पाकिस्तान के ‘आयएसआय’ की अफ़गानिस्तान में भारतीय प्रकल्पों पर हमले करने की साज़िश – आतंकियों को सूचना देकर अफ़गानिस्तान भेजा

नई दिल्ली – तालिबान की सहायता के लिए पाकिस्तान के १० हज़ार आतंकियों ने हमारे देश में प्रवेश किया है, यह आरोप अफ़गानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष ने लगाया था। इन १० हज़ार आतंकियों में भारत में आतंकी हमले कर रहे ‘लश्‍कर ए तोयबा’ के सदस्यों का भी समावेश है। इन सभी को पाकिस्तान के कुख्यात गुप्तचर संगठन ‘आयएसआय’ ने खास सूचना देकर रवाना किया है। अफ़गानिस्तान में भारत द्वारा निर्माण किए हुए प्रकल्प और इमारतों को लक्ष्य करने के आदेश ‘आयएसआय’ ने इन आतंकियों को दिए होने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। इस वजह से अफ़गानिस्तान में स्थित भारत के प्रकल्प और हितों को खतरा अधिक बढ़ा है।

‘आयएसआय’भारत ने अफ़गानिस्तान में तकरीबन ३ अरब डॉलर्स का भारी निवेश किया है। अफ़गानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए भारत के योगदान का अफ़गान जनता ने स्वागत किया था। अफ़गानिस्तान के ३४ प्रांतों में भारत के ४०० से अधिक प्रकल्प मौजूद हैं। इनमें ४२ मेगावॉट बिजली निर्माण की क्षमता वाले ‘सलमा डैम’ का भी समावेश है। इस बाँध को ‘इंडिया-अफ़गानिस्तान फ्रेंडशिप डैम’ के तौर पर ही जाना जाता है। साथ ही भारत ने अफ़गानिस्तान में २१८ किलोमीटर के डेलाराम-ज़रंज राजमार्ग का भी निर्माण किया है। अफ़गानिस्तान के संसद की इमारत का भी भारत ने ही निर्माण किया है।

भारत ने अफ़गानिस्तान में किए इस निवेश को लक्ष्य करने के आदेश पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था ‘आयएसआय’ ने अपने आतंकियों को दिए हैं। जल्द ही यह आतंकी इन आदेशों पर अमल करेंगे। तालिबान ने सलमा बाँध के करीबी क्षेत्र में हमले करके ऐसे ही संकेत दिए थे। अफ़गान सेना के साथ तालिबान का युद्ध जारी है और इसमें फिलहाल तालिबान का पलड़ा भारी होने के दावे किए जा रहे हैं। तालिबान को इस युद्ध में सहायता करने के लिए पाकिस्तान के दस हज़ार आतंकियों ने अफ़गानिस्तान में प्रवेश किया है। इनमें पाकिस्तानी सेना के लेफ्टनंट जनरल पद के अधिकारियों का भी समावेश होने की बात कही जा रही है। पाकिस्तानी सेना और ‘आयएसआय’ के तकरीबन ४०० सदस्य अफ़गानिस्तान में उपस्थित रहकर तालिबान को आवश्‍यक सहायता प्रदान करके सूचना देने के काम में भी जुटे होने की बात स्पष्ट हुई है। पाकिस्तान के लष्करी अधिकारियों को अफ़गान सेना ने गिरफ्तार करके उनकी पहचान भी विश्‍व के सामने रखी थी।

‘आयएसआय’अफ़गानिस्तान में खूनखराबे के लिए पाकिस्तान तालिबान की सहायता कर रहा है, ऐसे गंभीर आरोप अफ़गानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी और उप-राष्ट्राध्यक्ष अमरुल्लाह सालेह लगा रहे हैं। उज़बेकिस्तान में आयोजित परिषद में अफ़गानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की मौजूदगी में ही यह आरोप लगाकर पाकिस्तान को तमाचा जड़ा था। अब भारत के विकास प्रकल्पों पर हमले करके पाकिस्तान अपने तालिबान से सीधे ताल्लुकात होने की बात स्वयं ही विश्‍व के सामने लाता हुआ दिख रहा है।

इसी वजह से अफ़गानिस्तान में भारतीय और भारत के विकास प्रकल्पों के लिए खतरा अधिक बढ़ा है। भारत को नुकसान पहुँचाने की तीव्र मंशा रखनेवाले पाकिस्तान को अपने इन हमलों के परिणाम अफ़गान जनता को भुगतने पड़ेंगे, इसकी भी परवाह नहीं है। पाकिस्तान की साज़िश के अनुसार यह हमले कामयाब हुए तो भारत को नुकसान पहुँचाने का संतोष पाकिस्तान को मिल सकता है। लेकिन, अफ़गानिस्तान की जनता के मन में पाकिस्तान विरोधी भावना इससे अधिक तीव्र होगी। अगले दिनों में इसका बड़ा झटका पाकिस्तान को लगे बगैर नहीं रहेगा। फिलहाल अफ़गानिस्तान को लेकर भारत क्या नीति अपनाएगा, इसी चर्चा ने पाकिस्तान में जोर पकड़ा है। भारत ही अफ़गानिस्तान में स्थिरता नहीं चाहता, ऐसा अनुमान पाकिस्तान के कुछ पत्रकार बयान कर रहे हैं। लेकिन, क्या भारत ने अफ़गानिस्तान में किया हुआ तीन अरब डॉलर्स का निवेश इस देश में अस्थिरता फैलाने के लिए था? ऐसा सवाल करके विश्‍लेषक तुरंत इन पत्रकारों को प्रत्युत्तर दे रहे हैं।

भारत जैसा बड़ा देश अफ़गानिस्तान में किया हुआ अपना निवेश डूबने नहीं देगा। तालिबान ने भारत से सहयोग से इन्कार करके पूरी तरह से भारत विरोधी भूमिका अपनाई तो भी तालिबान को रोकने के कई विकल्प भारत के पास हो सकते हैं, ऐसा दावा भारत के पूर्व लष्करी अधिकारी कर रहे हैं।

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