चीन के साथ जारी तनाव की पृष्ठभूमि पर सरहदी क्षेत्र की सड़क परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त निधी

नई दिल्ली – गलवान वैली में चीन के साथ हुए संघर्ष के बाद भारत ने सेना को प्रगत रक्षा सामान से सज्जित करने के साथ ही बुनियादी सुविधाओं की ओर खास ध्यान देना शुरू किया है। इसी बीच केंद्र सरकार ने सरहदी क्षेत्र की सड़क परियोजनाओं के लिए प्रदान हो रहे निधी में बढ़ोतरी की है। चीन का विरोध ठुकराकर सीमा पर बुनियादी सुविधाओं का विकास करने के लिए भारत ने जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं। सरकार ने शुरू की हुई परियोजनाएं और अतिरिक्त निधी देने से सीमा क्षेत्र में लष्करी तैनाती एवं रसद पहुँचाने की प्रतिक्रया तेज़ होगी, यह दावा किया जा रहा है।

India-China-Borderकेंद्र सरकार ने सरहदी क्षेत्र में सड़क निर्माण परियोनाओं के लिए प्रदान हो रहा ३४० करोड़ रुपयों का निधी बढ़ाकर ४४० करोड़ रुपये किया है। साथ ही सरहदी क्षेत्र में सड़क की मरम्मत के लिए प्रदान निधी भी बढ़ाया है। वर्तमान आर्थिक वर्ष में यह निधी १२० करोड़ रुपयों से बढ़ाकर २२० करोड़ रुपए किया गया है। इसी आर्थिक वर्ष के दौरान सीमा पर सड़क की मरम्मत करने के लिए दी जा रही राशि में दूसरी बार बढ़ोतरी की गई है। जून महीने में सड़क यातायात और महामार्ग मंत्रालय ने सीमा पर स्थित रास्तों की मरम्मत के लिए किया गया प्रावधान चार गुना बढ़ाकर १२० करोड़ रुपए करने का निर्णय लिया था।

बीते कुछ वर्षों में सरकार ने सरहदी क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं के विकास पर गंभीरता से ध्यान देना शुरू किया है। इसके लिए हो रही कोशिशों के तहत सीमा पर नई सड़कें तैयार की जा रही हैं और पुलों के निर्माण के काम को भी गति दी गई है। जून में परिवहन मंत्रालय ने जम्मू-कश्‍मीर और उत्तराखंड़ में ‘बॉर्डर रोड़ ऑर्गनायज़ेशन’ (बीआरओ) के माध्यम से सीमा पर महामार्ग का विकास करने के लिए वर्ष २०२०-२१ के लिए १,६९१ करोड़ रुपए मंजूर किए गए है। इनमें से जम्मू-कश्‍मीर के सड़क निर्माण के लिए १,३५१ करोड़ रुपए और उत्तराखंड़ के लिए ३४० करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं।

India-China-Borderलद्दाख, सिक्किम और अन्य हिस्सों में महामार्ग के कामों के लिए परिवहन मंत्रालय ने अतिरिक्त ७१ करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। साथ ही सड़क निर्माण के कार्यक्रम के तहत ईशान्य भारत के सड़क निर्माण के लिए मंजूर राशि बढ़ाकर ३९० करोड़ रुपये प्रदान करने का निर्णय हुआ है। इसके साथ असम और अरुणाचल प्रदेश में क्षेत्रिय कार्यालयों को प्रदान हो रहा निधी बढ़ाकर क्रमशः १४० करोड़ रुपयों से १५० करोड़ रुपये और १९० करोड़ रुपयों से बढ़ाकर २०० करोड़ रुपये किया गया है। अरुणाचल प्रदेश के सुबानसिरी, तवांग और पश्‍चिमी कामेंग ज़िलों में रणनीतिक नज़रिए से अहम तीन पुलों का निर्माण किया गया है। चीन की सीमा के करीबी पहाड़ी इलाकों में ६१ ज़गहों पर रास्तों का निर्माण कार्य जारी है।

जम्मू-कश्‍मीर में रणनीतिक नज़रिए से काफी अहम साबित होनेवाले छः पुल यातायात के लिए खुले किए गए हैं। लद्दाख के गलवान नदी पर पुल का निर्माण किया गया है और बीआरओ जम्मू-कश्‍मीर में १७ नए पुलों का निर्माण करेगा। वर्तमान में ‘बीआरओ’ ने सरहदी क्षेत्र में तीन हज़ार किलोमीटर के रास्तों का निर्माण कार्य शुरु किया है। वर्ष २००८ से २०१६ के दौरान ‘बीआरओ’ का बज़ट ३,५०० से ४,५०० करोड़ रुपयों के दौरान था। लेकिन, बीते कुछ वर्षों में यही बज़ट आठ हज़ार करोड़ रुपयों पर जा पहुँचा था। तो वर्ष २०२०-२१ के लिए ‘बीआरओ’ के लिए ११,८०० करोड़ रुपयों का आर्थिक प्रावधान किया गया है।

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