उइगरवंशियों का गुलामों जैसा इस्तेमाल करनेवाली चिनी हुकूमत के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाएँ – जी७’ को ‘इंटर पार्लमेंटरी अलायन्स ऑन चायना’ का आवाहन

‘इंटर पार्लमेंटरी अलायन्स ऑन चायना’वॉशिंग्टन/लंडन – चीन की सत्ताधारी हुकूमत चीनची सत्ताधारी राजवट उइगरवंशीय तथा अन्य अल्पसंख्यकों का गुलाम मजदूरों की तरह इस्तेमाल कर रही होकर, उस पर रोक लगाने के लिए ‘जी७’ देश ‘ग्लोबल सप्लाई चेन’ में सुधार करने के लिए पहल करें, ऐसा आवाहन विभिन्न देशों के संसद सदस्यों ने किया है। ‘इंटर पार्लमेंटरी अलायन्स ऑन चायना’ इस गुट ने ‘जी७’ सदस्य देशों के राष्ट्र प्रमुखों को खुला पत्र लिखा है। इसमें चीन द्वारा किया जाने वाला मानवाधिकारों का उल्लंघन और ‘बेल्ट ऍण्ड रोड’ परियोजना का दमनतंत्र के लिए किया जानेवाला इस्तेमाल, इस पर गौर फरमाया गया है।

दो साल पहले २० देशों के लगभग ४० संसद सदस्यों ने एकसाथ आकर ‘इंटर पार्लमेंटरी अलायन्स ऑन चायना’ इस गुट की स्थापना की गई थी। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तथा संबंधित देशों की संसद में चीन की हरकतों के खिलाफ आक्रामक आवाज उठाकर, उसपर गौर फरमाना यह इस गुट का मुख्य उद्देश्य है। इसमें अमरीका और ब्रिटेन समेत विभिन्न युरोपीय देशों के प्रभावशाली संसद सदस्यों का समावेश होने के कारण, इस गुट के उपक्रम गौरतलब साबित हुए हैं। चीन की सत्ताधारी हुकूमत भी, इस गुट द्वारा जारी गतिविधियों की दखल लेने पर मजबूर होने की बात इससे पहले सामने आई है।

‘इंटर पार्लमेंटरी अलायन्स ऑन चायना’ब्रिटेन में इन दिनों ‘जी७’ गुट की बैठक जारी होकर, इस बैठक में कोरोना की महामारी और चीन की बढ़ती हरकतों का मुद्दा एजेंडा पर होने की बात बताई जा रही है। इस पृष्ठभूमि पर, ‘इंटर पार्लमेंटरी अलायन्स ऑन चायना’ ने लिखा खुला पत्र महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पत्र पर ‘जी७’ सदस्य देशों के १४ संसद सदस्यों समेत युरोपीय संसद के २ सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। पत्र में चीन द्वारा हॉंगकॉंग, ताइवान और साउथ चाइना सी में जारी हरकतों का उल्लेख है। लेकिन उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों के मुद्दे का विशेष ज़िक्र किया गया है।

‘चीन के झिंजिआंग प्रांत में कपास से लेकर सौर ऊर्जा पैनल तक कई उत्पादनों का बड़े पैमाने पर निर्माण होता है। यह प्रांत अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादन की सप्लाई चैन का महत्वपूर्ण भाग बना है। चीन की हुकूमत इसी प्रांत के उइगरवंशीय तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदायों का इस्तेमाल गुलाम मजदूरों की तरह कर रही है। यह एक बड़ी चुनौती होकर, अगर समय पर ही आक्रामक कार्रवाई नहीं की, तो दुनियाभर की कंपनियाँ और ग्राहक अप्रत्यक्ष रूप में चिनी हुकूमत की हरकतों का भाग साबित होंगे’, इसपर संसद सदस्यों ने गौर फरमाया है।

‘जी७’ देशों को चाहिए कि वे एकत्रित रूप में जागतिक स्तर पर सप्लाई चैन में पारदर्शिता लाने के लिए तथा सुधार लाने के लिए पहल करें, ऐसी आग्रही माँग ‘इंटर पार्लमेंटरी अलायन्स ऑन चायना’ ने की है। उसके लिए , गुलाम कामगारों का इस्तेमाल होनेवाले उत्पादनों की आयात पर पाबंदी लगाने जैसे फैसले करने की ज़रूरत है, ऐसा पत्र में जताया गया है।

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