भारत अमरीका से 30 ‘एमक्यू-9 प्रिडेटर ड्रोन’ खरीद करेगा – इसके प्रस्ताव को ‘डीएसी’ की मंजूरी

नई दिल्ली – अमरीका से ‘एमक्यू-9बी प्रिडेटर ड्रोन’ खरीद करने के प्रस्ताव को भारत के ‘डिफेन्स एक्विजिशन काउंसिल’ (डीएसी) ने मंजूरी दी है। करीबन तीन अरब डॉलर के इस समझौते के अनुसार अमरीका भारत को 30 ‘एमक्यू-9बी प्रिडेटर ड्रोन’ की आपूर्ति करेगी। प्रधानमंत्री के अमरीका दौरे से पहले हुआ यह ऐलान ध्यान आकर्षित कर रहा है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे में लड़ाकू विमानों के इंजन संबंधित सहयोग एवं नौसेना के लिए आवश्यक ‘एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट’ विमान प्रदान करने के मुद्दे पर भी चर्चा होगी, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। 

‘एमक्यू-9 प्रिडेटर ड्रोन’गश्त, निगरानी और शत्रु पर सटिकता से हमला करने की क्षमता रखने वाले ‘एमक्यू-9बी प्रिडेटर ड्रोन’ भारतीय रक्षा बलों के लिए आवश्यक समझे जा रहे थे। खास तौर पर चीन से होने वाले खतरे पर गौर करके रक्षा बलों के लिए यह उन्नत ड्रोन खरीद करने की तैयारी भारत ने दर्शायी थी। बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में ‘डीएसी’ ने इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की। इस वजह से अगले हफ्ते प्रधानमंत्री के अमरीका दौरे में इससे संबंधित समझौता होने के आसार दिखने लगे हैं। करीबन तीन अरब डॉलर का यह समझौता भारत और अमरीका के रक्षा सहयोग को अधिक मज़बूती प्रदान करेगा।

इन 30 ड्रोन में से 14 ड्रोन नौसेना को, 8 थल वायु सेना को और 8 ड्रोन थल सेना को प्राप्त होंगे। ‘एमक्यू-9 बी ड्रोन’ के स्काय गार्डिन और सी गार्डियन दो संस्करण हैं। इनमें से एक वायु सेना के लिए और दूसरा नौसेना के लिए इस्तेमाल होता है। ‘सी गार्डियन ड्रोन’ की वजह से नौसेना की समुद्री गश्त लगाने की क्षमता काफी बढ़ेगी। इसके साथ ही पनडुब्बी विरोधी युद्ध में यह ड्रोन बड़ा अहम प्रदर्शन कर सकते हैं। लगातार 35 घंटे बड़ी उंचाई पर उड़ान भरकर गश्त लगाने के साथ निगरानी करने की क्षमता रखने वाले यह ड्रोन चार हेलफायर मिसाइलों के साथ 450 किलो भार के बम से लैस होते हैं।

वर्ष 2020 में भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में गश्त और निगरानी करने के लिए ‘जनरल ऑटोमिक्स’ से एक साल के लिए भाड़े पर ‘एमक्यू-9 सी गार्डियन ड्रोन प्राप्त किए थे। आगे के दौर में इस कारोबार की समय सीमा अधिक बढ़ाई गयी थी।

इससे भारतीय नौसेना की गश्त लगाने की क्षमता काफी बढ़ने की बात स्पष्ट हुई। इसी कारण से भारत यह ड्रोन खरीद ने का निर्णय करता दिख रहा है। भारत के समुद्री क्षेत्र के करीब चीन की गतिविधियां बढ़ रही हैं और इसी समय पर भारत ने यह ड्रोन खरीद ने का निर्णय करने पर विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

इसी बीच अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान ‘तेजस’ के लिए भारत अमरिकी कंपनी से ही इंजन खरीद रहा है। इन इंजन का निर्माण भारत में ही करने का प्रस्ताव इस कंपनी ने दिया है और अभी अमरिकी प्रशासन ने इसपर निर्णय नहीं किया है। प्रधानमंत्री मोदी के अमरीका दौरे में इसपर सकारात्मक निर्णय होगा, ऐसें दावे किए जा रहे हैं। साथ ही भारतीय नौसेना के लिए अमरीका की बोईंग कंपनी के ‘एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट’ लड़ाकू विमान खरीद ने का प्रस्ताव भी प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे में आगे बढ़ सकता है, ऐसा कुछ लोगों का कहना हैं। अपने विमान वाहक युद्ध पोत पर तैनात करने के लिए भारत जल्द ही फ्रान्स के रफायल लड़ाकू विमानों के नौसेना के लिए बनाए संस्करण के विमान खरीदेगा, ऐसी खबरें प्राप्त हुई थी। लेकिन, अमरीका का ‘एफ/ए-28 सूपर हॉर्नेट विमान अभी भी शहर से बाहर नीं हुआ है, ऐसा कहा जा रहा है। इस कारोबार पर भी प्रधानमंत्री के अमरीका दौरे में चर्चा हो सकती है, ऐसा माध्यमों का कहना हैं।

अमरीका से भारत अरबों डॉलर के रक्षा सामान खरीद रहा हैं और ऐसे में अमरीका इसकी प्रौद्योगिकी हमें प्रदान करे, यह भारत की उम्मीद है। इसके बिना इससे संबंधित यह समझौता बेमतलब है, ऐसी स्पष्ट भूमिका भारत ने अपनाई है। आज तक भारत की इस मांग को नकार रही अमरीका ने अब इसपर सकारात्मक विचार करने की तैयारी दिखाई है। सिर्फ रक्षा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, क्वांटम कम्प्यूटिंग जैसी उन्नत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी भारत से सहयोग करने की तैयारी अमरीका दिखा रही हैं। साथ ही सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत और अमरीका एक-दूसरे से अनमोल सहयोग करेंगे, ऐसे दावे अमरीका कर री हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष की मुलाकात में इस सहयोग के मुद्दे पर अहम ऐलान होने की उम्मीद दोनों देश जता रहे हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published.