‘कश्मीर मसला सुलझाने पर भी आतंकवाद की समस्या ख़त्म नहीं होगी’ : पाकिस्तान के भूतपूर्व राजदूत का दावा

वॉशिंग्टन, दि. १३ : ‘कश्मीर मसला हल होने के बाद भी चरमपंथीयवाद और आतंकवाद की समस्या ख़त्म नहीं होगी, यह पाकिस्तान ने ध्यान में रखना चाहिए’ ऐसे सख़्त शब्दों में पाकिस्तान के भूतपूर्व राजदूत हुसेन हक्कानी ने अपनी सरकार को सुनाया है| कश्मीर मसला सुलझ गया, तो भारत और पाकिस्तान के बीच सभी समस्याएँ ख़त्म होंगी, ऐसा दावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने किया था| यह दावा हक्कानी ने वॉशिंग्टन में हुए एक कार्यक्रम में झुठला दिया| इस कार्यक्रम में पाकिस्तानी दूतावास के कुछ राजनयिक अधिकारी भी मौजूद थे| इस समय पाकिस्तान के कुछ गुटो ने, हक्कानी ये भारत के खुफिया एजन्सी के ‘एजंट’ हैं, ऐसा आरोप लगाकर कार्यक्रम में बाधा ड़ालने की कोशिश की|

‘कश्मीर मसलाकुछ दिन पहले, अमरीका के दस मान्यताप्राप्त अभ्यासगुटो ने मिलकर, ‘अ न्यू युएस अप्रोच टू पाकिस्तान : इन्फोर्सिंग एड कंडिशन्स विदाऊट कटींग टाईज्’ इस शीर्षक से रिपोर्ट तयार किया था| इस रिपोर्ट में पाकिस्तान की आतंकवादी नीति रोकने के लिये की जा सकनेवालीं उपाययोजनाओं के सुझाव ट्रम्प प्रशासन को दिये गये हैं| इस रिपोर्ट की सहलेखिका और हेरिटेज फाऊंडेशन की विश्‍लेषिका लिझ कर्टिस और जॉर्जटाऊन युनिव्हर्सिटी की अभ्यासिका ख्रिस्तिन फेअर इस कार्यक्रम में मौजूद थीं|  इस कार्यक्रम में पाकिस्तान ने कश्मीरसंबंध में की हुईं रचनाओं की हुसेन हक्कानी ने ख़बर ली|

अफगानिस्तान और पाकिस्तान में, अपने विरोध में खड़े रहनेवाले हर एक को मारने की कोशिश करनेवाले तालिबानी, कश्मीर का मसला सुलझने के बाद शांत कैसे बैठ सकते हैं, ऐसा सवाल हक्कानी ने किया| पाकिस्तान ‘कश्मीर यही सारी समस्या की जड़ है’ ऐसा दावा पाकिस्तान कर रहा है| लेकिन यह गलत बात है, ऐसा हक्कानी ने कहा| कश्मीर मसला यदि सुलझाया गया, तो भी कट्टरता, चरमपंथीयवाद और आतंकवाद की समस्या ख़त्म होना नामुमक़िन है, ऐसा हक्कानी ने आगे कहा| उनके इस आक्रामक बयानबाजी पर कुछ पाकिस्तानी गुटों के सदस्यों ने ऐतराज़ जताकर हक्कानी के खिलाफ नारेबाज़ी की| ‘हक्कानी भारत के ‘रॉ’ के एजंट हैं’ ऐसा आरोप इन गुटों ने किया| इसके कारण इस कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न हुई; वहीं, इनमें से कुछ लोगों को सभागृह से निकाल बाहर कर दिया गया|

पाकिस्तानी दूतवास के कुछ सदस्य इस कार्यक्रम में मौजूद थे| उन्होंने, ट्रम्प प्रशासन को कश्मीर मसले से दूर रहने की सलाह देने वाले इस रिपोर्ट पर सख़्त ऐतराज़ जताया| ‘उल्टे ट्रम्प प्रशासन को कश्मीर समस्या हल करने के लिए मध्यस्थता करनी चाहिए। कश्मीर मसला ही भारत और पाकिस्तान के बीच की समस्या की जड़ है, ऐसा दावा इन अधिकारियों ने किया| इसके जवाब में ख्रिस्तिन फेअर ने, पाकिस्तान जबरन कश्मीर मसले पर दूसरों को बीच में नहीं ला सकता, ऐसी फटकार लगाई| साथ ही, पाकिस्तान ने कश्मीर का इलाक़ा गैरक़ानूनी तरीके से अपने कब्जे में लिया है, इसपर भी फेअर ने ग़ौर फ़रमाया|

जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार के तथाकथित उल्लंघन के आरोप भी ख्रिस्तिन फेअर ने ठुकराये हैं| जम्मू-कश्मीर भारतीय सेना के कब्जे में नहीं है, बल्कि यहाँ लोकनियुक्त प्रशासन कामकाज़ चला रहा है| १५ साल पहले कश्मीर की आज़ादी के लिये हाथ में हथियार लेनेवाले एक शख़्स से मेरी मुलाकात हुई थी| लेकिन फिलहाल यह नेता जम्मू-कश्मीर की सरकार में मंत्री है, ऐसा कहकर फेअर ने, ‘कश्मीर की समस्या शांत होती जा रही है ऐसा दावा किया| वहीं, २००४ से २००७ की कालावधि में भारत और पाकिस्तान के संबंध अच्छे स्थिति में थे| वैसे हालात बरक़रार रहें तो वे दोनो देशों के हित में होगा, इस सच का स्वीकार पाकिस्तान ने करना चाहिए, ऐसी सलाह लिझ कर्टिस ने पाकिस्तान को दी|

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