वायुसेना प्रमुख से ‘रफायल’ की खरीदारी का समर्थन

नई दिल्ली: दुनिया में दूसरे किसी भी देश को भारत इतने गंभीर खतरे की आशंका नहीं है। एक रात में शत्रु देशों के उद्देश्य बदल सकते हैं। इसलिए भारत हमेशा युद्धसज्ज रहना आवश्यक है, ऐसा कहकर वायुसेना प्रमुख बी.एस. धनोआ ने फ्रान्स से किए जानेवाले रफायल लड़ाकू विमानों की खरीदारी का समर्थन किया है। भारत के शत्रु स्वस्थ नहीं बैठे हैं, इसकी तरफ ध्यान केंद्रित करके वायुसेना प्रमुख ने एक परिसंवाद में बोलते हुए चीन और पाकिस्तान के वायुसेना ने किए प्रगति का दाखिला लिया है।

वायुसेना, प्रमुख, रफायल, खरीदारी, समर्थन, भारत, युद्धसज्जभारत में फ्रान्ससे रफायल प्रगत लड़ाकू विमानों की खरीदारी का निर्णय लिया है। यह करार भारत में रफायल के निर्माण करनेवाले डैसल्ट कंपनी के साथ नहीं किया है, बल्कि फ्रान्स के सरकार के साथ यह करार किया गया है। इस कारण से पहले भारत ने डैसल्ट कंपनी से १२६ रफायल विमान खरीदारी करने की तैयारी दिखाई थी। पर यह व्यवहार रद्द करके ३६ रफायल विमान खरीदी करने का निर्णय सरकार ने लिया था। यह नया करार विवाद के घेरे में फंसा है और उसपर आरोपों का सत्र शुरू हुआ है। पर बुधवार को नई दिल्ली में हुए एक परिसंवाद में वायुसेना प्रमुख बी.एस.धनोआ ने रफायल के खरीदारी का समर्थन करके वायुसेना को इन विमानों की तत्काल आवश्यकता होने की बात ध्यान में लायी है।

दूसरे किसी भी देश को भारत इतना खतरा नहीं है, ऐसी चेतावनी उस समय वायुसेना प्रमुख ने दी है एवं पाकिस्तान और चीन इन दोनों शत्रु देशों का एक ही समय पर सामना करने का समय अगर आया तो उसके लिए भारतीय वायुसेना को ४२ स्क्वाड्रन इतने बड़े तादाद में लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है। पर फिलहाल वायुसेना के बेड़े में ३१ स्क्वाड्रन लड़ाकू विमान है। यह संख्या आवश्यकता से बहुत ही कम है। इसकी वजह से जल्द से जल्द यह कमी दूर करने की चुनौती देश के सामने हैं। इसलिए सरकार ने ३६ रफायल विमान एवं एस-४०० इस हवाई सुरक्षा यंत्रणा की खरीदारी का निर्णय लिया है, ऐसा खुलासा वायुसेना प्रमुख ने किया है।

भारत को रफायल जैसे अति प्रगति विमानों की आवश्यकता क्या है, ऐसा प्रश्न कई लोगों से किया जा रहा था। पर भारत के शत्रु स्वस्थ नहीं बैठे हैं। चीन और पाकिस्तान अपने वायुसेना की क्षमता प्रतिदिन बढ़ा रहे हैं, इस पर वायुसेना प्रमुख ने ध्यान केंद्रित किया है। पाकिस्तान के वायुसेना के पास होने वाले एफ-१६ लड़ाकू विमानों का आधुनिकीकरण किया गया है और यह विमान फिलहाल चौथी श्रेणी के लड़ाकू विमानों से भी अधिक प्रगत बने हैं तथा पाकिस्तान में जेएफ-१७ विमानों का निर्माण किया है तथा चीन ने पांचवें श्रेणी के अंतर्गत लड़ाकू विमानों का निर्माण किया है, जिसकी तैनाती भी की जा रही है, इसका एहसास वायुसेना प्रमुख ने दिलाया है।

ऐसी परिस्थिति में भारतीय वायुसेना के पास रफायल जैसे बड़े क्षमता होनेवाले बहुउद्देशीय विमान होना आवश्यक हैं। इन विमानों के समावेश की वजह से वायुसेना की क्षमता बढेगी ऐसा दावा वायुसेना प्रमुख धनोआ ने किया है। तथा इससे पहले भी भारत में १९८३ वर्ष में इसी प्रकार के लड़ाकू विमानों की खरीदारी की थी, इसकी याद उन्होंने दिलाई है। ८३ वर्ष में पाकिस्तान ने अमरिका से एफ-१६ विमान की खरीदारी की थी। उसे उत्तर देने के लिए भारत में रशिया से मिग-२१ विमानों के दो स्क्वाड्रन्स की खरीदारी की थी। तथा फ्रान्स से मिराज २००० विमान के दो स्क्वाड्रन्स की खरीदारी की गई थी, इसका दाखिला वायुसेना प्रमुख ने दिया है।

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