ईशान कोण भारत में आतंकी गतिविधियां कर रहे ‘एनएससीएन-के’ संगठन ने दिखाई शांतिवार्ता में शामिल होने की तैयारी

गुवाहाटी – ईशान कोण भारत में आतंकी गतिविधियां करने वाली ‘नैशनल सोशलिस्ट कौन्सिल ऑफ नागालैण्ड-खपलांग’ (एनएससीएन-के) संगठन ने युद्धविराम करके शांतिवार्ता में शामिल होने की तैयारी दिखाई है। भारत सरकार नागा समस्या का हल निकालने की गंभीरता से कोशिश करती हुई दिख रही है। इस वजह से जल्द से जल्द इस मसले का हल निकालने के लिए ‘एनएससीएन-के’ शांतिवार्ता का समर्थन करती है, ऐसा ऐलान इस संगठन का नेता निकी सुमी ने किया है। ईशान कोण भारत में पूरी तरह से शांति स्थापित करने के नज़रिये से ‘एनएससीएन-के’ ने युद्धविराम का किया ऐलान सरकार की बड़ी कामयाबी साबित होती है। क्योंकि, सरकार के साथ शांतिवार्ता अब तक दूर रही भारतीय मूल के नागा नेताओं की यह आखिरी संगठन है। साथ ही बीते छह-सात वर्षों में इसी संगठन ने ईशान कोण भारत में अधिकांश हिंसक गतिविधियां की हैं।

india-nscn-kम्यानमार में रहकर ईशान कोण भारत में हिंसक गतिविधियां कर रहे ‘एनएससीएन-के’ के प्रमुख निकी सुमी ने एक पत्र जारी करके युद्धविराम का ऐलान किया। वर्ष २०१५ में ‘एनएससीएन-के’ ने सरकार के साथ किया युद्धविराम तोड़कर बड़ी मात्रा में हिंसक गतिविधियां की थीं। इस वर्ष मणीपुर के चांड़ेल में सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले में १८ सैनिक शहीद हुए थे। ‘एनएससीएन-के’ ने किए इस हमले के प्रमुख आरोपियों में से निकी सुमी एक है और उसके सिर पर १० लाख का ईनाम भी घोषित किया गया है।

‘एनएससीएन’ संगठन से अलग होकर ‘एनएससीएन-के’ गठित करनेवाले एस.एस.खपलांग की वर्ष २०१७ में म्यानमानर में मृत्यु हुई। इसके बाद इस संघटन का नेतृत्व न्यमलैण्ग कोनायक के हा्थों में था। लेकिन, उसने नागा के अन्य ‘एनएससीएन-आर’ में प्रवेश किया। यह गुट फिलहाल सरकार के साथ शांतिवार्ता में शामिल हुआ है। इसके बाद ‘एनएससीएन-के’ का नेतृत्व निकी सुमी के हाथों में गया।

‘एनएससीएन-के’ संगठन ने बीते कुछ वर्षों में बड़ी मात्रा में हिंसक गतिविधियां की हैं। सरकार के साथ शांतिवार्ता का विरोध करनेवाले परेश बरूआ की ‘उल्फा-आय’ संगठन ने चीन और म्यानमार में ड़ेरा जमाकर भारत विरोधी गतिविधियां जारी रखी हैं। इसी बीच ‘एनएससीएन-के’ ने भी आतंकी हरकतें जारी रखी थीं। लेकिन, म्यानमार की सेना की सहायता से भारत ने बीते दो वर्षों में मुहिम चलाकर इन आतंकी संगठनों को बड़े झटके दिए। इन मुहिमों से इन संगठनों के कई आतंकी मारे गए। इस वजह से बीते कुछ महीनों में कई आतंकियों ने आत्मसमर्पण भी किया है। ऐसी पृष्ठभूमि पर सरकार के साथ शांतिवार्ता के लिए अब तक जोरदार विरोध करके हिंसा की राह ना छोड़नेवाली ‘एनएससीएन-के’ ने भी अब शांतिवार्ता में शामिल होने के लिए दिखाई तैयारी की ओर देखा जा रहा है।

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