अमरीका तालिबान पर हवाई हमले करेगी – अमरिकी अखबार का दावा

हवाई हमलेवॉशिंग्टन – अफ़गानिस्तान से अमरिकी सेना की वापसी जारी होने के दौरान भी अफ़गान सेना और तालिबान के बीच घमासान संघर्ष हो रहा है। इस संघर्ष में तालिबान के सैंकड़ों आतंकी हवाई हमलों में मारे जाने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। इसी बीच तालिबान ने आक्रामकता से राजधानी काबुल की दिशा में आगे बढ़ने की बात दिखाई दे रही है। लेकिन, तालिबान ने काबुल या अन्य अहम शहरों पर कब्ज़ा करने से पहले अमरीका तालिबान पर हमले कर सकती है। इसके लिए राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की अफ़गानिस्तान संबंधी योजना में आवश्‍यक बदलाव किए जाएँगे, यह दावा अमरीका के एक अखबार ने किया है।

अफ़गान सेना और तालिबान में संघर्ष तीव्र हो रहा है। बीते चौबीस घंटों के दौरान तालिबान के १११ आतंकियों को ढ़ेर करने का दावा अफ़गान रक्षा मंत्रालय ने किया है। तभी तालिबान ने बघलान प्रांत में स्थित अफ़गान सेना के लष्करी अड्डे के करीब कार बम का विस्फोट करके छह सैनिकों को मार गिराया। इसके अलावा कम से कम ६० अफ़गानी सैनिकों ने तालिबान के सामने हथियार डाल दिए और यह सैनिक तालिबान में शामिल हुए हैं, ऐसी खबरें सामने आ रही हैं। कुछ दिन पहले ही तालिबान के हमलों की वजह से अफ़गान सैनिक भाग खड़े हुए थे। राजधानी काबुल में भी तालिबान के हमलों में वृद्धि हुई है।

बीते हफ्ते काबुल में तीन बसों में बम विस्फोट हुए थे। इसके अलवा लड़कियों के स्कूलों के इलाकों में भी आतंकियों ने भीषण विस्फोट किए थे। अमरिकी सेना ने अफ़गानिस्तान से वापसी की कार्रवाई तेज़ करना ही तालिबान के इन बढ़ते हमलों के लिए ज़िम्मेदार होने का दावा किया जा रहा है। अमरिकी सेना की वापसी की गति इसी तरह बरकरार रही तो तालिबान के आतंकी वर्ष के अन्त तक राजधानी काबुल समेत कई अहम शहर, लष्करी अड्डे और विदेशी दूतावासों पर कब्ज़ा करेंगे, यह दावा भी किया जा रहा है। ऐसा होने पर दो दशक बाद अफ़गानिस्तान का फिर से तालिबानीकरण होगा, यह चिंता जताई जा रही है।

हवाई हमलेलेकिन, ऐसी स्थिति निर्माण हुई तो अमरीका तालिबान पर हवाई हमले करेगी, यह जानकारी अमरीका के वरिष्ठ सेना अधिकारी ने अखबार से की हुई बातचीत के दौरान साझा की। अफ़गानिस्तान से सेना वापसी होने के बाद हवाई हमले करने के मुद्दे पर पेंटॅगॉन गंभीरता से विचार कर रहा है। साथ ही इसके लिए राष्ट्राध्यक्ष बायडेन से अधिकृत अनुमति प्राप्त करेंगे, ऐसा इस अफसर ने कहा। तालिबान पर हवाई हमले करने के लिए पर्शियन खाड़ी में स्थित लष्करी अड्डों का इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन, इस तरह की हवाई मुहिम लंबे समय तक चलाना कठिन होगा। क्योंकि, अगले महीने तक अमरीका अफ़गानिस्तान के सभी हवाई अड्डों का नियंत्रण छोड़ रही है, यह जानकारी भी इस अफसर ने प्रदान की।

इसी कारण अफ़गानिस्तान में आतंकवाद विरोधी कार्रवाई करने के लिए पड़ोसी देशों में लष्करी अड्डा प्राप्त करने के लिए अमरीका की ‘सीआयए’ की कोशिश जारी है। ‘सीआयए’ के प्रमुख विल्यम बर्न्स ने हाल ही में पाकिस्तान की यात्रा करके इस मुद्दे पर बातचीत की थी। इस यात्रा में बर्न्स को जो चाहिये था वह प्राप्त होने का दावा करके कुछ पाकिस्तानी पत्रकारों ने हमारी सरकार ने अमरीका को अपना अड्डा प्रदान करने की बात स्वीकारी होने की आशंका व्यक्त की। लेकिन, पाकिस्तान सरकार इस बात से इन्कार कर रही है। इस वजह से अमरीका के लष्करी अड्डे के मुद्दे पर पाकिस्तान में विरोधी दावे होने का सत्र शुरू होता दिख रहा है। लेकिन, अमरीका की माँग पाकिस्तान की सरकार ने नहीं स्वीकारी तो अगले कुछ दिनों में अमरीका की गुप्तचर संस्था ‘सीआयए’ पाकिस्तान में कुछ तो बड़ा करेगी, यह चिंता इस देश के कुछ विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं। प्रधानमंत्री इम्रान खान के पहले की सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव करने का निर्णय हुआ है, यह जानकारी साझा करके इन विश्‍लेषकों ने अगले कुछ दिनों में पाकिस्तान में कुछ अघटित घटना घटेगी, यह ड़र व्यक्त किया है।

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