‘एससीओ’ की बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री का चीन और पाकिस्तान को संदेश

नई दिल्ली – ‘शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनायझेशन’ (एससीओ) की २० वीं परिषद में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे। गलवान के संघर्ष के बाद लद्दाख की ‘एलएसी’ पर भारत-चीन सीमा विवाद काफी हद तक बिगड़ा होकर, ‘एससीओ’ की इस वर्चुअल बैठक के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग पहली बार आमने-सामने आए। लेकिन, द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करना टालने के ‘एससीओ’ के संकेतों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने इस दायरे में रहकर चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान को तीखे बोल सुनाए।

बुनियादी सुविधाओं की परियोजनाओं के माध्यम से दोनों देशों में कनेक्टिव्हिटी बढ़ाने के साथ ही, एक-दूसरें की संप्रभुता का सम्मान करना भी अनिवार्य होता है, यह बयान प्रधानमंत्री मोदी ने किया। इसके ज़रिये लद्दाख की ‘एलएसी’ का उल्लंघन करने की कोशिश कर रहें चीन को भारतीय प्रधानमंत्री ने उचित संदेश दिया है। साथ ही, आतंकवाद का मुद्दा उपस्थित करके प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का सीधा ज़िक्र किए बिना फटकार लगाई।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद का विस्तार किए बिना यह संगठन अधूरा रहेगा, यह कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत का पुरस्कार किया। ‘एससीओ’ की इस वर्चुअल परिषद पर भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव का साया बना रहा, फिर भी द्विपक्षीय मुद्दे यहाँ पर उपस्थित ना करने का संयम भारतीय प्रधानमंत्री ने दिखाया। साथ ही, चीन और पाकिस्तान जैसें पड़ोसी देशों को आवश्‍यक सख्त संदेश देने का अवसर भी भारत के प्रधानमंत्री ने नहीं गँवाया। साथ ही, कोव्हिड़ प्रतिबंधक टीके का निर्माण होने पर भारत अपने पूरे संसाधनों का इस्तेमाल करके व्यापक मात्रा में इस टीके का निर्माण करेगा, यह वादा भी प्रधानमंत्री ने ‘एससीओ’ से किया है।

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