ब्रिटेन-अमरीका का नया ‘अटलांटिक चार्टर’

लंदन/वॉशिंग्टन – ‘वर्ष १९४१ की तुलना में वर्तमान विश्‍व काफी अलग है, फिर भी ब्रिटेन और अमरीका आज भी समान मूल्यों पर उतना ही विश्‍वास रखते हैं’, इन शब्दों में ब्रिटेन और अमरीका दोनों ने एक-दूसरे के संबंध अधिक मज़बूत करनेवाले ‘अटलांटिक चार्टर’ को लेकर सहमति दर्शायी है। इस नए ‘अटलांटिक चार्टर’ में व्यापार, रक्षा, सायबर सुरक्षा, मौसम में हो रहे बदलाव, कोरोना की महामारी, यात्रा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के सहयोग का दायरा बढ़ाने के संकेत दिए गए हैं। दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के उस समय के प्रधानमंत्री विन्स्टन चर्चिल और अमरीका के उस समय के राष्ट्राध्यक्ष फ्रैंकलिन डी.रूज़वेल्ट ने बुनियादी ‘अटलांटिक चार्टर’ को मंजूरी प्रदान की थी।

US-UK-Atlantic-Charter-300x178ब्रिटेन में शुक्रवार से ‘जी ७’ गुट की बैठक शुरू हो रही है और उससे पहले अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन की द्विपक्षिय बैठक होगी। गुरूवार के दिन आयोजित हो रही इस बैठक में दोनों देशों के प्रमुखों के साथ उच्चस्तरीय शिष्टमंडल भी शामिल हो रहा है। कोरोना की महामारी और चीन एवं रशिया का बढ़ता खतरा यह प्रमुख मुद्दे इस बैठक का प्रमुख अजेंड़ा होगा, ऐसे संकेत दोनों देशों के सूत्रों ने दिए हैं। ‘अटलांटिक चार्टर’, इस बैठक का एक अहम मुद्दा होने की बात कही जा रही है। २१वीं सदी में अमरीका और ब्रिटेन जैसे मुक्त समाज कौनसे मूल्यों पर विश्‍वास रखते हैं, इसका यह ‘अपडेटेड स्टेटमेंट’ होगा, ऐसा बयान अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने किया है।

US-UK-Atlantic-Charter-01वर्ष १९४१ में अमरीका और ब्रिटेन के राष्ट्रप्रमुखों के हस्ताक्षर वाले ‘अटलांटिक चार्टर’ दो देशों के ‘स्पेशल रिलेशनशिप’ की नींव समझी जाती है। दूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद स्थापित किए गए अलग अलग अंतरराष्ट्रीय उपक्रमों में अमरीका और ब्रिटेन ने की हुई पहल ‘अटलांटिक चार्टर’ का ही कार्यान्वयन था, ऐसा कहा जा रहा है। चीन से शुरू हुई कोरोना की महामारी और इस महामारी ने विश्‍वभर में मचाए कोहराम की पृष्ठभूमि पर अमरीका और ब्रिटेन ने फिर से ‘अटलांटिक चार्टर’ का विकल्प अपनाना ध्यान आकर्षित करता है।

बीते कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा चीन का प्रभाव और रशिया की आक्रामकता जैसे मुद्दे लगातार सामने आ रहे हैं। इन मुद्दों पर अमरीका और यूरोपिय देशों के मतभेद भी लगातार सामने आए थे। लेकिन, कोरोना की महामारी के पीछे चीन का हाथ होने की बात स्पष्ट होना शुरू होते ही अमरीका और यूरोपिय देश फिर एक बार करीब आने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। ब्रिटेन में हो रही ‘जी ७’ की बैठक इसी नज़रिये से अहम समझी जा रही है। इस बैठक से पहले अमरीका और ब्रिटेन के संबंधों को अधिक मज़बूती प्रदान करनेवाले ‘अटलांटिक चार्टर’ पर हस्ताक्षर होना यह एक निर्णायक घटना होने का मत विश्‍लेषकों ने व्यक्त किया है।

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