन इरविन और न्यायाधीश एलिझाबेथ लिंग के द्विसदस्यीय पीठ ने माल्या की अपील ठुकराई। अदालत के इस निर्णय पर, ब्रिटन के सर्वोच्च अदालत में चुनौती देने के लिए माल्या को १४ दिनों की मोहलत दी गयी है। उच्च न्यायालय के निर्णय पर यदि माल्या ने प्राप्त अवधि में सर्वोच्च न्यायालय में अपील नहीं की, तो २८ दिनों में उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू होगी। माल्या के प्रत्यर्पण का निर्णय ब्रिटन की गृहमंत्री प्रिती पटेल के हाथ में रहेगा।

इस निर्णय के बाद माल्या ने सोशल मीडिया पर, ‘क़ानूनी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी’ यह पोस्ट किया है। साथ ही, हमारे विरोध में ९ हज़ार करोड़ रुपये डुबाने का आरोप हो रहा है। पर माल्या दावा कर रहा है कि हम भारतीय बैंकों का इतना देना नहीं लगते, बल्कि हमारे ६,२०० करोड़ रुपए थकित हैं। इसमें से भी २,५०० करोड़ रुपये वसुल किए गए हैं। साथ ही, हमनें कर्ज का भुगतान करने का पहले ही रखा प्रस्ताव भारतीय बैंकों ने ठुकराया है, यह आरोप माल्या ने किया।

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