‘ओबामा की तरह ट्रम्प भी पाकिस्तान के संदर्भ में एकतरफ़ा नीति अपनायेंगे’ : पाकिस्तान के पूर्व राजदूत का दावा

वॉशिंग्टन: अमरिका से तक़रीबन ३३ अरब डॉलर की आर्थिक सहायता पाने के बावजूद भी पाकिस्तान की आतंकवादी नीतियों में बदलाव नहीं आया है| इस वजह से, अमरिकी सत्ता की बाग़डोर हाथ में लेनेवाले डोनाल्ड ट्रम्प को भी पाकिस्तान के सिलसिले में, राष्ट्राध्यक्ष ओबामा की तरह एकतरफ़ा नीति अपनानी पड़ेगी, ऐसा पाकिस्तान के पूर्व अमरिकी राजदूत हुसेन हक्कानी का मानना है।

hussain_hakkani‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ इस अमरिकी दैनिक के अनुसार, हक्कानी ने पाकिस्तान के सिलसिले में ट्रम्प द्वारा अपनायी जानेवाली संभाव्य नीति की रूपरेखा रखी है| राष्ट्राध्यक्ष ओबामा ने, पाकिस्तान के अबोटाबाद में छिपे ‘अल कायदा’ के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को ख़त्म करने के लिए, अपने सैन्य पथक को निडरता से घुसने के आदेश दिए थे| इसी तरह ट्रम्प को भी, पाकिस्तान के संदर्भ में नीति तय करनी पडेगी| यही नहीं, बल्कि हुसेन हक्कानी के मन में गहरी आशंका है कि ट्रम्प का प्रशासन पाकिस्तान को दिए गए ‘नॉन-नाटो अलाय’ अर्थात् ‘जो नाटो सदस्य नहीं है ऐसा सामरिक सहकारी देश’ इस दर्जे को निकाल भी सकता है |

अब तक अमरीका ने पाकिस्तान को ३३ अरब डॉलर की आर्थिक सहायता दी है| लेकिन यह सहायता पाने के बावजूद भी पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों में कोई भी बदलाव नहीं आया है| अभी भी पाकिस्तान में आतंकवादी तैयार करने का काम जारी है| इस वजह से, ओबामा की तरह ट्रम्प को भी पाकिस्तान के सिलसिले में ‘एकतरफ़ा’ नीति बनाए रखनी होगी, ऐसा हक्कानी ने ठोस रूप से कहा| पाकिस्तान के अमरीका स्थित पूर्व राजदूत रहे हुसेन हक्कानी ने, लगातार पाकिस्तानी सेना के खिलाफ और इस देश की आतंकवादी नीतियों के खिलाफ ठोस भूमिका अपनाई है| इस वजह से, पाकिस्तान की सेना और सेना से संलग्न विश्‍लेषक हक्कानी को ‘देशद्रोही’ कहते हैं|

नियोजित अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की सरकार की, पाकिस्तान के सिलसिले में नीति आक्रामक होगी, ऐसी चिंता पाकिस्तानी विश्‍लेषक जता रहे हैं| उसी समय ट्रम्प ने, अमरीका के ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार’ के पद पर, निवृत्त जनरल मायकल फ्लिन की नियुक्ति करने का निर्णय घोषित किया है| इस घोषणा के बाद पाकिस्तान की सेना और सत्ताधारी सर्कल में बेचैनी छा गई है| सन २०१२ से २०१४ के बीच जनरल फ्लिन अमरीका की ‘डिफेन्स इंटेलिजन्स एजन्सी’ के प्रमुख के पद पर कार्यरत थे| अफगानिस्तान में भी उन्होंने अमरीका के लिए विशेष कार्य किया था।| ‘अफगानिस्तान और पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र हैं और अमरीका ने अफगानिस्तान से सेना को वापस बुला ली, तो यह संपूर्ण क्षेत्र आतंकवाद की गिरफ़्त में चला जायेगा’ ऐसी चेतावनी फ्लिन ने इससे पहले भी दी थी|

‘जो देश अमरीका के दोस्त होने का दिखावा करते हैं, लेकिन वास्तव में अमरीका के हितों के खिलाफ काम करते हैं, ऐसे देशों को सबक सिखाना ही होगा’, ऐसा वक्तव्य फ्लिन ने अपनी किताब में किया था| पाकिस्तान के सिलसिले में फ्लिन की भूमिका बहुत ही कड़ी है और अमरीका के ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार’ के तौर पर फ्लिन पाकिस्तान के लिए काफ़ी ख़तरनाक साबित हो सकते हैं, ऐसा दावा पाकिस्तानी विश्‍लेषक कर रहे हैं|

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