सीरिया में इस्राइल ने ईरान पर किये हमलों को रशियन राष्ट्राध्यक्ष से मंजूरी मिली – अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषकों का दावा

मॉस्को: इस्राइल अपनी आत्मरक्षा कर रही हो तो रशिया उसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा, ऐसी आशा है, ऐसा विधान इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने हाल ही में किया है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन इनके साथ हुई मुलाकात के बाद इस्राइल के प्रधानमंत्री ने किया यह विधान सूचक माना जा रहा है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने किये इस विधान का मतलब, इस्राइल ने सीरिया में ईरान के अड्डों हमले करने के लिये रशिया से समर्थन प्राप्त किया था, ऐसा विश्लेषकों ने कहा है। गुरुवार को सीरिया में ईरान के अड्डों पर इस्राइल ने हमले करने से पहले रशिया को विश्वास में लिया था, ऐसी जानकारी उजागर हुई है और इसकी वजह से विश्लेषकों के दावों को समर्थन मिल रहा है।

ईरान, किये हमलों, इस्राइल, रशियन राष्ट्राध्यक्ष से मंजूरी, दावा, मॉस्को, सीरियाअमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के साथ परमाणु करार से वापसी की है, उसी दिन इस्राइल के प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू रशिया रवाना हुए। इससे पहले इस्राइली हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बोलते हुए सीरिया में बढ़ते गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर इस्राइल और रशियन सैनिकों में समन्वय बढे, इसके लिए रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के साथ अपनी भेंट अत्यंत महत्वपूर्ण होगी, ऐसा प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने कहा था।

इस्राइल की सुरक्षा को सीरिया से होनेवाला खतरा दूर करने के लिए रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने इस्राइल को सहयोग करने की बात कहकर प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने पुतिन इनके साथ चर्चा में उनका आभार जताया हैं। तथा इस्राइली लष्कर सीरिया में कार्रवाई करते हुए इस्राइली और रशियन लष्कर में समन्वय होगा और रशिया इस कार्रवाई में हस्तक्षेप नहीं करेगा, ऐसी अपेक्षा इस्राइली प्रधानमंत्री ने व्यक्त की है।

उस समय इस्राइली प्रधानमंत्री ने ईरान की तुलना नाज़ी जर्मनी से की है। नाजी जर्मनी ने जिस प्रकार से ज्यू लोगों का संहार किया था। उसी तरह ईरान भी इस्राइल के तबाही के लिए और ६० लाख ज्यू को ढेर करने की धमकियां दे रहा है, इसकी याद प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने दिलाई है।

इस्राइली प्रधानमंत्री के यह विधान सूचक होने का दावा अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक कर रहे हैं। सीरिया में ईरान के जगहों पर हमले करने के लिए इस्राइल ने रशिया से मंजूरी प्राप्त करने की बात विश्लेषकों ने कही है। क्योंकि इस्राइली प्रधानमंत्री के इस मुलाकात के बाद आने वाली कई घंटों में इस्राइल के लड़ाकू विमानों ने सीरिया में ईरान के जगहों पर ६० से अधिक मिसाइल हमले किए हैं। इन हमलों के पहले इस्राइल ने रशिया को विश्वास में लिया था, ऐसी खबरें प्रसिद्ध हुई है।

सीरिया में अस्साद सल्तनत का समर्थन करनेवाले रशिया ने इससे पहले भी इस्राइल ने ईरान पर किये हमलों के बारे में सौम्य भूमिका अपनाई थी, इसपर विश्लेषक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। रशिया सिरियन सल्तनत का समर्थन कर रहा है, इसका अर्थ सीरिया में ईरान के सभी कार्यवाहियां रशिया को मंजूर है, ऐसा नहीं होता। इसकी वजह से राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने सीरिया में ईरान के लष्करी अड्डों पर इस्राइल ने किये हमलों को विरोध नहीं किया है, ऐसा तर्क कई पत्रकारों ने प्रस्तुत किया है।

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