‘लखनऊ-आग्रा एक्सप्रेस वे’ पर भारतीय वायुसेना का ‘टचडाउन’

लखनऊ: सुखोई, जैग्वार, मिराज और मिग लड़ाकू विमान के साथ बोझिल लष्करी परिवहन करनेवाले ‘सी-१३०जे सुपर हरक्यूलिस’ विमान लखनऊ-आगरा महामार्ग पर उतारकर, वायु सेना ने इस महामार्ग का उपयोग रनवे के तौर पर किया जा सकता है, यह दिखाया है। युद्ध के समय में रनवे तबाह होने पर महामार्ग का उपयोग लड़ाकू विमान कर सकते हैं, यह सिद्ध होने से भारतीय वायुसेना की क्षमता अधिक बढ़ने का दावा सामरिक विश्लेषक कर रहे हैं।

वायुसेना, टचडाउन, सुपर हरक्यूलिस, महामार्ग, रनवे, युद्ध, लखनऊभारतीय वायुसेना लखनऊ-आगरा महामार्ग पर ‘टच डाउन’ का अभ्यास करने की घोषणा बहुत पहले की गई थी। इस युद्धाभ्यास में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान शामिल होंगे, ऐसा भी घोषित किया गया था। उसी तरह इस युद्धाभ्यास पर देश की जनता तथा अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषकों का ध्यान लगा हुआ था। पर सुबह १० बजकर १५ मिनिट मे वायु सेना के ‘सी-१३०जे सुपर हरक्यूलिस’ इस विशाल विमान ने सबसे पहले महामार्ग पर शार्ट लैंडिंग करके सभी को आश्चर्य का झटका दिया है। आनेवाले कुछ ही मिनटों में सुपर हरक्यूलिस से वायु सेना के गरुड़ कमांडो पथक से सशस्त्र सैनिक बाहर निकले और उन्होंने महामार्ग की रनवे दोनों बाजू दोनों तरफ से सुरक्षित किया है।

‘सुपर हरक्यूलिस’ इस रनवे पर उपस्थित होते हुए, वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने टचडाउन शुरू किया। जैग्वार, सुखोई ३० और मिराज-२०००’ इन भारतीय वायुसेना के विमानों ने भी टच डाउन का अभ्यास करने से पहले खतरनाक कसरत प्रस्तुत किए। उसमे सुखोई और मिराज के प६ विमान होने तथा जैग्वार के तीन विमानों ने इस माह मार्ग पर टच डाउन के अभ्यास में शामिल हुए थे। इससे पहले सन २०१५ और २०१६ में वायुसेना के मिराज लड़ाकू विमानने यमुना एक्सप्रेस के महामार्ग का इसी तरह रनवे के तौर पर उपयोग करके दिखाया था। इनमें अब सुखोई, जैग्वार विमान भी शामिल होकर बोझिल लष्करी परिवहन करनेवाले सी-१३०जे सुपर हरक्यूलिस’ को भी इस महा मार्ग पर उतारा गया है।

इस महामार्ग का उपयोग रनवे जैसा हो सकता है, इसे यह बात प्रसिद्ध हुई है और यह बात युद्ध के समय में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा सकती है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है। क्योंकि युद्ध के समय लड़ाकू विमान के लिए रनवे सुरक्षित रह सकते हैं, इसका यकीन नहीं दिया जा सकता। युद्ध में शत्रुपक्ष से हवाई अड्डे तथा रनवे को ही सबसे अधिक लक्ष्य किया जाता है। ऐसी परिस्थिति में उड़ान करने वाले लड़ाकू विमानों को सुरक्षित लैंडिंग करने के लिए महामार्ग का उपयोग हुआ, तो उसका बहुत बड़ा लाभ वायुसेना को मिल सकता है। इसकी वजह से वायु सेना की क्षमता अधिक बढ़ेगी ऐसा दावा विशेषज्ञों से किया जा रहा है।

भारतीय वायुसेना के लिए लगभग ५३ रनवे उपलब्ध है। साथ ही १२ महामार्ग का रनवे के तौर पर उपयोग हुआ, तो यह अधिक फायदे की बात होगी। इसीलिए पिछले वर्ष से ऐसे रनवे का उपयोग होने वाले महामार्ग का परीक्षण करने का निर्णय वायुसेना ने लिया था।

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