पश्चिमी देशों की तरह इस्रायल यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति नहीं कर सकेगा – इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू

जेरूसलम – ‘पश्चिमी देशों की तरह यूक्रेन को अरबों डॉलर की सैन्य सहायता प्रदान करना इस्रायल के लिए कठिन हैं। क्यों कि, इस्रायल ने यूक्रेन को हथियार प्रदान किए तो आने वाले समय में इनका इस्तेमाल इस्रायल के विरोध में ही हो सकता है। वजह यही है कि, यह हथियार ईरान के हाथ लग सकते हैं। इसके अलावा इस्रायल ने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की तो सीरिया में स्थित ईरान के ठिकानों पर हमले करते समय इस्रायल को वहां अपने सैन्य अड्डे रखने वाली रशिया से सहयोग प्राप्त नहीं होगा। इस कारण से सीरिया में इस्रायल की कार्रवाई सीमित हो जाएगी, इस पर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। 

नाटो के सदस्य देशों के साथ ही ‘नाटोप्लस’ के मित्र देश भी यूक्रेन को हथियार मुहैया करें, ऐसा आवाहन अमरीका कर रही हैं। जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया इन देशों ने पहले ही अपने बेड़े के वाहन, यंत्रणा यूक्रेन के लिए भेजे हैं। उन्नत हवाई सुरक्षा यंत्रणा का निर्माण कर रहा इस्रायल भी यूक्रेन को रशिया विरोधी युद्ध में सहायता प्रदान करें, इसके लिए अमरीका इस्रायल पर दबाव बना रही हैं। इस्रायल ने यूक्रेन को गुप्त सैन्य सहायता मुहैया करने की खबरें पहले भी प्रसिद्ध हुई थी। लेकिन, यूक्रेन को हथियार प्रदान करना मुमकिन ना होने की बात इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने साक्षात्कार के दौरान स्पष्ट की।

पश्चिमी देशों की तरह इस्रायल यूक्रेन को अरबों डॉलर की सैन्य सहायता प्रदान नहीं कर सकता, ऐसा नेत्यान्याहू ने कहा। क्यों कि, सीरिया में रशिया के सैन्य अड्डे हैं। सीरिया में स्थित ईरान के हथियारों के भंड़ार और ठिकानों पर हमले करते समय इस्रायल के लड़ाकू विमानों को रशिया की सहायता प्राप्त होती है। इस्रायल ने यदि यूक्रेन को सैन्य सहायता प्रदान की तो रशिया से प्राप्त हो रहा सहयोग रोका जाएगा। इस वजह से सीरिया में शुरू इस्रायल की ईरान विरोधी कार्रवाई सीमित हो जाएगी, इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने ध्यान आकर्षित की। 

रशिया और ईरान के बीच अन्य मोर्चों पर सहयोग जारी है, फिर भी सीरिया में ईरान हस्तक्षेप ना करें, यह मांग रशिया कर रही हैं। इसी कारण से सीरिया में स्थित ईरान के हथियारों के भंड़ार और अड्डों पर इस्रायल के जारी हमलों का रशिया विरोध नहीं करती। यह इस्रायल के लिए पक्ष की बड़ी बात है। इसी वजह से इस्रायल ने अबतक सीरिया में मौजूद ईरान के हथियारों के भंड़ार और ईरान से जुड़ी आतंकवादी संगठनों पर सैकड़ों हवाई हमले करने की बात स्पष्ट हुई थी। रशिया के सहयोग के बिना यह मुमकीन नहीं होगा, इसका अहसास दिलाकर इस्रायल के प्रधानमंत्री यह स्पष्ट कह रहे है कि, हम यूक्रेन की सहायता करके रशिया के खिलाफ नहीं जा सकते।

इसके साथ ही यूक्रेन को प्रदान हो रहे हथियार ईरान के हाथ लगने का खतरा होने का बयान भी नेत्यान्याहू ने किया। इसके लिए इस्रायल के प्रधानमंत्री ने कुछ उदाहरण भी पेश किए। ‘इससे पहले पश्चिमी देशों के टैंक विरोधी मिसाइलें इस्रायल की सीमा को चुनौती दे रहे आतंकवादियों के हाथ लगे हैं। इस वजह से यूक्रेन को हथियार प्रदान करना मुमकीन नहीं हैं’, ऐसा नेत्यान्याहू ने कहा। स्पष्ट ज़िक्र नहीं किया हो, फिर भी अमरिकी हथियार गाझा में मौजूद आतंकवादियों को प्राप्त हुए हैं, ऐसे संकेत नेत्यान्याहू के बयान से प्राप्त होते दिख रहे हैं।

एक साल पहले जल्दबाजी करके अफ़गानिस्तान से सेना हटाते समय अमरीका ने अरबों डॉलर के हथियार पीछे छोड़े थे। यहीं हथियार ईरान के रास्ते आतंकवादियों तक पहुंचे हैं, ऐसा इशारा इस्रायल के वरिष्ठ सेना अधिकारी ने कुछ दिन पहले दिया था। यूक्रेन को लेकर भी ऐसा ही कुछ हो रहा हैं, ऐसा इस अधिकारी ने कहा था। अमरीका और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को प्रदान किए हथियार काले बाज़ार में बेचे जा रहे हैं और ईरान यह हथियार खरीद करके आतंकवादियों को प्रदान कर सकता हैं, ऐसी चेतावनी इस अधिकारी ने दी थी। रशिया भी ईरान को पश्चिमी देशों के हथियारों की तस्करी कर रहा हैं, ऐसी चिंता इस अधिकारी ने व्यक्त की थी।

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