अमरीका की सहायता से ऑस्ट्रेलिया करेगी ‘हायपरसोनिक क्रूझ मिसाइल‘ का निर्माण

कॅनबेरा/वॉशिंग्टन – चीन के बढ़ते हुए वर्चस्ववादी क़ारनामें तथा धमकियों की पृष्ठभूमि पर, ऑस्ट्रेलिया ने अब अमरीका के साथ जारी सामरिक सहयोग अधिक मज़बूत करने के संकेत दिए हैं। इसके तहत ऑस्ट्रेलिया अब अमरीका की सहायता से ‘हायपरसोनिक क्रूझ मिसाइल’ विकसित करेगी और ऑस्ट्रेलिया का यह कदम ‘गेम चेंजिंग कैपेबिलिटी’ साबित होगा, यह विश्‍वास ऑस्ट्रेलिया के रक्षामंत्री ने व्यक्त किया है। अमरिकी रक्षा विभाग ने भी इससे संबंधित स्वतंत्र निवेदन जारी किया है। यह परियोजना दोनों देशों के सामरिक भागीदारी का अहम चरण है, ऐसा अमरिकी रक्षा विभाग ने कहा है।

अमरीका और ऑस्ट्रेलिया की कुछ महीनें पहले हुई ‘टू प्लस टू’ चर्चा के दौरान, दोनों देशों ने ‘हायपरसोनिक मिसाइल’ समेत ‘मिसाइल डिफेन्स’, ‘इलेक्ट्रॉनिक एवं अंडरसी वॉरफेअर’ एवं अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित सहयोग बढ़ाने पर सहमति दिखाई थी। इसके कुछ ही महीनों बाद, दोनों देशों ने ‘हायपरसोनिक मिसाइल’ की संयुक्त परियोजना का ऐलान करना ग़ौरतलब साबित होता है। इस परियोजना को ‘सदर्न क्रॉस इंटिग्रेटेड फ्लाईट रिसर्च एक्सपरिमेंट’ (सायफायर) नाम दिया गया है। अगले वर्ष तक इस परियोजना से संबंधित परीक्षण शुरू हो सकते हैं, यह जानकारी सूत्रों ने साझा की।

बीते कुछ वर्षों में चीन ने अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए आक्रामक लष्करी नीति अपनाई है। एशिया समेत ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में चीन ने बड़ी मात्रा में लष्करी तैनाती करना शुरू किया है। इस क्षेत्र में अमरीका और मित्रदेशों के प्रभाव को चुनौती देने के लिए चीन ने, विमान वाहक युद्धपोतों के साथ विध्वंसक, पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान एवं प्रगत मिसाइलों का निर्माण एवं तैनाती की प्रक्रिया तेज़ की है। इसके अलावा चीन की, ‘साउथ चायना सी’ के साथ ही हिंद महासागर एवं दक्षिणी पैसिफिक क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश भी जारी रही है।

चीन की ये हरकतें ऑस्ट्रेलिया की चिंता बढ़ानेवाली साबित हुई हैं। लष्करी तैनाती एवं घुसपैठ के साथ ही, चीन की हुकूमत की ऑस्ट्रेलिया में दखलअंदाज़ी बढ़ने की बात भी सामने आयी थी। इसके खिलाफ ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने ठोस भूमिका अपनाकर, धौंस दिखाने की चीन की नीति को खुलेआम चुनौती दी है। बीते वर्ष से ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र’ एवं रक्षा क्षेत्र से संबंधित स्वतंत्र रिपोर्ट जारी करके, उसमें चीन के खतरे का स्पष्ट ज़िक्र किया था। साथ ही, इस खतरें का मुकाबला करने के लिए ऑस्ट्रेलिया रक्षा खर्च में बढ़ोतरी करके, अन्य सहयोगी देशों की सहायता से चीन की हरकतों पर रोक लगाएगी, यह वादा भी किया गया था।

अमरीका के साथ ‘हायरपसोनिक क्रूझ मिसाइल’ विकसित करना भी उसी का हिस्सा बनता है। अगले पाँच वर्षों में यह मिसाइल तैयार करके रक्षा बलों के बेड़े में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है, यह जानकारी सूत्रों ने साझा की। यह मिसाइल ऑस्ट्रेलिया में कार्यरत लड़ाकू ‘एफ/ए-१८एफ सुपर हॉर्नेट’ विमान पर तैनात किया जायेगा, यह भी कहा जा रहा है। इस लड़ाकू विमान के अलावा, ‘पी-८ ए पोसायडन’ गश्‍ती विमान एवं ‘इए१८जी ग्राउलर इलेक्ट्रॉनिक एटैक एअरक्राफ्ट’ पर भी इस मिसाइल की तैनाती संभव होगी, यह दावा किया जा रहा है।

‘ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जारी हरकतों को पुख्ता प्रत्युत्तर देना संभव हों, ऐसी यंत्रणा में निवेश करने से इस क्षेत्र को एवं सहयोगी और साझेदार देशों को भी लाभ होगा। अमरीका के साथ हो रही यह परियोजना यानी ऑस्ट्रेलिया की रक्षा तैयारी का गणित बदलनेवाली घटना साबित होगी’, यह विश्‍वास ऑस्ट्रेलिया की रक्षामत्री लिंडा रेनॉल्डस्‌ ने व्यक्त किया है। विश्‍वभर में अबतक रशिया, चीन और अमरीका ने हायपरसोनिक मिसाइल का निर्माण किया हैं और भारत एवं जापान इस मिसाइल का निर्माण करने की कोशिश में जुटे हैं।

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