अफ़गानिस्तान में अमरीका के हवाई हमलों में ४० आतंकी ढ़ेर – हेल्मंड़ में जारी संघर्ष तीव्र होने के संकेत

US-airstrike-Talibanकाबुल – अफ़गानिस्तान के हेल्मंड़ प्रांत की राजधानी लश्‍करगह अब अफ़गान सेना और तालिबान के संघर्ष का नया केंद्र बना है। अमरीका ने सोमवार के दिन लश्‍करगह में किए हवाई हमलों में ४० तालिबानी आतंकियों को मार गिराया। यहां पर जारी घनघोर संघर्ष के दौरान अफ़गान सेना ने स्थानीय लोगों को शहर छोड़कर जाने का निवेदन किया है। इसी बीच अफ़गानिस्तान में यह संघर्ष आज़ादी और तानाशाही के बीच संघर्ष का बयान अफ़गानिस्तानी सेना के अधिकारी जनरल सामी सदात ने किया है।

पाकिस्तान की सीमा के पास स्थित हेल्मंड़ प्रांत के जिलों पर तालिबान ने पहले ही कब्ज़ा किया था। इस दौरान राजधानी लश्‍करगह अफ़गान सरकार के नियंत्रण में ही थी। लेकिन, बीते पांच दिनों से तालिबान ने अफ़गानिस्तान के तीन बड़े शहरों पर कब्ज़ा करने के लिए हमले तेज़ किए हैं। कुछ घंटों पहले तालिबान ने लश्‍करगह शहर में एक समाचार चैनल और रेड़ियो चैनल के मुख्यालय पर कब्ज़ा करने के फोटो प्रसिद्ध हुए हैं।

US-airstrike-Taliban-01तालिबान के यह हमले नाकाम करने के लिए अफ़गान सेना को स्थानीय लोगों का बड़ा समर्थन प्राप्त हो रहा है। अफ़गान सरकार के निवेदन के बाद स्थानीय लोगों की ‘पब्लिक अपराइजिंग फोर्सेस-पियूएफ’ नामक हथियारी संगठन में लश्‍करगह के नागरिक शामिल होने के फोटो और वीडियो सामने आ रहे हैं। सोमवार रात के समय अफ़गान सेना और ‘पीयूएफ’ ने सड़कों पर उतरकर मार्च पास किया और इसे स्थानीय लोगों ने बड़ा समर्थन दिया। इससे लश्‍करगह का जनमत तालिबान के खिलाफ होने की बात दिख रही है।

US-airstrike-Taliban-02इस शहर की सुरक्षा के लिए अफ़गान जनता की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी समर्थन की आवश्‍यकता होने का निवेदन जनरल सामी सदात ने किया। ‘यह सिर्फ अफ़गानिस्तान की जंग नहीं है, बल्कि स्वतंत्रता और तानाशाही के बीच जारी युद्ध है। हेल्मंड़ की राजधानी लश्‍करगह तालिबान के नियंत्रण में चली जाए तो इससे विश्‍वभर के आतंकियों को बढ़ावा मिलेगा। अमरीका और यूरोप के शहरों में मौजूद छोटी चरमपंथी संगठनों को बल मिलेगा और जागतिक सुरक्षा पर विनाशकारी असर होगा’, ऐसा इशारा जनरल सदात ने दिया।

अमरीका ने दो दशक पहले अफ़गानिस्तान में मुहिम शुरू की थी और इसके बाद हेल्मंड़ प्रांत की कार्रवाई को सबसे अधिक अहमियत प्रदान की थी। क्योंकि, हेल्मंड़ प्रांत तालिबान के सत्ता केंद्र के तौर पर पहचाना जा रहा था। हेल्मंड़ में नशीले पदार्थों की खेती और इसकी तस्करी पर ही तालिबान निर्भर थी। इस वजह से लश्‍करगह समेत पूरे हेल्मंड़ पर कब्ज़ा करने के लिए तालिबान जोरदार कोशिश कर रही है। ऐसे में लश्‍करगह पर तालिबान का नियंत्रण स्थापित ना हो सके, इसके लिए अफ़गान सेना ने अपनी पूरी ताकत लगाई है और स्थानीय लोग भी अफ़गान सेना के पक्ष में लड़ रहे हैं, यह बात तालिबान को झटका देगी।

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