इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हथियारों की स्पर्धा जारी है – भारतीय नौसेनाप्रमुख की चेतावनी

नई दिल्ली – अमरीका और चीन की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सत्ता की स्पर्धा मैरेथॉन ही तो है और यह इतनी जल्दी खत्म नहीं होगी। लेकिन, इन दो महाशक्तियों की वजह से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हथियारों की स्पर्धा हो रही है, ऐसा कहकर भारत के नौसेनप्रमुख एडमिरल आर.हरि कुमार ने इस पर चिंता जताई। इस स्पर्धा का दाखिला देते हुए नौसेनाप्रमुख ने चीन ने दशक भर में भारतीय नौसेना ने इतनी युद्धपोतें निर्माण की हैं, इस पर ध्यान आकर्षित किया। भविष्य की चुनौतियों पर गौर करके भारतीय रक्षाबलों ने अपनी रचना में बदलाव और आधुनिकीकरण पर ध्यान दिया है, ऐसी जानकारी नौसेनाप्रमुख ने प्रदान की।

‘विवेकानंद इंटरनैशनल फाऊंडेशन’ (वीआईएफ) द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए नौसेनाप्रमुख ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को लेकर किया हुआ बयान ध्यान आकर्षित कर रहा है। ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र भू-राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र है। इस क्षेत्र के बाहरी देश भी इंडो-पैसिफक के लिए अपनी रणनीति बना रहे हैं। इस क्षेत्र में अमरीका और चीन की सत्ता स्पर्धा शुरू हुई है और यह स्पर्दा मैरेथॉन अर्थात लंबी चलेगी, ऐसा दावा नौसेनाप्रमुख आर.हरि कुमार ने किया। महाशक्ति की इस स्पर्धा की वजह से शीतयुद्ध जैसी स्थिति बनी है, ऐसा दावा भी नौसेनाप्रमुख ने किया।

शीतयुद्ध के दौरान अमरीका और मित्रदेश एवं सोवियत रशिया और सहयोगी देशों के गुट एक-दूसरे के आमने-सामने थे। इंडो-पैसिफक क्षेत्र में भी इसी तरह की रचना शुरू होने के संकेत नौसेनाप्रमुख ने इसके ज़रिये दिए। इसकी वजह से इस समुद्री क्षेत्र में बडी मात्रा में हथियारों की स्पर्धा होगी, यह कहकर एडमिरल आर.हरि कुमार ने इस पर चिंता जताई। इस मुद्दे पर उन्होंने चीन का उदाहरण दिया।

पिछले दस सालों में चीन ने अपनी नौसेना में १४८ युद्धपोत दाखिल किए हैं। यह संख्या भारतीय नौसेना के कुल युद्धपोतों जितनी है। इतने पर ही चीन रुका नहीं है बल्कि, और भी चीन अपने नौसेना के बेड़े की बढ़ोतरी कर रहा है, ऐसा भारतीय नौसेनाप्रमुख ने कहा। ऐसी हथियारों की स्पर्धा की वजह से विभिन्न वर्ग के स्रोत से समृद्ध हमारे क्षेत्र की स्थिति पूरी तरह से बदल गयी है, इसका अहसास नौसेनाप्रमुख ने दिलाया। साथ ही मौजूदा समय के संघर्ष में हुए बदलावों पर भी नौसेनाप्रमुख ने ध्यान आकर्षित किया।

यूक्रेन युद्ध के बाद भी यूरोपिय देश रशिया से अब तक ईंधन खरीद रहे हैं। इसका मतलब संघर्ष के बावजूद मौजूदा समय में आप दूसरे देश पर अपनी निर्भरता से पूरी तरह बच नहीं सकते यही है, इस पर नौसेनाप्रमुख ने ध्यान आकर्षित किया। बदलते हुए दौर की चुनौतियों पर गौर करके भारतीय रक्षाबलों ने भविष्य के लिए अपनी पुनर्रचना और आधुनीकीकरण पर ध्यान केंद्रीत किया है, ऐसा नौसेनाप्रमुख ने कहा।

इसी बीच, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हो रही इन गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर अपने ग्रेट निकोबार द्वीपों पर भारत लड़ाकू विमान और अवैक्स विमान तैनात करेगा, ऐसी खबर प्राप्त हुई है। इस क्षेत्र में भारतीय रक्षाबलों की तैनाती आगे के दौर में रणनीतिक नज़रिये से काफी अहम साबित होगी, यह इशारा सामरिक विश्लेषकों ने पहले ही दिया था।

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