मलाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को आमंत्रित करके भारत ने दिया चीन को झटका

Malabar-exerciseनई दिल्ली – प्रतिवर्ष हो रहे मलाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को आमंत्रित करके भारत ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को नया झटका दिया है। इस वजह से अब तक राजनीतिक स्तर पर कार्यरत रही भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की ‘क्वाड’ संगठन सामरिक स्तर पर भी सक्रिय हो रही है। लद्दाख की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव जारी है और तभी भारत का यह निर्णय काफी अहमियत रखता है। भारत के इस निर्णय का चीन ने संज्ञान लिया है और इस वजह से भारत की सागरी महत्वाकांक्षा स्पष्ट हुई है, यह दावा चीन के सरकारी मुखपत्र ने दिया।

नवंबर में भारत, अमरीका और जापान की नौसेनाओं का मलाबार युद्धाभ्यास का आयोजन होना है। इस युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल करें, यह माँग अमरीका ने भारत के सामने रखी थी। बीते कुछ सप्ताहों से अमरीका लगातार यह माँग कर रही थी। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के चारों जनतांत्रिक देशों का यह युद्धाभ्यास इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए अहम होने की भूमिका अमरीका ने रखी थी। कुछ दिन पहले जापान में हुए इन चारों देशों की ‘क्वाड’ की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। चीन के साथ बढ़ रहे तनाव की पृष्ठभूमि पर भारत इससे संबंधित निर्णय ले सकता है, यह कहा जा रहा है। ऐसी स्थिति में सोमवार को भारत ने इस वर्ष मलाबार युद्धाभ्यास में शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया को आमंत्रित करके चीन की विस्तारवादी नीति के विरोध में मज़बूत मोर्चा खोलने का संदेश दिया है।

Malabar-exerciseस्वतंत्र, मुक्त एवं सर्वसमावेशक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए ‘क्वाड’ वचनबद्ध है और मलाबार में ऑस्ट्रेलियन नौसेना को आमंत्रिक करने के पीछे भी यही प्रमुख उद्देश्‍य होने की बात भारतीय रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट की। तभी मलाबार युद्धाभ्यास अपने देश के लिए एक बड़ा अवसर है, यह बयान ऑस्ट्रेलिया की रक्षामंत्री लिंडा रेनॉल्ड ने किया है। तभी चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर बड़ी सावधानी से प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मलाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने के निर्णय का चीन ने संज्ञान लिया है और यह निर्णय क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए हितकारक साबित होगा, ऐसी तिरछी प्रतिक्रिया चीन के विदेश मंत्रालय ने व्यक्त की है। तभी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर अपना लष्करी वर्चस्व स्थापित करने की दिशा में भारत की कोशिश हो रही है और मलाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को आमंत्रित करके भारत ने अपने इरादे स्पष्ट किए हैं, ऐसी आलोचना चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने की है। साथ ही ‘क्वाड’ संगठन ‘एशियन नाटो’ नहीं बन सकती, ऐसी टिप्पणी भी इस चीनी मुखपत्र ने की है।

Malabar-exerciseइसी बीच, ऑस्ट्रेलिया को मलाबार युद्धाभ्यास के लिए आमंत्रित करके सामरिक नज़रिये से बड़ी अहम खेली करनेवाले भारत के इस निर्णय पर विश्‍वभर के लष्करी विश्‍लेषक प्रतिक्रिया दर्ज़ कर रहे हैं। पांच वर्ष पहले जापान और अब ऑस्ट्रेलिया को मलाबार युद्धाभ्यास में शामिल करके भारत ने किसी के भी दबाव का शिकार नहीं होंगे, यह स्पष्ट संदेश अपने इस निर्णय से दिया है, यह यूरोप के विश्‍लेषकों का कहना है। तभी चीन के साथ बने तनाव की पृष्ठभूमि पर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को मलाबार युद्धाभ्यास में शामिल करने के लिए चुना हुआ समय सबसे अहम साबित होता है, ऐसा अमरीका स्थित ‘रैण्ड कॉर्पोरेशन’ के वरिष्ठ अभ्यासक डेरेक ग्रॉसमैन ने कहा है।

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