साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र में चीन की प्रगति से भारत को खतरा – रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत

बंगळुरू – किसी भी चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय रक्षाबलों का एकीकरण कराया जा रहा है, ऐसा रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने स्पष्ट किया। वहीं, ‘साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र में चीन ने की प्रगति से भारत को बहुत बड़ा ख़तरा संभव है। यह खतरा लष्करी चुनौतियों से परे जानेवाला होकर, इस खतरे की चपेट में सामरिक दृष्टि से संवेदनशील होनेवाले राष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स भी आ सकते हैं’, ऐसा रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने जताया है।

साइबर और अंतरिक्षकर्नाटक स्थित वायु सेना के येलाहंका हवाई अड्डे पर सन 1971 के बांग्लादेश युद्ध में प्राप्त की विजय की याद में ‘स्वर्णिम विजयवर्ष’ का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग के हाथों इसका उद्घाटन हुआ। इस समय सुरक्षा बलों की क्षमता और सामर्थ्य बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने दी। इसके अनुसार रक्षा बलों के लिए स्वदेशी बनावट के हथियार और रक्षा सामग्री, क्षमता बढ़ाने के लिए कड़े प्रयास तथा प्रशिक्षण और आवश्यक सप्लाई की यंत्रणा विकसित की जा रही है। सामने आनेवाली किसी भी चुनौतियों का सामना करने के लिए रक्षा बल सुसज्जित रहें, इसके लिए केंद्र सरकार इससे संबंधित फैसले शीघ्रतापूर्वक कर रही है, ऐसा राजनाथ सिंग ने आगे कहा।

इसी बीच, इस कार्यक्रम में बात करते समय रक्षाबलप्रमुख जनरल रावत ने, देश के सामने खड़ी सुरक्षा विषयक चुनौतियों का स्पष्ट शब्दों में एहसास करा दिया। पिछले साल एलएसी पर चीन के लष्कर के भारतविरोधी कारनामे नाकाम करने में भारतीय सेना को सफलता मिली है। पिछले साल गलवान वैली में हुए संघर्ष के बाद भी भारतीय सेना ने चीन के लष्कर को मुँहतोड़ जवाब दिया। लेकिन देश की सुरक्षा को मिलनेवाली चुनौतियों का स्वरूप बहुत ही मुश्किल और पेचींदा है, उसमें कई बातों का समावेश है, ऐसा जनरल रावत ने चेताया।

साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र में चीन ने की प्रगति से भारत को बहुत बड़ा ख़तरा संभव है। ऐसीं पारंपरिक सुरक्षाविषयक चुनौतियों से परे जानेवाले खतरों के बारे में सोचने का समय आया है, ऐसा जनरल रावत ने आगे कहा। ना सुलझा सीमा विवाद, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का बढ़ता जा रहा महत्व कम करना और तीव्र प्रतिस्पर्धा, इन कारणों से चीन भारत के विरोध में गतिविधियाँ कर सकता है, ऐसे संकेत इस समय रक्षाबलप्रमुख में दिए। चीन द्वारा सामरिक दृष्टि से संवेदनशील होनेवालीं बुनियादी सुविधाओं को लक्ष्य किया जा सकता है, इसका एहसास रक्षाबलप्रमुख ने करा दिया। पिछले साल लद्दाख की एलएसी पर तनाव निर्माण होने के बाद, भारत पर होनेवाले साइबर हमलों में भारी मात्रा में वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय यंत्रणाओं ने इस संबंध में चेतावनी दी थी। उस पृष्ठभूमि पर रक्षाबलप्रमुख ने इस मामले में देश को सावधान किया दिख रहा है।

भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने शुरू किया आतंकवादी युद्ध अभी भी खत्म नहीं हुआ है। साथ ही, भारत के विरोध में ज़हरीला अपप्रचार भी पाकिस्तान ने नहीं रोका है, ऐसा बताकर जनरल रावत ने, इसका खतरा भी बढ़ा होने की बात कही है। भारत और पाकिस्तान के बीच अविश्वास की खाई अधिक से अधिक चौड़ी होती चली जा रही होकर, अब यह खाई मिटाना संभव नहीं है, ऐसा जनरल रावत ने कहा है।

सन २०३५ तक चीन को अपनी लश्कर का पूरी तरह आधुनिकीकरण करना है। वहीं, सन २०४९ तक अन्तर्राष्ट्रीय दर्जे के लष्कर का गठन करना यह चीन के सामने ध्येय है, ऐसा इस कार्यक्रम के लिए उपस्थित होनेवाले रक्षा सचिव अजय कुमार ने चेताया। चीन की महत्वाकांक्षाएँ और गतिविधियाँ इनकी दखल भारत गंभीरतापूर्वक ले रहा है यह बात इससे फिर एक बार सामने आई है।

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