चीन के प्रचारयुद्ध का शिकार ना बने – रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत

नई दिल्ली – प्रचार युद्ध में चीन ने बड़ी बढ़त पाई है और बड़ी चालाकी से चीन प्रचार युद्ध का इस्तेमाल कर रहा है, इसका शिकार होकर भारत को अपना घात नहीं करना चाहिये, यह संदेश रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने दिया। एक निजी समाचार चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोलते समय जनरल रावत ने चीन ने हाल ही में पारित किया हुआ सीमा संबंधी कानून यानी भारत पर दबाव ड़ालने की कोशिश का हिस्सा होने की ओर ध्यान आकर्षित किया। चीन के कानून का पालन करें, भारत के लिए यह कानून अनिवार्य नहीं हो सकता, यह बात ध्यान में रखते हुए हमें चीन बड़ी प्रसिद्धी दे रहे कानून को नजरअंदाज करना पड़ेगा क्योंकि, यह चीन की दबाव नीति का हिस्सा है, इस बात पर जनरल रावत ने ध्यान आकर्षित किया।

प्रचारयुद्धराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर अपने स्पष्ट विचार बयान करते समय जनरल रावत ने चीन की दबाव नीति का शिकार ना होने का आवाहन किया। यदि, भारत पर इसका दबाव पड़े और चीन प्रचार युद्ध में सफल हो तो इसके बुरे परिणाम होंगे, यह इशारा रावत ने दिया है। कुछ दिन पहले अमरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने अमरिकी सांसद के सामने पेश किए रपट में अरुणाचल प्रदेश के ‘एलएसी’ के करीब चीन गांव बसा रहा है, यह दर्ज़ किया गया था। माध्यमों ने इस खबर को बड़ी अहमियत प्रदान की थी। इसका संज्ञान लेकर भारत भी इस पर प्रतिक्रिया दर्ज़ करने के लिए मज़बूर हुआ। बीते छह दशकों से चीनी सेना के नियंत्रण में इस स्थान पर निर्माण कार्य किया जा रहा है, इस बात पर भारतीय रक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों ने ध्यान आकर्षित किया। इस खबर का संज्ञान लेकर चीन बड़ी चालाकी से चला रहे प्रचार नीति की जनरल रावत ने इस दौरान पोल खोली है।

प्रचारयुद्ध‘एलएसी’ पर भारतीय रक्षा बल ने बड़ी तैयारी की है और चीन की आक्रामक हरकतों को भारत का मुँहतोड़ जवाब मिलेगा, यह गवाही रावत ने इस दौरान दी। लद्दाख के ‘एलएसी’ पर स्थित गलवान में हुई मुठभेड़ के बाद चीन ने अरुणाचल प्रदेश के ‘एलएसी’ पर गांव बसाया है और वहां पर चीनी नागरिकों की तादाद बढ़ाने का भ्रम फैलाया जा रहा है। वास्तव में ऐसा नहीं हुआ है। अरुणाचल प्रदेश के ‘एलएसी’ पर अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र में चीन भारी मात्रा में निर्माण कार्य कर रहा है। वहां पर काम करनेवाले मज़दूरों के लिए घरों का निर्माण हो रहा है। यह गांव इन मज़दूरों के निवास की समस्या का हल निकालने के लिए बसाया जा रहा होगा। लेकिन, इसे भारत के भूभाग में घुसपैठ करके गांव बसाने का रंग चीन द्वारा दिया जा रहा है, इस ओर जनरल रावत ने ध्यान आकर्षित किया।

आज का भारत सुरक्षा की किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार होने का बयान करके वर्ष १९६२ के युद्ध के दौरान ऐसी स्थिति नहीं थी, इस बात का अहसास जनरल रावत ने दिलाया। सन ६२ में चीनी सेना ने घुसपैठ करने के बाद इसके खिलाफ वायुसेना का इस्तेमाल ना करने का निर्णय भूतपूर्व राजनीतिक नेतृत्व ने दिया क्योंकि, ऐसा करने से चीन भी अपनी वायुसेना का इस्तेमाल करेगा और भारत का बड़ा नुकसान होगा, इस चिंता के कारण ऐसा निर्णय लिया गया था। लेकिन, तब रक्षाबलप्रमुख मौजूद होते और राजनीतिक नेतृत्व को उनकी सलाह मिलती तो वायुसेना का इस्तेमाल करके हमला करनेवाली चीनी फौज को तबाह करना मुमकिन हुआ होता। इससे ६२ के युद्ध का चित्र ही बदल जाता। लेकिन, आज भारतीय रक्षाबलों की एकीकृत संरचना का ‘युनिफाईड थिएटर कमांड’ की मौजूदगी है। इससे देश की रक्षा संबंधी क्षमता प्रचंड़ मात्रा में बढ़ी है, यह आत्मविश्‍वास जनरल रावत ने व्यक्त किया।

इसी बीच, पाकिस्तान पुरस्कृत आतंकवाद से उभरे खतरे पर बोलते समय जनरल रावत ने अगले दिनों ने जम्मू-कश्‍मीर की जनता ही आतंकियों को पकड़कर ढ़ेर कर देगी, यह ध्यान आकर्षित करनेवाला बयान किया। आतंकियों को जनता ने ही मार गिराना स्वागतार्ह बात नहीं है। कुछ लोग इस पर निश्चित रूप से मानव अधिकार का मुद्दा उठाएँगे, लेकिन आतंकियों की कार्रवाई से अपनी सुरक्षा के लिए जनता ने ही उन्हें मार दिया तो वह गलत होगा, ऐसा कहा नहीं जा सकता, ऐसा कहकर जनरल रावत ने जम्मू-कश्‍मीर में प्राप्त किए कुछ अनुभव बयान किए।

Leave a Reply

Your email address will not be published.