चीन से सतर्क रहें – निवृत्त लष्करी अधिकारियों द्वारा चेतावनी

बीजिंग – चीन के ‘चेंगडू’ में भारत और चीन संयुक्त लष्करी अभ्यास शुरू होना है| ‘डोकलाम’ के बाद दोनों देशों में लष्करी सहयोग थमा था| लेकिन, यह सहयोग फिर से शुरू होगा, यह ‘चेंगडू’ में होने वाला युद्धाभ्यास दिखा रहा है| लेकिन, चीन अपनी रक्षा के लिए बडी मात्रा में कर रहा खर्चा और इस देश की महत्त्वाकांक्षी नीति ध्यान में रखकर भारत चीन से अधिक सावधानी बरते, यह चेतावनी भारत के पूर्व सेना अधिकारी दे रहे है| चंदीगड में सुरक्षा विषय में शुरू एक परिषद में पूर्व सेना अधिकारीयों ने चीन अपनी रक्षा दलों का नियोजन करके आधुनिकरण और प्रगतीकरण कर रहा है, यह वास्तव सामने रखा है|

‘डोकलाम’ में भारत और चीन की सेना एक दुसरे के सामने खडी थी| २०१७ में १६ जून से २८ अगस्त तक भारत और चीन के सैनिक किसी भी क्षण संघर्ष होने के स्थिति में खडे थे| उस समय चीन ने भारत को १९६२ की जंग में हुए पराभव की याद दिलाई थी| अब भारत को १९६२ से भी अधिक भयंकर और अपमानजनक पराभव का सामना करना होगा, इन शब्दों में चीन भारत को धमका भी रहा था| लेकिन, भारत ने चीन की इन धमकियों की ओर जादा ध्यान नही दिया था| आखिर में राजनीतिक बातचीत सफल होने से ‘डोकलाम’ समस्या का हल निकला था| लेकिन, उसके बाद भी दोनो देशों का लष्करी सहयोग स्थगित हुआ था|

पिछले कुछ महीनों से भारत और चीन दे बीच फिर से लष्करी सहयोग बनता दिखाई दे रहा है| चीन के ‘चेंगडू’ में ११ दिसंबर के दोनो देशों की सेना का संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू हो रहा है और ‘हैंड इन हैंड’ इस नाम से हो रहे इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों के सौ जवान शामिल हो रहे है| आतंकवाद विरोधी कार्रवाई पर इस युद्धाभ्यास में जोर रहेगा| साथ ही यह युद्धाभ्यास दोनों देशों की सेना में समन्वय और सहयोग बढेगा, यह दावा किया जा रहा है| इस युद्धाभ्यास के विषय में समाचार प्राप्त हो रहे है, तभी चंदीगड में सुरक्षा विषय पर आयोजित परिषद में भारत के पूर्व लष्करी अधिकारियों ने चीन से सावधानी बरतने की चेतावनी दी है|

पिछले कुछ वर्षों से चीन अपनी लष्करी क्षमता नियोजन करके बढाने की कोशिष कर रहा है| साथ ही ड्रोन्स विकसित करने के लिए चीन बडा निवेश कर रहा है| इसके अलावा ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ में भी चीनने काफी निवेश किया है| इस क्षेत्र में चीन का निवेश अमरिका के साथ स्पर्धा कर रहा है, ऐसा पूर्व अधिकारियों का कहना है| इतना ही नही, बल्कि भविष्य के युद्ध ड्रोन्स और सायबर क्षेत्र में लढा जायेगा, इसकी जानकारी होने से चीन ने इन क्षेत्रों में अपनी क्षमता काफी मात्रा में बढाई है, इस ओर इन पूर्व अधिकारियों ने ध्यान आकर्षित किया है|

साथ ही चीन ने लष्करी बुनियादी सुविधा विकसित करने पर ध्यान केंद्रीत किया है और इस मोर्चे पर भारत काफी पीछे रहा है, यह परिस्थिति की ओर इन निवृत्त अधिकारियों ने ध्यान केंद्रीत किया है| चीन अपने लष्करी सामर्थ्य में बढोतरी कर रहा है, तभी भारत का लष्कर आंतकवादी और बगावतखोरों पर कार्रवाई करने में व्यस्त है| आधुनिक सुविधा एवं शस्त्र ना होने से इस संघर्ष में जवानों की बलि जा रही है| बुलेट ट्रेन जैसी परियोजनाओं पर काफी खर्चा कर रही भारत सरकार रक्षा दलों की जरूरतों पर भी ध्यान दे, ऐसी कडी चेतावनी भी इन परिषद के दौरान निवृत्त अधिकारियों ने दी है|

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