माली में अल कायदा के हमले में ६४ की मौत – अल कायदा और आयएस का माली में प्रभाव बढ़ने का संयुक्त राष्ट्र संघ ने किया दावा

बमाको – अल कायदा से जुड़े आतंकवादियों ने माली में किए दो अलग अलग हमलों में कुल मिलाकर ६४ लोग मारे गए हैं। इनमें ४९ नागरिक होने की जानकारी माली की सैन्य हुकूमत ने प्रदान की। सैन्य हुकूमत ने आतंकवादियों पर हवाई करने के कुछ ही घंटे बाद अल कायदा ने इन हमलों को अंजाम दिया। पिपछले एक साल से अल कायदा और आएस से जुड़े आतंकवादियों का माली में प्रभाव बढ़ा है, ऐसा दावा संयुक्त राष्ट्र संघ कर रहा हैं। इसके लिए माली की सैन्य हुकूमत ज़िम्मेदार होने का आरोप अमरीका और यूरोपिय देश लगा रहे हैं। 

अल कायदामाली के उत्तरी ओर स्थित गाओ प्रांत में नाइजर नदी में आतंकवादियों ने हमला किकया। इस नदी में सफर कर रही नौका जैसे ही टिंबकटू शहर के करीब पहुंची तभी आतंकवादियों ने हमला किया। इस हमले में ४९ नागरिक मारे गए। आतंकवादियों ने नौका पर तीन रॉकेटस्‌ दागने का दावा किया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर बांबा स्थित सेना की चौकी को आतंकवादियों ने लक्ष्य करके १५ सैनिकों को मार गिराया। अल कायदा से जुड़े आतंकवादियों ने इस हमले की ज़िम्मेदारी स्वीकार की है। 

अल कायदाअल कायदा से जउड़े ‘सपोर्ट ग्रूप फॉर इस्लाम ॲण्ड मुस्लिम’ (जीएसआईएम) नामक संगठन ने पिछले महीने ही टिंबकटू शहर पर कब्ज़ा करने की धमकी दी थी। माली के ऐतिहासिक शहर के तौर पर टिंबकटू का ज़िक्र होता है। इस शहर के करीब से नाइजर नदी बहती है। टिंबकटू पर कब्ज़ा पाकर माली को पड़ोसी नाइजर और अन्य देशों से तोड़ने की तैयारी इस आतंकवादी संगठन ने रखी है।

‘जीएसआईएम’ की धमकी के बाद बुधवार को माली की सैन्य हुकूमत ने टिंबकटू से उत्तरी ओर ३५ किलोमीटर दूरी पर स्थित आतंकवादियों के ठिकाने पर हवाई कार्रवाई की। इस दौरान इस संगठन का वरिष्ठ कमांडर एवं आतंकी मारे गए थे। इसके बाद टिंबकटू शहर के करीब नाइजर नदी की धारा में यात्री नौका पर हमला करके यह आतंकवादी संगठन माली की सैन्य हुकूमत को आगाह करती दिखाई दी है। बांबा की सैन्य चौकी भी नाइजर नदी के करीब ही है। 

अल कायदावर्ष २०१२ से माली में रक्षा संकट तीव्र हुआ है। वहां बढ़ रहा आतंकवाद माली समेत बुर्किना फासो और नाइजर जैसे पड़ोसी देशों की सुरक्षा के लिए भी खतरा साबित हो रहा है। इन आतंकवादियों का सामना करने के लिए माली की पहले की सरकार ने अमरीका, फ्रान्स और अन्य पश्चिमी देशों को शांति सैनिक के तौर पर आमंत्रित्रत किया था। लेकिन, पश्चिमी देशों की इस शांति मुहिम को कामयाबी हासिल नहीं हुई।

वर्ष २०२० में माली की सरकार का तख्तापलट करके सेना ने वहां की सत्ता हथियाई थी। साथ ही पश्चिमी देशों का माली की राजनीति में हो हस्तक्षेप बढ़ने का आरोप लगाकर सैन्य हुकूमत ने फ्रान्स को देश से सेना हटाने की सूचना की थी। इसके बाद माली में अल कायदा और आयएस से जुड़ी आतंकवादी संगठनों का प्रभाव बढ़ने की चिंता संयुक्त राष्ट्र संघ ने व्यक्त की है।

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