चीन को छोड़कर अन्य देशों में निवेश करें – चान्सलर मर्केल का चीन को झटका

बर्लिन – जर्मन कंपनियां चीन के अलावा एशिया के अन्य देशों में निवेश करें, इन शब्दों में जर्मन चान्सलर एंजेला मर्केल ने चीन ने यूरोप को लेकर रखे इरादों को झटका दिया हैं। चान्सलर मर्केल ने व्यापार के मुद्दे पर चीन को सुनाने की यह इस महीने की दूसरी घटना है। यदि, यूरोपियन कंपनियों को इसके आगे चीन का बाज़ार उपलब्ध कराया नहीं जाता है तो चीनी कंपनियों को भी यूरोप के बाज़ार में प्रवेश नहीं मिलेगा, इसका अहसास चीन की हुकूमत रखे’, यह इशारा जर्मन चान्सलर एंजेला मर्केल ने दिया था।

कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर यूरोप में भी चीन के विरोध में असंतोष तीव्र हो रहा है। कोरोना की महामारी को संभालने की चीन की हुकूमत की पद्धती और साथ ही हाँगकाँग एवं उइगरवंशियों को लेकर किए गए निर्णय यूरोप की नाराज़गी का प्रमुख कारण हैं। चीन के साथ जारी संबंधों के मुद्दे पर यूरोपिय महासंघ ने दिए इशारे एवं आवाहन भी चीन ने ठुकराए होने की बात दिखाई पड़ी है। इस पृष्ठभूमि पर यूरोप के प्रमुख देश जर्मनी के राष्ट्रप्रमुख ने चीन को झटका देनेवाला बयान करना अहमियत रखता है।

जर्मनी में हाल ही में एशिया-पैसिफिक कान्फरन्स ऑफ जर्मन बिज़नेस का आयोजन किया गया था। इस बैठक में चान्सलर एंजेला मर्केल एवं वाणिज्य मंत्री पीटर अल्टमायर उपस्थित थे। इस दौरान दोनों नेताओं ने जर्मन कंपनियां एशियाई बाज़ार पर विचार करते समय चीन को छोड़कर अन्य देशों में निवेश करें, यह आवाहन किया। जर्मनी से एशिया में हो रही कुल निर्यात में से तीन चौथाई निर्यात पूर्व एशिया और इसमे की ५० प्रतिशत चीन में होती है। इसके आगे जर्मन कंपनियां अन्य एशियाई देशों में निवेश करें और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के नए बाज़ारों पर ध्यान दें। जर्मन सरकार इसके लिए उचित सुधार करके आवश्‍यक दायरा तय करेगा, इन शब्दों में चान्सलर मर्केल ने जर्मन उद्योग चीन से बाहर निकलने की तैयारी करें, यह सूचक संकेत भी दिए।

वाणिज्य मंत्री पीटर अल्टमायर ने भी जर्मन कंपनियां एशियाई बाज़ार में निवेश बढ़ाने के दौरान चीन के आगे जाकर विचार करें, यह आवाहन किया। कुछ दिन पहले ही जर्मनी ने नई इंडो-पैसिफिक नीति का ऐलान किया है और उसमें भी व्यापार और निवेश को लेकर नए देशों का विचार करने के संकेत दिए हैं।

फिलहाल महासंघ का अध्यक्षपद जर्मनी के हाथ में है और यूरोपिय कमिशन के प्रमुख पद पर भी जर्मन नेता की नियुक्ती हुई है। इस वजह से महासंघ की नीति एवं निर्णयों में जर्मनी की भूमिका निर्णायक साबित होगी। इससे पहले चीन के लिए यूरोपिय बाज़ार खुले करने के साथ यूरोप और चीन के संबंध मज़बूत करने के लिए जर्मनी ने पहल की थी। इस वजह से अब चान्सलर एंजेला मर्केल और अन्य नेताओं ने चीन के विरोध में नाराज़गी दिखानेवाले खुलेआम बयान करना ध्यान आकर्षित करनेवाले साबित होते हैं। इसका बड़ा असर यूरोप और चीन के संबंधों पर होने की संभावना है और इससे चीन की महत्वाकांक्षा को जोरदार झटका लग सकता है।

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