माओवादियों के खिलाफ अभियान तेज होगा – माओवादियों की ‘फंडिंग’ को लक्ष्य करने के केंद्रीय गृहमंत्री के निर्देश

नई दिल्ली – रविवार के दिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने माओवादियों की समस्या का सामना कर रहे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बैठक की। इस बैठक में उपस्थित मुख्यमंत्रियों को एवं राज्यों के प्रतिनिधियों को अगले एक वर्ष के दौरान माओवादियों की समस्या मिटाने के लिए प्राथमिकता के साथ काम करने का आवाहन केंद्रीय गृहमंत्री ने किया। माओवादियों के खिलाफ मुहिम तेज करें, माओवादियों के प्रमुख गुटों पर प्रहार करें, ऐसे निर्देश केंद्रीय गृहमंत्री ने इस दौरान दिए। माओवादियों के आर्थिक स्रोतों के खिलाफ केंद्रीय एवं राज्यों की जाँच यंत्रणाओं द्वारा व्यापक कार्रवाई शुरू करने के मुद्दे पर इस बैठक में गहरी चर्चा की गई। साथ ही माओवादियों के प्रभाव क्षेत्र में हो रहे विकास के कार्यों का भी केंद्रीय गृहमंत्री ने जायज़ा लिया।

maoists-fundingमाओवादियों के मुद्दे पर केंद्रीय गृहमंत्री ने आयोजित की हुई इस बैठक के लिए महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, झारखंड़, तेलंगना और बिहार के मुख्यमंत्री उपस्थित थे। इनके अलावा पश्‍चिम बंगाल, छत्तीसगड़, आंध्र प्रदेश और केरल के मुख्यमंत्रियों की अनुपस्थिति में इन राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी प्रतिनिधि के तौर पर इस बैठक में उपस्थित थे। राज्यों में माओवादियों की  गतिविधियाँ एवं उसके खिलाफ मुहिम का जायज़ा लेने के साथ ही माओवादियों के खिलाफ आगे की मुहिम चलाने की रूपरेखा तय करने के लिए इस बैठक का आयोजन किया गया था।

बीते छह-सात वर्षों में माओवादियों का प्रभावक्षेत्र कम हुआ है। माओवादियों के प्रभावक्षेत्र में किए गए विकास की वजह से इस क्षेत्र में माओवादियों का प्रभाव कम होने की बात दिखाई पड़ी है। माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही दुर्गम क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं एवं अन्य विकास कार्यों की पूर्तता करके माओवादियों पर दोहरा प्रहार करने की कोशिश सफल हो रही है। केंद्र सरकार और राज्यों की सामायिक कोशिशों को प्राप्त सफलता का बयान केंद्रीय गृहमंत्री ने इस दौरान किया।

स्वतंत्रता के बाद कई वर्षों तक कुछ क्षेत्रों में विकास का ना होना ही इस असंतोष का मुख्य कारण था। इस वजह से माओवादियों की समस्याएं खत्म करने के लिए माओवादियों की समस्या से जूझने वाले इलाकों में रफतार से विकास करना और विकास के लाभ पहुँचना बड़ा अहम साबित हो रहा है। विकास होने से निर्मम नागरिकों को गुमराह करना संभव नहीं होगा, यह बात माओवादियों ने समझी है। इस वजह से संबंधित क्षेत्र में विकास कार्य तय की हुई गति से जारी रहने चाहियें, इस ओर केंद्रीय गृहमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

इससे माओवादियों के प्रभावक्षेत्र में सैनिकों की तैनाती बढ़ाकर विकास कार्यों को पूरा करने पर जोर दें। सड़कें, पुल, पाठशाला, स्वास्थ्य केंद्रों का इन क्षेत्रों में निर्माण करें, यह निर्देश भी गृह मंत्रालय ने जारी किए हैं। हथियार छोड़कर मुख्य धारा में शामिल होने की मंशा रखनेवाले माओवादियों का स्वागत है। लेकिन, नागरिकों और सैनिकों की निर्मम हत्या करनेवालों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा, यह इशारा भी गृहमंत्री ने इस दौरान दिया। माओवादियों की समस्या के कारण बीते ४० वर्षों से १६ हज़ार से  अधिक लोग जान से गए हैं और अब माओवादियों के खिलाफ जारी मुहिम अंतिम चरण में है। इसलिए इस मुहिम को गति प्रदान करने की और इसे निर्णायक बनाने की ज़रूरत होने का बयान शहा ने किया।

माओवादियों से संबंधित मामलों की जाँच तेज़ी से करना और उनके प्रमुख संगठन और गुटों पर कारवाई शुरू करने के लिए राज्यों की सुरक्षा यंत्रणा का समन्वय बढ़ाना, माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए विशेष दलों का गठन करने जैसे मुद्दों पर इस बैठक में वार्ता हुई। साथ ही ‘ईडी’, ‘एनआयए’ और राज्य पुलिस बलों को एकसाथ माओवादियों के ‘फंडिंग’ के स्रोत पर कार्रवाई करने के मुद्दे पर भी इस दौरान चर्चा हुई। इसके अलावा, माओवादियों के प्रभावक्षेत्र वाले राज्यों के मुख्यमंत्री कम से कम तीन महीने बाद पुलिस महासंचालक और केंद्रीय यंत्रणाओं के साथ बैठक करें, ऐसी सूचना भी गृहमंत्री ने की।

देश में फिलहाल माओवादियों की समस्या ४५ जिलों तक सीमित है। इन जिलों में माओवादियों की हिंसक गतिविधियाँ देखी गई हैं। वर्ष २०१९ में ६१ जिलों में माओवादियों का प्रभाव था, यह बात भी केंद्रीय गृहमंत्री ने रेखांकित की। वर्ष २०१५ से २०२० के दौरान माओवादियों की हिंसा में ३८० सैनिक शहीद हुए थे और हज़ार निर्दोष नागरिक जान से गए थे। इसके अलावा ९०० माओवादी भी मारे गए थे और ४,२०० माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया था, यह बयान प्राप्त आँकड़े कर रहे हैं।

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