अफ्रीका के ‘साहेल’ क्षेत्र में आतंकवाद को रोकने के लिए एक अरब डॉलर्स का प्रावधान – अफ्रीकी देशों के ‘इकोवास’ गुट ने किया ऐलान

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरबुर्किना फासो: पिछले कुछ वर्षों में अफ्रीका के पश्‍चिमी हिस्से के ‘साहेल’ में अल कायदा और आईएस जैसी आतंकी संगठन फिर से प्रबल होने का चित्र सामने आया है| माली, नायजर, नाइजेरिया, बुर्किना फासो जैसे देशों में लगातार आतंकी हमलें हो रहे है औड़ इन हमलों में सैकडों सैनिक एवं लोगों की मौत हुई है| इस पृष्ठभूमि पर, अफ्रीकी देशों ने आतंकवाद का प्रसार रोकने के लिए आक्रामक मुहीम शुरू करने का निर्णय किया है और इसके लिए एक अरब डॉलर्स का प्रावधान घोषित किया है|

पश्‍चिमी अफ्रीका के १५ देशों ने गठित किए ‘इकॉनॉमिक कम्युनिटी ऑफ वेस्ट अफ्रीकन स्टेटस्’ (इकोवास) की विशेष बैठक हाल ही में बुर्किना फासो में आयोजित की गई| इस बैठक के लिए अफ्रीकी देशों के राष्ट्रप्रमुखों के अलावा यूरोपिय महासंघ, जर्मनी और फ्रान्स के प्रतिनिधी भी उपस्थित थे| ‘साहेल क्षेत्र में बढ रहे आतंकवाद को रोकने के लिए करीबन १ अरब डॉलर्स का प्रावधान करने के मुद्दे पर इकोवास गुट की सहमति बनी है, ऐसा नायजर के राष्ट्राध्यक्ष महमादो इसोफो ने कहा| अफ्रीका की आतंकवाद विरोधी मुहीम के लिए अफ्रीकी देशों ने ही इतनी बडी तादाद में आर्थिक प्रावधान करने का यह पहला अवसर है|

साहेल क्षेत्र के देशों से आतंकवाद के विरोध में की जा रही लष्करी गतिविधियां एवं इस क्षेत्र में अफ्रीकी एवं अन्य देशों ने शुरू की मुहीमों को अधिक बल देने के लिए इस रकम का इस्तेमाल होगा| इस बारे में अधिकार जानकारी दिसंबर महीने में ‘इकोवास’ की बैठक में रखी जाएगी, ऐसा सूत्रों ने कहा है| फिलहाल साहेल क्षेत्र की आतंकी हरकतों के विरोध में फ्रान्स की पहल से ‘जी ५ साहेल’ गुट का गठन किया गया है| यह गुट काफी सक्रिय है| लेकिन, आर्थिक मुश्किलों के कारण इस गुट की मुहीम उम्मीद के अनुसार सफलता प्राप्त करने में नाकाम हुई|

साथ ही अफ्रीका के आतंकी गुट और भी आक्रामक होने के दावे पिछले कुछ वर्षों में सामने आए है| ‘इकोवास’ में बैठक में दी गई जानकारी अनुसार पिछले चार वर्षों में दो हजार से भी अधिक छोटे-बडे आतंकी हमलें किए गए| इन हमलों में ११,५०० से भी अधिक लोग मारे गए है और हजारों लोग जख्मी हुए है| आतंकी हमलों की वजह से लाखों लोगों को विस्थापित भी होना पडा है और इससे अफ्रिका के अन्य देशोंपर दबाव बना दिख रहा है| इस पृष्ठभूमि पर अफ्रीकी देशों ने पहल करके स्वतंत्र निधी का प्रावधान करना ध्यान आकर्षित करता है|

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