ईईझेड में अमरीका के अभ्यास पर भारत ने जताया ऐतराज़

नई दिल्ली/वॉशिंग्टन – भारत के लक्षद्वीप से लगभग १३० सागरी मील की दूरी पर अमरीका के युद्धपोत ने ‘फ्रीडम ऑफ नॅव्हिगेशन’ नामक मुहिम हाथ में ली थी। ७ अप्रैल को अमरिकी नौसेना के ‘युएसएस जॉन पॉल जोन्स’ युद्धपोत के जरिए चलाई गई मुहिम पर भारत ने ऐतराज़ जताया है। यह इलाका भारत के ‘एक्सक्ल्युझिव्ह इकॉनॉमिक झोन’ (ईईझेड) में आता है। इस कारण यहाँ पर अभ्यास और विस्फोटकों का इस्तेमाल आदि के लिए भारत से पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है, इसकी याद भारत के विदेश मंत्रालय ने करा दी। वहीं, अमरीका ने, अपना यह अभ्यास अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार है ऐसा बताकर, इससे पहले भी अमरीका ने इस प्रकार का अभ्यास किया था, ऐसा दावा किया है। भारत ने हालांकि इस दावे को ठुकरा दिया है, लेकिन चीन के विरोध में खड़े हो रहे क्वाड संगठन को भीतर से ही कमजोर बनाने की साज़िश बायडेन के प्रशासन द्वारा रची जाएगी, ऐसा कुछ विश्लेषकों ने व्यक्त किया शक सच होता इससे दिखाई दे रहा है।

भारत के ईईझेड में युद्धाभ्यास किया होने की बात अमरीका ने मान्य की है। लेकिन उसमें कुछ नयी बात नहीं है। आन्तर्राष्ट्रीय परिवहन की स्वतंत्रता के लिए इस प्रकार के अभ्यास करने के लिए अमरीका को किसी की भी अनुमति की जरूरत नहीं है। यह अभ्यास अन्तर्राष्ट्रीय कानून से सुसंगत है, ऐसा अमरीका ने कहा है। अलग शब्दों में, भारत ने इसपर जताये ऐतराज़ों की वह परवाह नहीं करेगी, यही अमरीका दर्शा रही है। भारत के विदेश मंत्रालय ने अमरीका का यह दावा ठुकराया है। यह अभ्यास अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार नहीं है, उसके लिए अमरिकी नौसेना ने भारत की पूर्वअनुमति लेना आवश्यक ही था, ऐसा विदेश मंत्रालय ने जताया है। साथ ही, राजनीतिक स्तर पर यह मुद्दा उपस्थित किया जाएगा, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने निवेदन में कहा है। इसके द्वारा, भारत अमरीका की इन हरकतों को अनदेखा नहीं करेगा, यह संदेश दिया जा रहा है।

एक तरफ चीन के विरोध में खड़ी होनेवाली अमरीका को भारत के सहयोग की बहुत ही आवश्यकता होने के दावे अमरीका के वरिष्ठ लष्करी अधिकारी कर रहे हैं। कुछ दिन पहले भारत के दौरे पर आए अमरीका के रक्षामंत्री ने भी, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की बहुत ही अहम भूमिका होगी, ऐसे दावे किए थे। ऐसी परिस्थिति में, जब इस सागरीक्षेत्र में चीन की नौसेना द्वारा आक्रामक गतिविधियाँ कीं जा रही हैं, तब भारत के ईईझेड में अभ्यास करके अमरीका ने भारत को उकसाया है। इसके जरिए ‘क्वाड’ को भीतर से कमज़ोर बनाने की अमरीका के बायडेन प्रशासन की चाल होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

चीन की आक्रामक हरकतों के कारण फिलहाल बायडेन के प्रशासन को, चीन के विरोध में भूमिका अपनानी पड़ रही है। लेकिन यह विरोध शाब्दिक होगा और बायडेन प्रशासन की चीनविरोधी कार्रवाई ऊपरी तौर पर होगी। वास्तव में चीन को चुनौती देनेवाला कोई भी कठोर फैसला बायडेन का प्रशासन नहीं करेगा। उल्टे क्वाड जैसे, चीन के विरोध में खड़े हो रहे संगठन को भीतर से कमज़ोर कैसे किया जा सकता है, इसी का विचार बायडेन का प्रशासन करेगा, ऐसा शक कुछ विश्लेषकों ने ज़ाहिर किया था। बायडेन प्रशासन के कदम उस दिशा में पड़ने लगे हैं, ऐसे संकेत ईईझेड में किया गया यह अभ्यास दे रहा है। इस पर भारत से आई प्रतिक्रिया का इस्तेमाल करके बायडेन का प्रशासन भारत के साथ के संबंधों पर और उससे क्वाड पर विपरीत असर करवा सकता है। इसका सर्वाधिक फायदा चीन को होगा। पिछले कुछ हफ्तों से चीन को फायदेमंद साबित होनेवाले फैसले बायडेन के प्रशासन द्वारा किए जा रहे हैं।

इनमें, म्यानमार की लष्करी बगावत के संदर्भ में सौम्य भूमिका, फिलीपीन्स जैसे देश के सागरी क्षेत्र में चीन की घुसपैठ के बारे में नर्म रवैया, इनका समावेश है। इतना ही नहीं, बल्कि ताइवान की हवाई सीमा का चीन द्वारा लगातार उल्लंघन किया जाता है, इसको भी बायडेन का प्रशासन जानबूझकर नजरअंदाज करता दिख रहा है। इससे यह बात सामने आई है कि ज्यो बायडेन अमरीका की सत्ता में आने के बाद ही चीन की आक्रामकता बेतहाशा बढ़ी है। ऐसी परिस्थिति में, भारत-अमरीका संबंध बिगड़ेंगे ऐसे कारनामे करके क्या बायडेन प्रशासन चीन को उसका फायदा कराके दे रहा है, ऐसा शक करने जैसी स्थिति पैदा हुई है।

बायडेन प्रशासन की इस आत्मघाती नीति की गूँजे सुनाई दे सकती है। चीन से अमरीका को भी होनेवाले खतरों का पूरा एहसास होनेवाले अमरीका के नेता और रक्षा बल के वरिष्ठ अधिकारी, बायडेन प्रशासन को बार-बार भारत का महत्व जता रहे हैं। संकुचित दृष्टि से भारत का विचार ना करें, बल्कि भारत का सामरिक साझेदार देश के रूप में विचार करें, ऐसा इन अधिकारियों का कहना है। उनकी सलाह को नज़रअंदाज करना, आनेवाले समय में बायडेन के प्रशासन को महँगा पड़ सकता है।

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