जम्मू-कश्‍मीर के दो जल बिजली प्रकल्पों पर पाकिस्तान की आपत्ति

इस्लामाबाद – जम्मू-कश्‍मीर की चिनाब नदी पर निर्माण हो रहे ‘लोअर कलनई’ और ‘पकाल डल’ इन दो जल बिजली प्रकल्पों पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद चौधरी ने भारत के सामने इन जलविद्युत प्रकल्पों को लेकर आपत्ति जताने की जानकारी साझा की। अगले हफ्ते में ‘सिंधु आयोग’ की बैठक दिल्ली में होगी। इसके लिए पाकिस्तान का एक शिष्टमंडल भारत पहुँच रहा है। इससे पहले पाकिस्तान ने यह आपत्ति दर्ज़ की है।

भारत ने जम्मू-कश्‍मीर और लद्दाख में चिनाब, झेलम जैसी नदियाँ और इनकी सहयोगी नदियों पर जल बिजली प्रकल्प का निर्माण करना तय किया है। पाकिस्तान ने इनमें से कुछ प्रकल्पों पर पहले भी आपत्ति जताई थी। इसके विरोध में पाकिस्तान ने वर्ल्ड बैंक एवं अंतरराष्ट्रीय न्यायकर्त्ता के सामने भी गुहार लगाई थी। लेकिन, भारत निर्माण कर रहे यह प्रकल्प दोनों देशों में हुए ‘सिंधु जल बटवारां समझौते’ के अनुसार होने की बात स्पष्ट की गई थी।

अब ‘लोअर कलनई’ और ‘पकाल डल’ इन दोनों प्रकल्पों पर सिंधु आयोग की बैठक से पहले पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है। वर्ष १९६० में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए ‘सिंधु जल बटवारां समझौते’ के अनुसार हर साल कम से कम एक बार सिंधु आयोग की बैठक आवश्‍यक है। इसके अनुसार यह बैठक २५ मार्च के दिन होगी। इस पृष्ठभूमि पर ‘लोअर कलनई’ और ‘पकाल डल’ दोनों प्रकल्प यानी पाकिस्तान का पानी रोकने की कोशिश होने का आरोप पाकिस्तान ने लगाया है।

यह ‘सिंधु जल बटवारा समझौते’ का उल्लंघन है। पाकिस्तान को अपने हिस्से का पानी मिलना ही चाहिये, ऐसा बयान पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद चौधरी ने किया है। साथ ही इस बार उन्होंने फिर से कश्‍मीर का मसला उठाया है। भारत के साथ जारी विवाद का हल शांति की राह से निकालने के लिए पाकिस्तान की हमेशा से कोशिश रही है। इसमें जम्मू-कश्‍मीर का मुद्दा भी शामिल होने की बात चौधरी ने कही है।

इसी बीच, भारत का प्रकल्प सिंधु जल बटवारा समझौते का किसी भी तरह से उल्लंघन नहीं करेगा, यह बात कई बार स्पष्ट की गई है। वर्ष २०१६ में जम्मू-कश्‍मीर के उरी में स्थित लष्करी अड्डे पर पाकिस्तानी आतंकियों के हमले के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खून और जल एकसाथ नहीं बह सकते, यह इशारा दिया था। साथ ही इसके आगे भारत के हिस्से का जल बहकर पाकिस्तान नहीं पहुँचेगा, इस नज़रिये से भारत ने जम्मू-कश्‍मीर में नदियों पर प्रकल्पों का निर्माण कार्य शुरू करने को तय किया था। इस वजह से पाकिस्तान बेचैन हुआ है।

भारत से बहनेवाली नदियों पर पाकिस्तान की खेती निर्भर है और यह पानी बंद होता है तो पाकिस्तान सूखे रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा, यह ड़र पाकिस्तानी विशेषज्ञ लगातार व्यक्त कर रहे हैं।

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