केंद्र सरकार जल्द ही नई सहकार नीति लाएगी – केंद्रीय गृह और सहकारमंत्री का ऐलान

नई दिल्ली – देश को पांच ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य सरकार ने तय किया है। पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सरकार क्षेत्र की भूमिका अहम होगी। इसके लिए केंद्र सरकार सहकार क्षेत्र के लिए जल्द ही नई नीति लाएगी, यह अहम ऐलान केंद्रीय गृह और सहकारमंत्री अमित शहा ने किया है। देश के पहले राष्ट्रीय सहकार परिषद का आयोजन दिल्ली में किया गया है। इस परिषद के उद्घाटन के अवसर पर केंद्रीयमंत्री शहा बोल रहे थे।

central-gov-new-cooperation-strategyजुलाई में ही देश के स्वतंत्र सहकार मंत्रालय का गठन किया गया था और देश के पहले केंद्रीय सहकारमंत्री के तौर पर गृहमंत्री अमित शहा को इस नए मंत्रालय का ज़िम्मा दिया गया था। इसका ज़िक्र करते समय स्वतंत्रता के ७५ वें वर्ष में सहकार मंत्रालय का गठन और इसका पहला मंत्री होने का सम्मान प्राप्त होने का हमें गर्व है, ऐसा शहा ने कहा। सहकार क्षेत्र में काफी कुछ करने जैसा है। इस क्षेत्र का देश की प्रगति में काफी बड़ा योगदान रहा है और अगले दिनों में भी देश के विकास में सहकार क्षेत्र अहम भूमिका निभाएगा, ऐसा शहा ने कहा है।

सहकार कोई उधार का विचार नहीं है, बल्कि भारत की मिट्टी में घुला हुआ विचार है। भारतीय जनता के विचारों में सहकार घुला हुआ है। सहकारी संस्थाएं लाभ या घाटे का विचार किए बगैर आम जनता के लिए काम करती हैं। किसी भी विपदा के समय आगे आती हैं क्योंकि, भारतीय संस्कार में ही सहकारों छुपा हुआ है। इसकी वजह से सहकार का अभियान कभी भी अप्रासंगिक साबित नहीं होगा, यह बात भी शहा ने इस दौरान रेखांकित की। अमूल और लिज्जत पापज इस देश के सहकार के दो परिमाण हैं। एक ओर अमूल से लाखों किसान जुड़े हुए हैं और लिज्जत पापड के माध्यम से हज़ारों महिलाओं को रोजगार प्राप्त हुआ है, इस ओर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया।

केंद्र सरकार ने सहकार मंत्रालय का गठन क्यों किया, यह सवाल कुछ लोग पुछ रहे हैं। लेकिन, इससे पहले कभी नहीं था, उतना सहकार अभियान अब प्रस्तुत साबित हो रहा है। देश के विकास में सहकारी संस्थाएं काफी बड़ा योगदान देंगी। देश को पांच ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था बनाने की ओर ले जाने के लिए सहकार क्षेत्र अहम भूमिका निभाएगा। सहकार मंत्रालय का उद्देश्‍य इस क्षेत्र को अधिक मज़बूत बनाने के साथ-साथ सहकारी संस्थाओं को अधिक आधुनिक करने का है। स्पर्धा में बने रहने के लिए सफल सहकारी संस्थाओं का निर्माण करने का उद्देश्‍य रखा गया है, यह बात भी केंद्रीयमंत्री शहा ने स्पष्टरूप से रखी।

देश में खेती से संबंधित सहकारी संस्थाओं की संख्या तकरीबन ६५ हज़ार है। अगले पांच वर्षों के दौरान कृषि क्षेत्र से जुड़ी सहकारी संस्थाओं की संख्या तीन लाख तक जा पहुँचेगी, यह विश्‍वास केंद्रीयमंत्री शहा ने इस दौरान व्यक्त किया। कर एवं सहकारी संस्थाओं से संबंधित अन्य सवाल और मुद्दे एवं इससे जुड़ी चिंता दूर की जाएगी। किसी पर अन्याय नहीं होगा, यह भरोसा भी केंद्रीय गृह और सहकारमंत्री ने इस दौरान व्यक्त किया। इस परिषद के लिए सहकार क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं से संबंधित २,१०० प्रतिनिधि उपस्थित थे। इनके अलावा छह करोड़ लोगों की इस परिषद में ‘ऑनलाईन’ उपस्थिति थी।

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