‘ईरान-पाकिस्तान-भारत के बीच का ‘आयपीआय’ गैस पाईपलाईन प्रकल्प पुनरुज्जीवित करें’ : संसदीय समिति की शिफारस

नई दिल्ली, दि. १९: ईरान के विवादग्रस्त परमाणु कार्यक्रम के वजह से अमरीका द्वारा लगाये गए प्रतिबंधों के बाद रोक लगाया गया ईरान-पाकिस्तान-भारत (आयपीआय) गैस पाईपलाईन प्रकल्प पुनरुज्जीवित करें, ऐसी सलाह संसदीय समिति ने केंद्र सरकार को दी है| पिछले साल चर्चा के बाद अमरीका ने ईरान पर के प्रतिबंध हटाये थे| उसके बाद इस प्रकल्प को आगे बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय माहौल अनुकूल बना होकर, देश की ऊर्जासुरक्षा के दृष्टिकोण से यह गैस पाईपलाईन प्रकल्प महत्त्वपूर्ण साबित होगा, ऐसा समिति ने अपने अहवाल में कहा है|

सन २००८ में अमरीका ने ईरान पर लगाये प्रतिबंधों के बाद आंतर्राष्ट्रीय स्थिति के अनुकूल न होने की वजह से इस प्रकल्प की आगे की गति थम-सी गई थी| पिछले आठ साल से इस प्रकल्प का काम थोडा भी नहीं हुआ है| इस प्रकल्प के अंतर्गत २ हज़ार १३५ किलोमीटर की गैस पाईपलाईन डाली गयी थी| इसमें से १ हज़ार १०० किलोमीटर की पाईपलाईन ईरान में, तो बाकी पाईपलाईन पाकिस्तान से होकर भारत में आनेवाली थी|

इस पाईपलाईन द्वारा हर दिन ६ करोड स्टँण्डर्ड क्युबिक मीटर्स इतना गैस ईरान से आनेवाला था और भारत और पाकिस्तान के बीच समान रूप में बँटवारा होनेवाला था| उस समय इस प्रकल्प के लिए लगभग ७ अरब डॉलर्स इतना खर्चा अपेक्षित था|

लेकिन ईरान पर लगे प्रतिबंधों के बाद भारत को इस प्रकल्प का खयाल छोड देना पडा| साथ ही, दूसरे विकल्प के तौर पर भारत ने तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (तापी) गैस पाईपलाईन प्रकल्प पर काम शुरू किया| सन २०१५ में ‘तापी पाईपलाईन कंपनी’ (टीपीसीएल) स्थापित करते हुए इस संदर्भ में सभी देशों के बीच एक समझौता हुआ| इसके अनुसार इस कंपनी के ८५ प्रतिशत अधिकार तुर्कमेनिस्तान के पास रहनेवाले है| तो भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के पास इस कंपनी का करीबन ५ प्रतिशत प्रत्येक हिस्सा होगा| अगले सात सालों में इस प्रकल्प के पाईपलाईन का काम पूरा करने का उद्दिष्ट रखा गया है|

लेकिन ईरान पर के प्रतिबंध हटाने के बाद ‘आयपीआय’ प्रकल्प के लिए परिस्थिति अनुकूल बनी होकर, भारत इस प्रकल्प की योजना को पुनः पुनरुज्जीवित करे, ऐसी सिफ़ारिश इंधन और नैसर्गिक गैस संबंधित विषयों पर की संसद की स्थायी समिति ने की है| भारत अब आधे से अधिक नैसर्गिक ईंधन आयात करता है| भारत की भविष्यकालीन ईंधनसंबंधित ज़रूरतों को देखते हुए, ऊर्जा सुरक्षा के लिए ‘आयपीआय’ प्रकल्प महत्वपूर्ण साबित होता है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.