पिछले साल चीन के साथ लद्दाख में हुए संघर्ष के बाद, वायुसेना ने युद्धसिद्धता का प्रदर्शन करके अपेक्षित परिणाम साध्य किया – वायुसेनाप्रमुख व्ही. आर. चौधरी

हिंडन – ‘पिछले साल पूर्वीय लद्दाख में हुईं गतिविधियों के बाद वायुसेना ने अपनी युद्धसिद्धता और क्षमता प्रदर्शित की है। वायुसेना की गतिमान और निर्णायक गतिविधियों के अपेक्षित परिणाम सामने आए’, ऐसे गिने-चुने शब्दों में वायुसेनाप्रमुख व्ही. आर. चौधरी ने, पिछले साल चीन के साथ लद्दाख में हुए संघर्ष में वायुसेना ने अदा की हुई भूमिका की जानकारी दी। गलवान के संघर्ष के बाद लद्दाख की एलएसी के हवाई क्षेत्र में वायुसेना ने गश्ती शुरू करके चीन के सामने ज़बरदस्त सामर्थ्य प्रदर्शन किया था। इसका बहुत बड़ा दबाव चीन पर आया था। वायुसेना के ८९वें स्थापना दिन के उपलक्ष्य में एअरचीफ मार्शल व्ही. आर. चौधरी ने, पिछले साल वायुसेना ने किये इस प्रदर्शन की याद करा देकर चीन को संदेश दिया।

व्ही. आर. चौधरीहिंडान स्थित वायुसेना के अड्डे पर संपन्न हुए समारोह में वायुसेनाप्रमुख चौधरी बात कर रहे थे। इस समय रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत और लष्करप्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे तथा नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इस समारोह में वायुसेना के बेड़े में बहुत पहले से समाविष्ट होनेवाले डाकोटा और डॉर्निअर विमानों से लेकर हाल के तेजस और रफायल विमानों का प्रदर्शन कराया गया। आजादी के अमृत महोत्सवी वर्ष के उपलक्ष्य में ७५ विमानों के बेड़े के इस प्रदर्शन की जानकारी जानबूझकर पहले से सार्वजनिक नहीं की गई थी, क्योंकि हम लोगों को चौकाना चाहते थे, ऐसी जानकारी वायुसेना के अधिकारियों ने दी। ८९ वें स्थापना दिन के अवसर पर इस समय वायुसेना की क्षमता का प्रदर्शन कराया गया। चीन फिर एक बार एलएसी पर भारत को परेशान करनेवाली हरकतें कर रहा है, ऐसे में वायुसेना के सामर्थ्यप्रदर्शन की अहमियत बढ़ी है।

पिछले साल लद्दाख की एलएसी पर भारतीय लष्कर का चीन के साथ संघर्ष हुआ था। उसके बाद वायुसेना ने अपने सुखोई ३० एमकेआय, जॅग्वार और मिराज २००० विमान इस क्षेत्र में तैनात किए थे। लद्दाख के क्षेत्र में तथा एलएसी पर के अन्य क्षेत्र में भी भारतीय वायुसेना की नियमित गश्ती शुरू हुई। उस समय वायुसेना ने एलएसी पर वर्चस्व जताया था। इतना ही नहीं बल्कि, इस क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की क्षमता चीन की तुलना में कई गुना अधिक होने का यक़ीन पश्चिमी विश्लेषकों ने दिलाया था।

पिछले साल की इन घटनाओं का हवाला देकर, इसके जरिए वायुसेना ने अपना सामर्थ्य और क्षमता इनका परिचय कराया है, ऐसा वायुसेनाप्रमुख ने इस समय कहा। वहीं, वायुसेना अपनी क्षमता में लगातार वृद्धि कर रही होने का एहसास भी उन्होंने करा दिया। उसी के साथ, वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने सहयोगियों की कुशलता विकसित करने के लिए अधिक समय और प्रयास इनका निवेश करना होगा। इसके द्वारा भविष्य में नेतृत्व का अधिक प्रभावी रूप में निर्माण होगा, ऐसा विश्वास वायुसेनाप्रमुख ने व्यक्त किया। साथ ही, देसी तंत्रज्ञान पर हमारा विश्वास है और उसके अधिक प्रभावी इस्तेमाल के लिए कुशलता और कल्पकता दिखाने के लिए ‘आऊट-ऑफ-द-बॉक्स’ संकल्पनाओं का इस्तेमाल करने की तैयारी हमें करनी चाहिए, ऐसा संदेश वायुसेनाप्रमुख ने अपने सहयोगियों को दिया।

इसके लिए स्वतंत्र दाँवपेंच बनाने की कल्पकता हमें दिखानी चाहिए और इसके लिए नेतृत्व विकसित करने का काम वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी करें, ऐसा आवाहन वायुसेनाप्रमुख चौधरी ने किया है। बता दें, लद्दाख में चीन के साथ हुए संघर्ष के दौर में वेस्टर्न कमांड की ज़िम्मेदारी, उस समय एअर मार्शल होनेवाले व्ही. आर. चौधरी पर ही थी। उनकी वायुसेनाप्रमुख पद पर नियुक्ति करके भारत ने चीन को उचित चेतावनी दी है, ऐसा दावा किया जाता है।

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