‘जापान के लिए भारत चीन के खिलाफ नहीं जायेगा’ : चीन के सरकारी अख़बार का दावा

बीजिंग: ‘जापान की चीनविरोधी व्यूहरचना में भारत अपना प्यादे की तरफ इस्तेमाल नहीं होने देगा| भारत जापान के साथ सहयोग करेगा, जापान के निवेश के लिए प्रयास करेगा| लेकिन जापान की इच्छा के अनुसार भारत अपनी नीति में बदलाव नहीं करेगा’ ऐसा विश्‍वास ‘द ग्लोबल टाईम्स’ इस चीन के सरकारी अख़बार ने जताया है| साथ ही, ‘भारत के साथ नागरी (असैन्य) परमाणु समझौता करके जापान ने अपनी पारंपरिक परमाणु नीति बदली है, इसके पीछे भारत को अपनी तरफ खींचने के जापान के प्रयास हैं’ ऐसा आरोप चीन के अख़बार ने किया है|

Global-Timesभारत के प्रधानमंत्री के जापान दौरे में दोनों देशों के बीच नागरी परमाण समझौता संपन्न हुआ| इसका बड़ा लाभ भारत के मिलनेवाला है और भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता का मार्ग इस समझौते की वजह से खुला है, ऐसा कहा जा रहा है| दोनों देशों के बीच का सामरिक सहयोग, इस परमाणु समझौते की वजह से और भी दृढ़ एवं व्यापक हुआ है| लेकिन भारत और जापान के बीच के इस बढ़ते सहयोग पर चीन के ‘ग्लोबल टाईम्स’ इस अख़बार के संपादकीय में नाराज़गी जताई गई है| ‘पिछले कुछ वर्षो से जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऍबे चीन के खिलाफ व्यूहरचना रच रहे हैं और उसके लिए चीन के पडोसी देशों का इस्तेमाल कर रहे हैं| चीन को रोकने के लिए भारत का इस्तेमाल करने की चाल ऍबे चल रहे हैं| लेकिन भारत जापान के इन प्रयासों को प्रतिसाद नहीं देगा| जापान की चीनविरोधी व्यूहरचना का मोहरा बनना भारत कभी भी मंज़ूर नहीं करेगा’ ऐसा दावा इस संपादकीय में किया गया है|

‘भारत और चीन के बीच के विवादों का इस्तेमाल करते हुए जापान भारत को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहा है| लेकिन भारत को केवल जापान के निवेश में दिलचस्पी है| साथ ही, जापान की ओर से उच्च दर्जे की टेक्नॉलॉजी और अन्य सहायता हासिल करने की भारत कोशिश करेगा| लेकिन जापान को चाहिए वैसे अपने नीति में बदलाव करना, यह भारत कतई नहीं मानेगा| भारत को, चीन और जापान के साथ बराबरी करनेवाले प्रभावी देश के तौर पर उदयित होना है| साथ ही, चीन से भी भारत फ़ायदा उठाना चाहता है| इसीलिए जापान को अनुकूल हों, ऐसी चीनविरोधी नीति भारत नहीं अपनाएगा| इस सिलसिले में भारत की नीति व्यवहार को देखते हुए होगी, ऐसा ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने अपने संपादकीय में कहा है|

चीन के खिलाफ़ भारत जापान का साथ नहीं देगा, ऐसा भरोसा देनेवाले इस अख़बार ने, कुछ ही दिन पहले प्रकाशित कीं खबरों में भारत को धमकी दी थी| ‘साऊथ चायना सी क्षेत्र के सागरी विवाद में यदि भारत ने चीन के खिलाफ और जापान के समर्थन में भूमिका अपनाई, तो भारत के लिए महँगा साबित होगा’ ऐसा इस अख़बार ने कहा था| इस तीन दिन भी नहीं बीते कि ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भारत की नीति पर विश्‍वास जताया है, ऐसा दिखाई दे रहा है|

जापान के प्रधानमंत्री ऍबे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन को रोकने के लिए भारत का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहै हैं| लेकिन इस क्षेत्र में चीन को रोकने की क्षमता भारत के पास नहीं, ऐसा दावा इस दैनिक ने किया है|

डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष पद पर आ रहे हैं, तभी जापान के प्रधानमंत्री काफ़ी बेचैन हुए हैं; क्योंकि ट्रम्प ने ऐसा घोषित किया था कि यदि राष्ट्राध्यक्षपद पर चुनकर आया, तो मैं जापान की लष्करी सहायता बंद कर दूँगा| इस वजह से जापान अमरीका के भरोसे नहीं रह सकता, ऐसा इस संपादकीय में नमूद किया गया है| ‘साथ ही, ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र के फिलिपाईन्स, मलेशिया व व्हिएतनाम के नेताओं ने अपनी चीनविरोधी भूमिका में बदलाव किए हैं| इस वजह से जापान के प्रधानमंत्री की बेचैनी और भी बढ़ी है, ऐसा दावा किया गया है|

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