‘ऑकस’ देशों ने किया परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण संबंधी समझौते का ऐलान – यह समझौता परमाणु अप्रसार विधेयक का उल्लंघन होने का चीन का आरोप

सैन दिएगो/बीजिंग – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बियों के बेड़े के साथ तैयार करने का ऐलान अमरीका और ब्रिटेन ने किया है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनाक और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने सैन डीगो में आयोजित समारोह में इस समझौते का ऐलान किया। लेकिन, अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया इन ‘ऑकस’ देशों का यह समझौता अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार संधि का उल्लंघन है, ऐसा आरोप चीन लगा रहा है। इसी बीच वर्णित समझौते का इस्तेमाल करके पश्चिमी देश (एन्ग्लो-सैक्सॉन विश्व) एशियाई महाद्विप में कभी भी खत्म न हो सके ऐसा संघर्ष शुरू करने की तैयारी में होने की आलोचना रशिया ने की।

लगभग तीन साल पहले ऑस्ट्रेलिया ने फ्रान्स से परमाणु पनडुब्बियां खरीदने की चर्चा शुरू की थी। दोनों देश जल्द ही इस खरीद का समझौता करने की तैयारी में थे। लेकिन, साल 2021 में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा का कारण आगे करके ‘ऑकस’ यानी अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की संगठन गठित करने का ऐलान किया। तथा इस नए सहयोग के तहत ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बियां मुहैया करने का वादा भी बायडेन ने किया था। अमरीका और ब्रिटेन अब ऑस्ट्रेलिया की नौसेना के लिए आठ परमाणु पनडुब्बियां मुहैया कराने के लिए सम्मत हुए थे।

इन पनडुब्बियों के निर्माण के लिए बड़े समय के अलावा बड़े खर्च का है, यह कहकर इन दोनों देशों ने ऑस्ट्रेलिया को अपने बेड़े की पनडुब्बियां भाड़े पर देने का दावा किया था। पिछले साल शुरू हुए रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर यह मुद्दा पीछे छूटने के संकेत भी प्राप्त हुए थे। लेकिन, ऑस्ट्रेलिया ने चीन के बढ़ते खतरे की याद दिलाकर इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए परमाणु पनडुब्बियों की जरुरत होने का अहसास दिलाया था। इसके बाद अमरीका ने परमाणु पनडुब्बी निर्धारित समय पर ऑस्ट्रेलिया को मुहैया की जाएंगीं, ऐसी गवाही दी थी।

सोमवार को अमरीका के सैन डीगो में राष्ट्राध्यक्ष बायडेन, प्रधानमंत्री सुनाक और प्रधानमंत्री अल्बानीज की मौजूदगी में यह समझौता किया गया। कुल 245 अरब डॉलर्स मूल्य के इस समझौते के अनुसार साल 2030 से ऑस्ट्रेलिया इन पनडुब्बियों के बेड़े से लैस होगा, ऐसी जानकारी सामने आ रही है। यह परमाणु ऊर्जा पर आधारित पनडुब्बियां होंगीं परमाणु अस्त्र से सज्जित नहीं, ऐसा कहकर राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने चीन के विरोध से बचने की कोशिश की। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री अल्बानीज्‌‍ ने भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सैन्यकीकरण के खिलाफ इन पनडुब्बियों की ज़रूरत होने का बयान किया।

लेकिन, चीन एवं इंडोनेशिया ने ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी मुहैया कराने के ऐलान पर नाराज़गी जताई। ऑकस देश गलत राह पर चल निकले हैं, ऐसी आलोचना चीन ने की। वहीं, अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का ज़िक्र ‘एन्ग्लो सैक्सन वर्ल्ड’ करके रशियन विदेश मंत्री सर्जेई लैवरोव ने इस समझौते की पारदर्शीता पर सवाल उठाए। ‘ऑकस’ जैसे संगठन के माध्यम से एशिया में नाटो की तरह सैन्य संगठन स्थापित करके यह ‘एन्ग्लो-सैक्सन’ विश्व एशिया में लंबा संघर्ष छेड़ने की तैयारी में लगे होने का गंभीर आरोप लैवरोव ने लगाया है। अमरीका के एजेन्डा के अनुसार यूरोप की संस्कृति जैसे नष्ट हुई वैसा ही एशिया की महान संस्कृति के साथ भी हो, ऐसा हम सोच भी नहीं सकते, ऐसा लैवरोव ने कहा।

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