ट्रम्प की यूरोप में तैनात सेना वापसी की घोषणा के बाद यूरोपीय नेता जान जाने के डर से अस्वस्थ – अमरिका के भूतपूर्व रक्षा मंत्री लिओन पैनेट्टा

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वॉशिंग्टन – ‘अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने यूरोपीय देशों में तैनात अमरिकी सेना को वापस बुलाने की की घोषणा की वजह से यूरोपीय नेता डर गए हैं। कुछ यूरोपीय नेता जान जाने के डर से अस्वस्थ हुए हैं और अमरिका ने सेना वापस बुलाई तो यूरोप की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है, इस चिंता से यह नेता अस्वस्थ हुए हैं’, ऐसा दावा अमरिका के भूतपूर्व रक्षा मंत्री लिओन पैनेट्टा ने एक साक्षात्कार में किया है।

यूरोप में देश के बाहर का अमरिका का सबसे बड़ा लष्करी कमांड है। यूरोप के अलग अलग देशों में अमरिका के ६०००० से अधिक सैनिक तैनात हैं और इसमें कुछ देशों के स्थायी स्वरुप के लष्करी अड्डों का समावेश है। इसमें से अकेले जर्मनी में सबसे अधिक ३५ हजार सैनिक तैनात हैं। इटली में १२००० और सबसे पुराना सहकारी देश ब्रिटन में ८५०० सैनिक तैनात हैं। स्पेन में भी अमरिका के लष्करी अड्डे पर ३३०० सैनिक हैं, ऐसा अभ्यास समूहों का कहना है।

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इसके अलावा अन्य यूरोपीय देशों में अमरिका का लष्करी पथक मौसमी स्वरुप में तैनात किए जाते हैं। ‘नाटो’ के सदस्य देश के तौर पर अमरिका ने अपने यूरोपीय मित्र देशों के और अपने हितसंबंधों की सुरक्षा के लिए यह सैनिक तैनात किये हैं। लेकिन ट्रम्प ने यूरोप में अमरिकी सैनिकों की तैनाती को विरोध किया था। इस तैनाती के अलावा अमरिका नाटो के खर्चे का बहुत बड़ा हिस्सा उठा रहा है और अन्य सदस्य देश इसके लिए अपना योगदान नहीं बढ़ा रहे हैं, ऐसी आलोचना ट्रम्प ने की थी। नाटो ने कायम किए निकषों के अनुसार हर सदस्य देश अपने देश के सर्वसाधारण सकल उत्पादन में से दो प्रतिशत हिस्सा नाटो के रक्षा खर्चे के लिए देना आवश्यक है।

अकेला अमरिका इस संगठन के लिए अपने सर्वसाधारण सकल उत्पादन में से ३.५७ प्रतिशत से अधिक खर्च कर रहा है। अमरिका के बाद ग्रीस, ब्रिटन, इस्टोनिया और पोलैंड इन देशों ने नाटो के निकषों के अनुसार खर्चा उठाया है। लेकिन जर्मनी और फ़्रांस यह यूरोप के प्रभावी देश अपनी यह जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार नहीं हैं। यूरोपीय देशों ने नाटो के खर्चे का और संबंधित यूरोपीय देशों में अमरिकी सैनिकों के खर्चे का भार उठाया नहीं तो अमरिका यूरोप में तैनात अपनी सेना को वापस बुलाएगा, ऐसी चेतावनी ट्रम्प ने दी थी।

ट्रम्प की इस चेतावनी से यूरोपीय देशों के नेताओं में घबराहट निर्माण होने का दावा, अमरिका के भूतपूर्व रक्षा मंत्री लिओन पैनेट्टा ने एक अमरिकी दैनिक को दिए साक्षात्कार में किया है। यह सिर्फ घोषणा नहीं है, बल्कि ‘अमरिका फर्स्ट’ का स्वीकार करने वाले ट्रम्प इस निर्णय को लागू करेंगे, ऐसी चिंता इन नेताओं को सता रही है, ऐसा लिओन पैनेट्टा ने आगे कहा है। ट्रम्प ने ऐसा निर्णय लिया तो यूरोपीय देशों की सुरक्षा खतरे में आएगी और और इस मौके का इंतजार कर रहे रशिया जैसे देश इसका फायदा उठाएंगे, असा दावा कुछ यूरोपीय विश्लेषक कर रहे हैं।

पूर्व यूरोपीय देशों ने इसके पहले ही अमरिका को स्वतंत्र लष्करी अड्डा उपलब्ध कराके देने का और अमरिकी सैनिकों का खर्चा उठाने का प्रस्ताव दिया है। इसमें पोलैंड और नॉर्वे इन देशों का समावेश है। इन देशों को अतिरिक्त सुरक्षा की आपूर्ति करने के लिए अमरिका भी उत्सुक है। लेकिन अमरिका के सबसे नजदीकी माने जाने वाले फ़्रांस और जर्मनी यह सहकारी देश इस बारे में उदासीनता दिखा रहे हैं, ऐसी शिकायत अमरिका कर रहा है। उस वजह से भूतपूर्व रक्षा मंत्री लिओन पैनेट्टा ने किए इस दावे का महत्व बढ़ गया है।

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