हॉंगकॉंग का चीन समर्थक प्रशासन पीछे हटने के बावजूद प्रदर्शनकारियों की नाराजगी बरकरार

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरहॉंगकॉंग: हॉंगकॉंग में चीन समर्थक प्रशासन ने तीन महीने पहले पेश किया विवादित प्रत्यर्पण विधेयक आखिरकार पीछे लेने का निर्णय किया है| प्रशासन के प्रमुख कैरी लैम ने जनता की चिंताओं का विचार करके विधेयक विधिमंडळ से पीछे लेने का ऐलान किया| उसी समय लैम ने कुछ अन्य सुधार करने का ऐलान भी किया, फिर भी प्रदर्शनकारियों ने इस पर नकारात्मक प्रतिक्रिया उमडी है| अब काफी देर हुआ है, यह प्रतिक्रिया प्रदर्शनकारियों के नेताओं ने दी है|

हॉंगकॉंग का कारोबार चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत का समर्थक प्रशासन देख रहा है| इस प्रशासन ने जून महीने में विवादित प्रत्यर्पण विधेयक पेश किया था| यह विधेयक यानी हॉंगकॉंग में चीन के विरोध में आवाज उठानेंवालों को चीन के हाथ में सौंपने की साजिश होने का आरोप हॉंगकॉंग की जनता ने किया था| इसके विरोध में तीन महीनों से भी अधिक समय से तीव्र प्रदर्शन शुरू है, फिर भी चीन समर्थक प्रशासन ने विवादित विधेयक रद्द नही किया था|

यह हरकत यानी चीन के हस्तक्षेप में बढोतरी होने का प्रतिक है, यह आरोप हॉंगकॉंग की जनता करने लगी थी| चीन विरोधी भावना और भी मजबूत हो रही है| पिछले तीन महीने में चीन समर्थक प्रशासन ने सभी तरह से दमन शुरू किया है, इसके बावजूद हॉंगकॉंग की जनता ने अपना निर्धार छोडा नही है और यह लडाई आखिर तक शुरू रखने का इशारा दिया था| इन प्रदर्शनकारियों पर लष्करी कार्रवाई करने की धमकी भी चीन ने दी थी|

लेकिन, चीन समर्थक प्रशासन को जनतांत्रिक प्रदर्शनकारियों के सामने झुकना पडा है| प्रशासन के प्रमुख कैरी लैम ने विधेयक पीछे लेने का ऐलान करते समय भी इस पर अमल करने के लिए सही तिथी बताई नही है| इस वजह से विधेयक पूरी तरह से रद्द होने तक चीन के विरोध में प्रदर्शन शुरू ही रहेंगे और हॉंगकॉंग के चीन समर्थक प्रशासन पर दबाव बरकरार रखने के संकेत प्रदर्शनकारियों ने दिए है|

ब्रिटेन ने वर्ष १९९७ में हॉंगकॉंग चीन को सौंप दिया था| तब से हॉंगकॉंग पर चीन का कब्जा है और यह क्षेत्र ‘स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव्ह रिजन’ के तौर पर जाना जा रहा है| हॉंगकॉंग का प्रशासन वर्ष १९९७ में हुए समझौते के अनुसार ‘वन कंट्री, टू सिस्टिम्स’ इस निती पर काम कर रहा है| उससे पहले वर्ष १९८४ में ब्रिटेन और चीन में एक अहम समझौता हुआ था| इस समझौते में हॉंगकॉंग के लिए ‘बेसिक लॉ’ तैयार करके इसके तहेत नागरिकों के बुनियादी अधिकारों का ध्यान रखा जाएगा, यह बात रेखांकित की गई थी|

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