भारत समेत अमरीका और ऑस्ट्रेलिया भी ‘क्रा कैनल प्रोजेक्ट’ के लिए उत्सुक – थायलैंड़ के सांसद का दावा

बैंकॉक – चीनी जहाज़ों को साउथ चायना सी से सीधे हिंद महासागर में उतरने का मार्ग उपलब्ध करनेवाले ‘क्रा कैनल प्रोजेक्ट’ में भारत समेत अमरीका और ऑस्ट्रेलिया भी उत्सुक हैं, ऐसा दावा थायलैंड़ के सांसद ने कि है। कुछ दिन पहले ही थायलैंड़ की सरकार ने ‘क्रा कैनल प्रोजेक्ट’ के निर्माण के लिए चीन ने पेश किया हुआ प्रस्ताव ठुकराया था। इस पृष्ठभूमि पर थायलैंड़ के सांसद ने भारत समेत अन्य देशों का ज़िक्र करके यह प्रकल्प सक्रिय करने के संकेत दिए हैं। भारत ने इस पर अभी कुछ भी बयान नहीं किया है।

Kra-canal-projectथायलैंड़ की संसद ने ‘क्रा कैनल प्रोजेक्ट’ की व्यवहार्यता की जाँच करने के लिए समिती नियुक्त की थी। इस समिती के प्रमुख सोंगक्लोद थिप्परत ने ‘क्रा कैनल’ की योजना वास्तव में आगे बढ़ने की संभावना बढ़ने का दावा किया है। भारत, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश इस प्रकल्प के लिए थायलैंड़ की सहायता के लिए तैयार होने की बात कही है। ‘क्रा कैनल प्रोजेक्ट’ के लिए आर्थिक एवं तांत्रिक सहायता प्रदान करने के लिए ३० से अधिक कंपनियों ने रुचि दिखाई है। कई विदेशी दूतावासों ने हमसे संपर्क करके इस प्रकल्प की मौजूदा स्थिति के बारे में पूछताछ की है। कुछ देशों ने सीधे सामंजस्य समझौता करने के लिए भी उत्सुकता दिखाई है, यह जानकारी सोंगक्लोद थिप्परत ने एक साक्षात्कार में साझा की।

दो सप्ताह पहले चीन का ३० अरब डॉलर्स का प्रस्ताव रद करने के बाद उनका यह बयान सामने आया है। ‘क्रा कैनल प्रोजेक्ट’ चीन के लिए सिर्फ आर्थिक ही नहीं बल्कि सामरिक नज़रिए से भी काफ़ी अहम होने की बात स्पष्ट हो रही है। चीन का अधिकांश व्यापार अब भी समुद्री परिवहन पर निर्भर है और इसके लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का हिस्सा होनेवाले ‘मलाक्का की खाड़ी’ मुख्य आधार बना है। इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर इन तीनों की समुद्री सीमा के हिस्से वाला यह समुद्री क्षेत्र हिंद महासागर और पैसिफिक महासागर को जोड़नेवाला अहम मार्ग है।

Kra-canal-projectचीन के लिए अहम साबित हो रहा यह मार्ग रोकने की क्षमता भारत और अमरीका रखती है। भारतीय नौसेना मलाक्का के समुद्री क्षेत्र में चीन की समुद्री यातायात को रोक सकती है। इसका एहसास होने से भारत के खिलाफ़ नीति चलाने में चीन को कठिनाई हो रही है, यह बात भारतीय विश्‍लेषक कह रहे हैं। इसी कारण इस मार्ग के लिए विकल्प के तौर पर चीन ने थायलैंड़ में करीबन ३० अरब डॉलर्स लागत के ‘क्रा कैनल प्रोजेक्ट’ का निर्माण करने का निर्णय किया था। १२० किलोमीटर दूरी के इस कैनल की वजह से चीन के जहाज़ों को मलाक्का की खाड़ी से ७०० मील लंबी दूरी से जाने की जरूरत नहीं होती, ऐसा कहा जा रहा है।

लेकिन, चीन के इरादे नाकाम होने के बाद अब थायलैंड़ ने अन्य देश इस प्रकल्प में शामिल होने के लिए उत्सुक होने के दावे करना ध्यान आकर्षित करनेवाले साबित होते हैं। थायलैंड़ के प्रधानमंत्री प्रयुत चैन ओ चा का इस योजना को कड़ा विरोध है और उन्होंने रेल और महामार्ग के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। वर्ष २०१६ में भी थाई प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल में ‘क्रा कैनल प्रोजेक्ट’ पूरा नहीं हो सकता, यह दावा किया था। उस समय प्रधानमंत्री प्रयुत चैन ओ चा ने थायलैंड़ में मौजूद बागी संगठनों की जारी गतिविधियों का ज़िक्र भी किया था।

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