वायु सेना के लिए जीसैट-७ए का प्रक्षेपण

श्रीहरिकोटा  – देश के वायुसेना का अड्डा, रडार स्टेशन और हवाई हमले की पूर्व सूचना देनेवाले अवैक विमान एक दूसरों से जोड़नेवाले जीसैट-७ए (जीएसएटी-७ए) उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया है। इस्रो ने किए इस लगभग २२५० किलो वजन के इस प्रगत उपग्रह की वजह से भारतीय वायुसेना की क्षमता बड़ी तादाद में बढ़ने वाली है। रक्षादल के उपयोग के लिए प्रक्षेपित होने वाला यह १४वां उपग्रह है। इसके लिए इस्रो ने नौसेना के लिए स्वतंत्र उपग्रह प्रक्षेपित किए थे।

बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में ‘सतीश धवन स्पेस सेंटर’ में जीसैट-७ए प्रक्षेपित किया गया है। ‘इंडियन एंग्री बर्ड’ ऐसा उपनाम होने वाले इस उपग्रह के प्रक्षेपण का देशभर में स्वागत किया जा रहा है। वायुसेना के लिए विकसित किए जानेवाले इस उपग्रह द्वारा वायुसेना के अड्डे तथा रडार स्टेशंस एवं अवैक विमान एक दूसरों से जोड़े जाएंगे और वह समन्वयक कार्य कर सकेंगे। इसकी वजह से ड्रोन्स का उपयोग वायुसेना अधिक प्रभावी तौर पर कर सकता है। गश्ती एवं शत्रु का लक्ष्य भेदने के लिए, आनेवाले समय में ड्रोन्स का उपयोग बढ़ने वाला है और भारत में अति प्रगत ड्रोन्स की खरीदारी की प्रक्रिया शुरू की है। इस पृष्ठभूमि पर वायुसेना की क्षमता प्राप्त होना महत्वपूर्ण है।

वायुसेना प्रमुख बी.एस.धनोआ ने जीसैट-७ए का स्वागत किया है और इसकी वजह से वायुसेना का नेटवर्क एवं संपर्क व्यवस्था अधिक प्रभावी होगी, ऐसा विश्वास व्यक्त किया है। वायुसेना बहुत पहले से इस स्वरूप के स्वतंत्र उपग्रह की मांग करता आ रहा है। दौरान रक्षादल के लिए इस्रो ने प्रक्षेपित किया यह १४वां उपग्रह है। इसके लिए प्रक्षेपित किए गए उपग्रहों का उपयोग गश्ती तथा रक्षा विषयक ब्योरे के लिए किया जा सकता है, ऐसा कहा जा रहा है। सन २०१३ में भारतीय नौसेना के लिए इस्रो ने जीसैट-७ए यह उपग्रह प्रक्षेपित किया था। ‘रुक्मीणी’ नामक यह उपग्रह हिंदी महासागर क्षेत्र में नौसेना को जल्द गति से संपर्क करने के लिए यह अत्यंत उपयुक्त माना जा रहा है।

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