अमरीका की इंडो-पैसिफिक विषयक नीति नहीं बदलेगी – अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का आश्‍वासन

वॉशिंग्टन – अमरीका के नये राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन की इंडो-पैसिफिक क्षेत्रविषयक नीति नहीं बदलेगी। इस क्षेत्र के लिए पहले के प्रशासन ने शुरू किए ‘क्वाड’ संगठन को राष्ट्राध्यक्ष बायडेन का प्रशासन अधिक मजबूत करेगा, ऐसा आश्‍वासन अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ‘जेक सॅलिवन’ ने दिया। पूर्व राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के प्रशासन की जो नीतियाँ बायडेन प्रशासन बरकरार रखने वाला है, उनमें ‘क्वाड़’ के सहयोग का समावेश होगा, ऐसा सॅलिवन ने स्पष्ट किया। अमरीका के नए विदेश मंत्री ब्लिंकन ने, भारत के विदेश मंत्री के साथ फोन पर की चर्चा में, दोनों देशों में सामरिक सहयोग बढ़ाने का निर्धार व्यक्त किया था। इस पृष्ठभूमि पर, सॅलविन ने क्वाड के संदर्भ में किए बयानों का महत्व और भी बढ़ा है ।

राष्ट्राध्यक्ष बायडेन का प्रशासन चीन के बारे में कठोर भूमिका नहीं अपना आएगा। इस कारण भारत-अमरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया इन देशों ने स्थापन किया क्वाड संगठन दुर्बल बनेगा। इसका बहुत बड़ा फायदा चीन को हो सकता है, ऐसा शक कुछ सामरिक विश्लेषक जाहिर कर रहे हैं। बराक ओबामा जब अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष थे और उनके प्रशासन में बायडेन उपराष्ट्राध्यक्षपद पर कार्यरत थे, तब उन्होंने ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में चल रही चीन की आक्रामक हरकतों को नजरअंदाज किया था। इसका हवाला विश्लेषकों द्वारा दिया जाता है। इस कारण बायडेन राष्ट्राध्यक्षपद पर आने के बाद इंडो-पैसिफिक मैं चल रही चीन की हरकतों को अनदेखा करेंगे, ऐसा निष्कर्ष इन विश्लेषकों द्वारा रखा जा रहा था। लेकिन राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने नियुक्त किए हुए अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सॅलिवन ने इस बारे में अपने प्रशासन की भूमिका स्पष्ट की।

अमरिकी कांग्रेस के ‘युएस इन्स्टीट्युट ऑफ पीस’ इस अभ्यास गुट के सामने बात करते हुए सॅलिवन ने, क्वाड को इसके आगे भी सर्वाधिक महत्त्व दिया जाएगा, ऐसा कहा है। इतना ही नहीं, बल्कि इस संगठन को अधिक से अधिक मजबूत बनाने को बायडेन प्रशासन प्राथमिकता देगा, ऐसा यकीन सॅलिवन ने दिलाया है। अमरीका की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र विषयक नीति क्वाड पर आधारित है, इसकी स्वीकृति भी सॅलिवन ने दी। साथ ही, चीन को धार पर रखने वाली नीतियां इससे आगे भी बरकरार रहने वाली हैं, इसका यकीन सॅलिवन ने इस अभ्यास गुट के सामने दिए अपने व्याख्यान में दिलाया। उइगरवंशिय इस्लामधर्मिय, हॉंगकॉंग की जनता और तैवान के संदर्भ में चीन ने अपनाई नीतियों पर सॅलिवन ने अपना ऐतराज जताया।

उइगरवंशिय इस्लामधर्मिय तथा हॉंगकॉंग के प्रदर्शनकारी और तैवान के मामले में चीन ने अपनाई नीति आक्रामक होकर, चीन को इसकी कीमत चुकाने पर अमेरिका को मजबूर करना ही होगा, ऐसा नये राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा है। इसके लिए अमरीका अपने यूरोपीय साझेदार देशों की सहायता लेगी, ऐसा सॅलिवन ने आगे कहा। बायडेन का प्रशासन चीन के मामले में सौम्य भूमिका अपनायेगा, यह शक़ सॅलिवन के बयान से मिटता हुआ दिखायी दे रहा है।

लेकिन ऐसा होने के बावजूद बायडेन प्रशासन के केवल शब्दों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। यह प्रशासन चीन के विरोध में कठोर भूमिका अपना सकता है, यह इस प्रशासन को अपनी कृति द्वारा सिद्ध करना होगा, इस पर कुछ विश्लेषकों ने गौर फरमाया था। ऐसे में, इस मामले में अपनी विश्वासार्हता साबित करने की जिम्मेदारी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के प्रशासन पर है। इसी बीच, अमरीका के नए विदेश मंत्री ब्लिंकन ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से फोन पर चर्चा की होकर, इस चर्चा का विवरण भी सोशल मीडिया पर जारी किया है। भारत और अमेरिका के संबंधों के महत्व को रेखांकित करके, इस सहयोग के कारण निर्माण हुए अवसरों का पूर्ण रुप से लाभ उठाना और दोनों देशों के सामने खड़ी चुनौतियों का एकजुट से मुकाबला करना, इस पर अपना भारत के विदेश मंत्री के साथ एकमत हुआ है, ऐसा ब्लिंकन ने कहा है।

दोनों देशों के बीच का यह सहयोग इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से परे जाने वाला होने का दावा भी ब्लिंकन ने किया है। कुछ दिन पहले भारत ने रशिया से खरीदी हुई ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा पर ऐतराज जता कर अमरीका ने भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। इस कारण भारत बायडेन प्रशासन की गतिविधियों की ओर बहुत बारीकी से देख रहा है यह स्पष्ट हुआ था। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के संदर्भ में यदि अमरीका ने अपनी भूमिका बदल कर क्वाड को नजरअंदाज किया ही, तो जापान, फ्रान्स तथा रशिया इन देशों से सहायता लेने की तैयारी भी भारत ने की है। भारत की इन गतिविधियों पर बायडेन प्रशासन से यह प्रतिक्रिया आई है, ऐसे संकेत इस देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सॅलिवन तथा विदेश मंत्री ब्लिंकन के बयानों से मिल रहे हैं।

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