चिनी हवाई बल की गतिविधियों पर वायुसेना की बारिक़ी से नज़र – एअर चीफ मार्शल व्ही. आर. चौधरी

नई दिल्ली –  लदाख की एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन की सेनाओं के बीच चर्चा का 16वाँ सत्र रविवार को शुरू हुआ। उससे पहले एलएसी के क़रिबी क्षेत्र से चीन के विमानों ने उड़ान भरी होने की बात सामने आयी है। लेकिन चीन के विमान एलएसी के हवाई क्षेत्र के नज़दीक आने पर, वायुसेना ने तुरन्त प्रत्युत्तर के रूप में आवश्यक कार्रवाई की होने की जानकारी वायुसेनाप्रमुख एअरचीफ मार्शल व्ही. आर. चौधरी ने दी। चिनी हवाई बल के क़ारनामों पर वायुसेना नज़र रखे हुए है, ऐसा वायुसेनाप्रमुख ने आगे कहा।

रविवार को सुबह 9.30 बजे भारत और चीन के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों की चर्चा शुरू हुई। इस चर्चा का विवरण हालाँकि अभी भी सामने नहीं आया है, फिर भी चीन लद्दाख की एलएसी से सटे क्षेत्र से वापसी करें, इस माँग पर भारत अड़िग रहेगा, ऐसा दिख रहा है। वहीं, चीन इस बार भी भारत की इस माँग को अनदेखा करने की हरसंभव कोशिश करेगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। कुछ महीने पहले भारत के तत्कालीन सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने, चीन सीमाविवाद सुलझाने के लिए गंभीर नहीं है, यह बताकर चीन पर अप्रमाणिकता का दोषारोपण किया था। उसी का अनुभव भारत लगातार कर रहा है।

एलएसी को लेकर चर्चा शुरू होने से पहले चीन के हवाई बल के विमान ने लद्दाख की एलएसी से नज़दीकी क्षेत्र के पास से उड़ान भरी होने की ख़बरें आयीं थीं। लेकिन वायुसेना ने तुरंत कार्रवाई करके चीन के विमान को फ़ौरन लौट जाने के लिए मजबूर किया था। अब वायुसेनाप्रमुख ने एक इंटरव्यू में इस बारे में बयान करके, चीन ने ये उक़साऊ हरकतें कीं थीं, इस ख़बर पर मुहर लगाई। चीन के हवाई बल की गतिविधियों पर वायुसेना बारिक़ी से नज़र रखे हुए है। एलएसी के नज़दीकी क्षेत्र से जब भी चीन के विमान अथवा मानवरिहत विमान उड़ान भरते हैं, तब वायुसेना तुरंत उसके विरोध में आवश्यक कार्रवाई करती है, ऐसा एअरचीफ मार्शल चौधरी ने कहा है।

सन 2020 में हुए गलवान के संघर्ष के बाद वायुसेना ने लद्दाख के क्षेत्र में राडार यंत्रणा तैनात की होकर, वायुसेना ने इस क्षेत्र में अपनी क्षमता को भारी मात्रा में बढ़ाया है। वायुसेना की तैनाती में ज़मीन से हवा में मारा करनेवाली यंत्रणा का भी समावेश है। साथ ही, इस क्षेत्र में निरीक्षण हेतु नये पोस्ट्स का निर्माण वायुसेना ने किया है। उसीके साथ, देश का लष्कर और अन्य यंत्रणाओं द्वारा वायुसेना को आवश्यक वह सारी जानकारी की आपूर्ति समय-समय पर की जाती है, ऐसा वायुसेनाप्रमुख ने स्पष्ट किया।

ताइवान के विरोध में चीन के हवाई बल ने ‘ग्रे झोन वॉरफेअर’ का इस्तेमाल शुरू किया है। इसके अनुसार, चीन का हवाई बल ताइवान के क्षेत्र में बार बार घुसपैंठ करके ताइवान की हवाई सुरक्षा को टटोलता है। बार बार घुसपैंठ करके ताइवान को परेशान करना और एक दिन निर्णायक हमला करना, ऐसी योजना चीन ने इस ग्रे झोन वॉरफेअर के द्वारा बनायी होने की बात बताई जाती है। हालाँकि भारत के विरोध में भी चीन ऐसे दाँवपेंचों का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन लद्दाख के क्षेत्र में भारतीय वायुसेना चीन के हवाई बल की तुलना में बहुत ही मज़बूत स्थिति में है। गलवान के संघर्ष के बाद पश्चिमी देशों के तटस्थ विश्लेषकों ने ही यह निष्कर्ष दर्ज़ किया था। उसके बाद चीन ने लद्दाख से सटे तिब्बती क्षेत्र में अपने हवाई बल की क्षमता बढ़ाने के लिए कदम उठाये थे। इसके द्वारा भारत पर दबाव बनाने की एक और कोशिश चीन कर रहा है। लेकिन वायुसेनाप्रमुख ने किये बयान यही संदेश दे रहे हैं कि भारत पर चीन के इस दबावतंत्र का कुछ भी असर नहीं होगा।

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