भारत ‘ग्लोबल साउथ’ को जोड़ने वाला अहम सेतू साबित होगा – जापान के विश्लेषकों का विश्वास

टोकियो – ‘जी २०’ की अध्यक्षता प्राप्त होने के साथ ही भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ देशों की आवाज़ विकसित देशों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। ‘जी २०’ की बैठकों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के विभिन्न व्यासपीठ पर भी भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों की उम्मीदे पेश की हैं। पिछले कुछ सालों में चीन ने भी ग्लोबल साउथ के देशों को सहायता मुहैया की थी। लेकिन, चीन से भी अधिक भारत ही ग्लोबल साउथ को जोड़ने वाला अहम सेतू साबित होगा, ऐसा विश्वास जापान के सामरिक विश्लेषकों ने व्यक्त किया। ‘जी २०’ की शीखर बैठक के लिए भारत पहुंचे जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा यह मुद्दा उठाएंगे, ऐसा दावा इन विश्लेषकों ने किया है।

भारत ‘ग्लोबल साउथ’ को जोड़ने वाला अहम सेतू साबित होगा - जापान के विश्लेषकों का विश्वासलगभग दो दशक पहले तक ‘जी ७’ ही विश्व के विकसित देशों की एकमात्र ताकतवर संगठन था। लेकिन, विश्व की आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए इस नई संगठन का गठन करने की बात तय हुई थी। इसके अनुसार १९ विकसित और विकासशील देश और यूरोपीय महासंघ के ‘जी २०’ गुट का गठन किया गया। लेकिन, आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्र के शीर्ष देशों के इस संगठन में अविकसित देशों का प्रतिनिधित्व नहीं था।

पिछले साल इंडोनेशिया में आयोजित बैठक में भारत को ‘जी २०’ की अध्यक्षता प्राप्त हुई। साथ ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘जी २०’ के मेज़बान के तौर पर अपनी भूमिका रखते हुए ‘ग्लोबल साउथ’ का मुद्दा उठाया था। इनमें लैटिन अमरीका, अफ्रीका, खाड़ी, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों के समावेश वाले ‘ग्लोबल साउथ’ की भारत आवाज़ बनेगा, यह प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया था।

‘वसुधैव कुटूंबकम्‌’ पर विश्वास रखने वाला भारत ग्लोबल साउथ को प्रतिनिधित्व देने की बात भारत ने स्पष्ट की थी। इसके बाद भारत ने ‘जी २०’ के माध्यम से एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की विभिन्न बैठक में ग्लोबल साउथ का मुद्दा उठाया था। भारत की इन कोशिशों को ग्लोबल साउथ के देशों से सकारात्मक रिस्पान्स भी प्राप्त हुआ। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत हमारा नेतृत्व करें, ऐसी मांग भी इनमें से कुछ देशों ने की थी।

भारत ‘ग्लोबल साउथ’ को जोड़ने वाला अहम सेतू साबित होगा - जापान के विश्लेषकों का विश्वासइससे बेचैन हुए चीन ने इस बीच यह दावा किया था कि, पिछले कई सालों से हम ‘ग्लोबल साउथ’ का नेतृत्व कर रहे हैं। अफ्रीकी और इसके बाद खाड़ी देशों से विशेष बैठक करके चीन ने अपना नेतृत्व साबित करने की बड़ी कोशिश की थी। लेकिन, पश्चिमी देश और जापान के हितसंबंधों पर गौर करें तो चीन से अधिक भारत ही ‘ग्लोबल साउथ’ को जोड़ने वाला अहम सेतू साबित होगा, यह विश्वास हिरोयूकी अकिता नामक सामरिक विश्लेषक ने व्यक्त किया है।

ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने के लिए भारत और चीन के बीच मुकाबला शुरू हुआ हैं। लेकिन, लंबे समय की सोचे तो भारत ही इस गुट का सही नेतृत्व कर सकता है, ऐसा दावा अकिता ने किया। ग्लोबल साउथ में भारत की बनी अहमियत को भांपकर ही जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने मई महीने में टोकियो में आयोजित ‘जी ७’ बैठक के लिए भारत के प्रधानमंत्री को बतौर विशेष अतिथि आमंत्रित किया था, इस ओर भी अकिता ने ध्यान आकर्षित किया।

फिलहाल ‘जी ७’ की वैश्विक व्यवस्था को चीन और रशिया से चुनौती मिल रही हैं। ऐसे दौर में ग्लोबल साउथ के देशों को ‘जी ७’ या अन्य संगठनों को जोड़ने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है, ऐसा भी अकिता ने कहा।

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