अस्थिसंस्था (भाग-२)

BonPhysiologyपिछले लेख में हमने मानवी शरीर में स्थित अस्थि-कंकाल के बारे में सामान्य जानकारी प्राप्त की| हमारे शरीर की अस्थियॉं मूलत: अस्थिपेशियों से बनी होती है| ये पेशियॉं हड्डियों में कॅल्शियम की आपूर्ति करती है| बोन मॅट्रिक्स (दो पेशियों के बीच की जगह) कॅल्शिअम के संयुगों की बनी होती है| किसी इमारत की दीवार में जैसे दो ईंटों के बीच में सीमेंट भरा होता है, या कॉलम में लोहे और स्टील के आसपास सीमेंट कॉंक्रीट का मिश्रण होता है, वैसे कॅल्शियम का मिश्रण यहाँ  पर जमा होता है| अस्थिपेशी और आसपास का मॅट्रिक्स मिलकर हड्डियों की मोटाई बनती है| शरीर की ज्यादातर हड्डियॉं कम या ज्यादा रूप से खोखली होती है| इस खोखली जगह में अस्थिमज्जा (Bone Marrow) होती है|

यह भी दो प्रकार की होती है– रक्त (लाल) एवं पीत (पीली)| लाल अस्थिमज्जा रक्तपेशी की निर्मिती करती है व पीली स्निग्ध पेशी का निर्माण करती है| (Adipose tissue) हड्डियों की रक्तवाहिनियॉं, चेतापेशी ये सारे अवयव इस खोखले भाग में ही रहते हैं| यह खोखलापन किसी पाईप की तरह आर पार खोखला नहीं होता, बाहरी भाग में कम-ज्यादा मोटाई की भरी हुई हड्डी तो बीचवाले हिस्से में अस्थिमज्जा की खड़ी-आड़ी-टेढ़ी ऐसी रेखाएँ होती है, जिन्हे ट्रॅबॅक्युले (trabeculae) कहते हैं|

इन ट्रॅबॅक्युले की वजह से हड्डियों की ताकत बढ़ती है| जैसे किसी बडी जगह, मानो पुल है, जिसकी ताकत बढ़ाने हेतु कँटीलिव्हर होते हैं; उसी तरह हड्डियों की जोड़ों की तरफ के भाग में बाह्य हड्डी पतली व ट्रॅबॅक्युले कम होती है| जॉंघे, पैर, कलाई, हाथ व हाथों के तलुवे, उँगलियॉं इन अवयवों में हड्डियों की रचना उपरोक्त तरीके की होती है|

हमारे शरीर का भार सहन करनेवाली हड्डियॉं हैं- पीठ की रीढ़ की हड्डियॉं| यह  हड्डियॉं, कमर एवं पैरों की हड्डियॉं इ. इन हड्डियों में पेशियों की रचना उपरोक्त प्रकार से होती है| शरीर की चल व अचल दोनो स्थितियों में हड्डियों, मॉंसपेशियों व अस्थिकंकाल पर अनेक बाहरी मॅकेनिकल फोर्स परिणाम करते है| हम कभी चल या दौड़ रहे हों, खड़े या बैठे हो| अनेक बाह्यशक्तियॉं हमारे शरीर पर कार्य कर रही होती है| इन सभी को हमारी हड्डियॉं योग्य तरह से टक्कर देती रहती है|

इन ट्रॅबॅक्युलर खाली जगहों का एक और फायदा होता है कि इनकी वजह से हड्डियों का वजन कम हो जाता है, वे हलकी हो जाती है| परिणामस्वरुप हमारे शरीर का वजन भी कम वजन का होता है|

अस्थि कंकाल का एक और कार्य होता है कि शरीर के अंदर स्थित नाजुक अवयवों की बाह्य आघातों से रक्षा करना| खोपडी की हड्डियॉं, मस्तिष्क का, छाती का पिंजरा हृदय व फुफ्फुसों का संरक्षण करते हैं| इन हड्डियों का कम केवल रक्षा नही वरन गर्दन, चेहरा इ. के अनेक स्नायू, मांसपेशी खोपडी से जुड़ी होती है| अत: इन्हे, मस्तिष्क व मस्तिष्क की रक्त वाहिनियॉं इन्हें अलग-अलग रखने का कार्य भी खोपडी की हड्डियों का मुख्य कार्य है| छाती का पिंजरा, श्‍वसन क्रिया में भी प्रमुख भूमिका निभाना है, उसका यही मुख्य काम है|

हमने देखा कि हमारी हड्डियॉं अस्थिपेशी एवं कॅल्शियम इन प्रमुख घटकों से बनी होती हैं| उनके भीतर अस्थिमज्जा होती है| प्रत्येक हड्डी पर बाहर से एक आवरण होता है, जिसे पेरिऑस्टियमकहते हैं| यह है हमारे प्रत्येक हड्डी की आंतरिक रचना| अब अगले लेख में देखेंगे कि हड्डियों का विकास कैसे होता है|

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