पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का भारत को नया प्रस्ताव

रियाध – ‘भारत और पाकिस्तान के बीच कश्‍मीर ही एक मात्र समस्या है। इस समस्या का हल बातचीत के माध्यम से निकले तो दोनों देशों को सहयोग से विशाल लाभ मिलेंगे। भारत को मध्य एशियाई देशों के लिए व्यापारी मार्ग खुल जाएगा। लेकिन, पाकिस्तान ने ‘टी-२० वर्ल्डकप’ स्पर्धा में भारत को पराभूत करने के बाद दोनों देशों की चर्चा के लिए यह सही अवसर नहीं होगा’, ऐसा बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने किया। पाकिस्तान के संघ ने प्राप्त की हुई जीत प्रधानमंत्री इम्रानखान हजम नहीं कर सके हैं, यही बात उनके बयान से स्पष्ट हो रही है। साथ ही भारत के साथ बातचीत करने के लिए धारा ३७० हटाने का निर्णय हटाने की शर्त भी इम्रान खान ने पीछे छोड़ने के संकेत उनके बयान से प्राप्त हो रहे हैं।

नया प्रस्तावअमरिकी समाचार चैनल ने कुछ दिन पहले अमरीका और पाकिस्तान की चर्चा की खबर प्रदान की थी। अफ़गानिस्तान में हमले करने के लिए अमरीका को अपनी सीमा का इस्तेमाल करने देने की तैयारी पाकिस्तान ने दर्शाई है। लेकिन, इसके बदले में पाकिस्तान की सरकार ने भारत के साथ अपने संबंध ‘मैनेज’ करने की शर्त अमरीका के सामने रखी थी। इसमें कश्‍मीर मसले का स्वतंत्र ज़िक्र नहीं था, यह ध्यान आकर्षित करनेवाली बात बनती है। भारत किसी भी स्थिति में कश्‍मीर के मुद्दे पर समझौता नहीं करेगा और इस विषय में अमरीका के दबाव का भी विचार नहीं करेगा, पाकिस्तान की सरकार को यह विश्वास हुआ होगा। ऐसे संकेत अमरिकी समाचार चैनल की इस खबर से प्राप्त हो रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार ने इस खबर से इन्कार किया है, फिर भी भारत के साथ चर्चा करने के लिए इम्रान खान की सरकार काफी उत्सुक है, ऐसे दावे पाकिस्तान के ही कुछ पत्रकारों ने किए हैं।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था फिलहाल खराब स्थिति में है और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश ने पाकिस्तान को अधिक कर्ज़ प्रदान करने से इन्कार किया है। करों की वसूली काफी बढ़ाने के साथ अनुदान बंद करके महसूल बढ़ाए बगैर पाकिस्तान को इसके आगे कर्ज़ नहीं मिलेगा, यह इशारा अंतरराष्ट्रिय मुद्राकोश ने दिया था। इसी बीच पाकिस्तान को ‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ में कायम रखने का निर्णय हुआ है। इसके भयंकर परिणाम पाकिस्तान में दिखाई देने लगे हैं और पाकिस्तान के रुपये का मूल्य गिरावट के साथ प्रति डॉलर १७४ तक पहुँचा है। इससे महंगाई बढ़ी है और रोज़गार का निर्माण भी काफी कम हुआ है। चीन ने ‘सीपीईसी’ प्रकल्प के तहत पाकिस्तान में निवेश बंद कर दिया है। इसके साथ ही पाकिस्तान के दासू बिजली प्रकल्प पर काम कर रहे अपने इंजिनिअर्स की हत्या के लिए पाकिस्तान ३८ दशलक्ष डॉलर्स अदा करे, यह माँग चीन ने रखी है।

इसके अलावा, चीन ने पाकिस्तान को प्रदान किए कर्ज़ का भुगतान करने के लिए कहा है। इससे पाकिस्तान ने फिर से अमरीका के सामने गिड़गीड़ाना शुरू किया हुआ दिख रहा है। साथ ही सौदी अरब इस अपने मित्रदेश के सामने पाकिस्तान ने फिर से हाथ फैलाए है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान इसके लिए सौदी अरब की यात्रा पर जाने की बात कही जा रही है। इस यात्रा के दौरान ही उन्होंने भारत के ताल्लुकात पर बयान किया। साथ ही भारत के लिए मध्य एशियाई देशों में जाने का मार्ग खोलने की लालच भी उन्होंने दी है। यह सबकुछ चीन और अमरीका के अविश्‍वास और नाराज़गी का असर होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। अफ़गानिस्तान में तालिबान की सहायता करके पाकिस्तान ने अमरीका से विश्‍वासघात किया और इसी वजह से इस देश को सबक सिखाना आवश्‍यक है, ऐसा बयान अमरीका के नेता कर रहे हैं। ऐसे समय में चीन भी पाकिस्तान को पीठ दिखाना चाहता है और अब भारत की सहायता के बगैर पाकिस्तान बच नहीं सकेगा, ऐसे दावे पाकिस्तानी माध्यमों के कुछ लोग कर रहे हैं।

इसका असर दिखाई दे रहा है। कुछ महीने पहले पाकिस्तान के सेनाप्रमुख जनरल बाजवा ने भारत को मध्य एशियाई देशों के लिए व्यापार करने के लिए मार्ग खुला करने का प्रस्ताव दिया था। वही प्रस्ताव इम्रान खान नए से दे रहे हैं। लेकिन, भारत ने पाकिस्तान को दूर करके मध्य एशियाई देशों के साथ अलग मार्ग से व्यापार करने की तैयारी की है। यह दिखाई देने के बाद पाकिस्तान इस सहयोग का प्रस्ताव देने लगा है। इस वजह से भारत फिलहाल इस प्रस्ताव को गंभीरता से देखने की संभावना नही हैं।

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