भारत सऊदी और यूएई में त्रिपक्षीय ईंधन सहयोग की शुरुआत

रत्नागिरी के ४४ अरब डॉलर के तेल शुद्धीकरण प्रकल्प मैं अबू धाबी की ईंधन कंपनी शामिल

नई दिल्ली – दुनिया की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी के तौर पर पहचाने जानेवाले सऊदी अरेबिया के एरामको ने रत्नागिरी में ४४ अरब डॉलर के तेल शुद्धीकरण प्रकल्प में ५० फ़ीसदी निवेश करने का निर्णय लिया था। अब इस प्रकल्प में संयुक्त अरब अमीरात की यूएई अबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) भी बड़े निवेश कर रही है। इस संदर्भ में महत्वपूर्ण करार सोमवार को राजधानी में हुआ है। उस समय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और यूएई के विदेश मंत्री उपस्थित थे। भारत के ईंधन सुरक्षा की दृष्टि से यह करार अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत यूएई और सऊदी में त्रिपक्षीय तेल सहयोग की यह शुरुआत मानी जा सकती है।

यूएई

यूएई के विदेश मंत्री शेख ‘अब्दुल्ला बिन झईद बिन सुल्तान अल नहयान भारत के दौरे पर आए हैं। इनके इस दौरे में दोनों देशों में तेल सहयोग अधिक व्यापक करने पर चर्चा हुई है। यूएई ने भारत के साथ ईंधन सहयोग बढ़ाने की दृष्टि से इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे।

मंगलूर में भारत के ‘स्ट्रैटेजिक ऑयल रिजर्व’ के लिए कच्चे तेल का आदान प्रदान करने वाला युएई यह पहला देश था। फरवरी महीने में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएई के दौरे पर गए थे। उस समय अबू धाबी के तेल उत्पादन प्रकल्प के विकास के लिए भारत के ओएनजीसी और यूएई की कंपनी में करार हुआ था। अब यूएई के एडनॉक भारत में बड़ा निवेश करने वाले हैं।

रत्नागिरी में निर्माण होने वाले ४४ अरब डॉलर के तेल शुद्धीकरण और पेट्रोलियम प्रकल्प अब युएई भी शामिल हुआ है। इससे पहले अप्रैल महीने में सऊदी अरेबिया के एराम्को कंपनी ने इस प्रकल्प में ५० फ़ीसदी निवेश करने का निर्णय लिया था।

इस प्रकल्प में अब अबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी यह बड़ी निवेश करने वाली है। अबू धाबी की कंपनी एडनॉक सऊदी के एरामको रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोलियम लिमिटेड (आरआरपीसीएल) तथा आयओसीएल, बीपीसीएल, एचपीसीएल इन भारतीय कंपनियों के दौरान सहयोगी करार हुआ है। भारत सऊदी और यूएई में यह पहला त्रिपक्षीय सहयोग है।

भारत के तेल शुद्धीकरण प्रकल्प में हो रहा यह अबतक का सबसे बडा विदेशी निवेश होने की बात उस समय धर्मेंद्र प्रधान ने कही। यह करार भारत सऊदी और यूएई में भावनात्मक सहयोग का प्रतीक बना है। पिछले ४ वर्षों में यह ३ देश कभी भी इतने पास नहीं आए थे, ऐसा भी उस समय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा है। कच्चे तेल के उत्पादन बढ़ाने के लिए ओपेक देशों ने लिया निर्णय का उन्होंने स्वागत किया है।

रत्नागिरी में निर्माण होनेवाले इस प्रकल्प की क्षमता प्रतिदिन १२ लाख बैरल तेल शुद्धीकरण तक होगी। इस तेल शुद्धीकरण प्रकल्प से अन्य पेट्रोलियम पदार्थ का भी उत्पादन किया जा सकता है। यह रिफाइनरी २०२२ तक कार्यान्वित करने का लक्ष्य सामने रखा गया है।

भारत में बड़ी तादाद में ईंधन तेल आयात करना पड़ता है। इसका बहुत बड़ा बोझ वित्त व्यवस्था पर होता है। तेल उत्पादक देशों में अस्थिरता, ईंधन तेल के दामों में होनेवाले उतार चढ़ाव और ईंधन की बढ़ती मांग ध्यान में लेकर ईंधन प्रदान करना सरल हो, इसके लिए भारत प्रयत्न कर रहा है। इस दृष्टि से भारत ने पिछले कई वर्षों में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अमरिका तथा रशिया से भारत को ईंधन प्रदान करना शुरु हुआ है। तथा भारत का तीसरा सबसे बड़ा ईंधन निर्यातदार देश होने वाले ईरान पर अमेरिका ने प्रतिबंध जारी किए हैं। इससे भी मार्ग निकालने के प्रयत्न शुरू है। दौरान अन्य तेल उत्पादक खाड़ी देशों में होनेवाली अस्थिरता को देखते हुए सऊदी और यूएई के साथ सहयोग अधिक व्यापक करके भारत अपनी ईंधन सुरक्षितता निश्चित करते हुए दिखाई दे रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.