पेंड्युलम क्लॉक के जनक क्रिस्टीन हेंजन्स भाग- १

एक डच परिवार में जन्म लेनेवाले क्रिस्टीन हेंजन्स ने दीवार घड़ी की खोज करने का ध्येय मन में रखा था। क्रिस्टीन के अविरत परिश्रम के फलस्वरूप आज हम सभी को दीवार पर की घड़ी का लाभ उठाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। आज दीवार घड़ियों में भी विविध आकार एवं प्रकार अस्तित्व में आ गए हैं। फिर भी पेंड्युलम क्लॉक का आकर्षण आज भी लोगों में बना हुआ है।

क्रिस्टीन केवल संशोधक ही नहीं थे बल्कि वे एक गणितज्ञ, खगोलशास्त्रज्ञ, फिजिसिस्ट थे तथा इन सभी शाखाओं का गहन ज्ञान उन्हें था। क्रिस्टीन ने शनि इस ग्रह का गहन अध्ययन करके वहाँ के घटकों के अस्तित्व को अपने विवरण में स्पष्ट रुप में प्रस्तुत किया था। क्रिस्टिन की एक बात दाद देने योग्य थी और वह थी संशोधन एवं अध्ययन, ज्ञान आदि को प्रस्तुत करने की उनकी शक्ती। इससे ही ‘संशोधक के पास निडर वृत्ती एवं शौर्य होना अत्यन्त आवश्यक होता है’ इस बात को उन्होंने लोगों में उतार दिया था।

किसी भी प्रकार की पूर्वपीठिका न होने पर यदि किसी नयी चीज़ की संकल्पना लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर उसे सिद्ध करना यह तो काफी जोखिम का काम है। खगोलशास्त्र में अनेक प्रकार के खोजकार्य स्पष्ट करते समय ही क्रिस्टीन ने दीवार घड़ी के क्षेत्र में भी अपना कार्य आरंभ कर दिया था। नौदल के लिए उपयुक्त साबित हो सके, इस प्रकार की दीवार घड़ियों की खोज करने में क्रिस्टीन ने शुरु-शुरु में काफी प्रयास किया।

क्रिस्टीन का सबसे अधिक बहुमूल्य कार्य अर्थात उनके द्वारा संशोधन करके बनायी गयी दीवार घड़ी। इससे संबंधित १६५८ में क्रिस्टीन ने एक पुस्तक भी लिखी थी। उस घड़ी के निर्माण में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण होनेवाली दो बातें हैं, घड़ी की गति को कायम रखनेवाले घड़ी के उपकरण और उसमें होनेवाली लटकन की गति को एकसमान बनाये रखनेवाले उपकरण। इन दोनों में अचूकता लाने के लिए क्रिस्टीन द्वारा किया गया कार्य बहुमूल्य साबित होता है।

इन दो बातों की अचूकता के कारण घड़ी की गति अचूक बनाये रखना सुलभ होने लगा। लटकन के वर्तुलाकार मार्ग पर उसकी हलचल के लिए और दोनों ही दिशाओं में समान समय में घूमने के लिए क्रिस्टिन ने विशेष प्रयास किए; किंबहुना लटकनवाली रचना रहने वाली घड़ी में यही बात महत्त्वपूर्ण साबित हुई और लोगों को वह पसंद भी आयी। लटकन की दोलायमान हलचल और काँटों की अचूक एवं समान समय में हलचल इन बातों की समानता बनाये रखने के लिए क्रिस्टीन को परिश्रम करने पड़े और यही इस संशोधन का कौशल्य साबित हुआ।

इसके साथ ही उस लटकन के वर्तुलाकार घेरे में उसकी हलचल के साथ ही साथ छोटे और बड़े काँटें की हलचल भी एक ही समय में हो इसके लिए भी क्रिस्टिन को लम्बे अरसे तक काम करना पड़ा। इसके पश्‍चात् क्रिस्टीन ने दो लटकनवाली घडी की रचना भी यशस्वी रुप में की। इनमें दो लटकन एक दूसरे से बगैर टकराये एक ही समय पर विरुद्ध दिशा में इनका घूमना काफी महत्त्वपूर्ण था। इसके लिए क्रिस्टीन ने एक पेंचीदा पद्धति का उपयोग किया। इसी पद्धति को आज की आधुनिक घड़ियों में अनुनाद (रिजोन्स) के रुप में उपयोग में लाया जाता है।

क्रिस्टीन के संशोधन में यशस्वी साबित होने के पश्‍चात् लटकनवाली घड़ी की खोज क्रिस्टीन ने नहीं की है, यह इलज़ाम भी उनपर लगाया गया। किसी भी नये कार्य को लोगों के द्वारा पचाये जाने के लिए कुछ समय जरूर लगता है। साथ ही आरंभ में विरोध होने के बावजूद भी लटकनवाली घड़ी के पेटेंट्स क्रिस्टीन को ही प्राप्त हुए। इसके अलावा क्रिस्टीन ने पॉकेट वॉच पर भी संधोधन किया। उम्र के तकाजे के अनुसार थक जाने पर बुरी तरह से बीमार पड़ जाने के कारण १६९५ में क्रिस्टीन ने इस संसार से अंतिम विदा ले ली, लेकिन क्रिस्टीन अपने संशोधन को अजर-अमर बना गए।

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