एलएसी पर तैनात लष्कर के विशेष पथक की सहायता के लिए दस हज़ार अतिरिक्त सैनिक

नई दिल्ली – लद्दाख की एलएसी पर बना तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच चर्चा का ११ वाँ सत्र शुरू हुआ है। उससे पहले चीन ने भारत की एलएसी के नजदीक निर्माणकार्य शुरू करने की खबरें आईं थीं। केवल लद्दाख ही नहीं, बल्कि अरुणाचल प्रदेश की एलएसी के नजदीक भी चीन बड़े पैमाने पर निर्माणकार्य कर रहा होकर, तिब्बत में कड़ी लष्करी तैयारी कर रहा है, यह बात स्पष्ट हुई थी। इसपर भारत कड़ी नजर रखे हैं, ऐसा रक्षा मंत्रालय ने कहा था। उस पृष्ठभूमि पर, चीन के साथ चर्चा का ११ वाँ सत्र शुरू रहते समय, भारतीय लष्कर के ‘१७ माऊंटन स्ट्राईक कॉर्प्स’ को और दस हज़ार सैनिक दिए जायेंगे, ऐसी खबर आई है ।

भारत और चीन के बीच की एलएसी की रक्षा की जिम्मेदारी होनेवाले ‘१७ माऊंटन स्ट्राईक कॉर्प्स’ को और दस हज़ार सैनिकों की आपूर्ति करने का फैसला बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होता है। अगर चीन के साथ युद्ध भड़का ही, तो चीन पर हमला करने की क्षमता ‘१७ माऊंटन स्ट्राईक कॉर्प्स’ के पास है। इसी कारण इस पथक की ताकत बढ़ाकर भारत चीन की युद्ध खोरी को उसी भाषा में प्रत्युत्तर दे रहा है। इससे एसएससी की सुरक्षा अधिक सुनिश्चित होगी। क्योंकि अधिक संख्या में सैनिक उपलब्ध होने के कारण एलएसी पर लश्कर की गतिविधियाँ बढ़ेंगी और उसी मात्रा में चीन को रोकने की क्षमता भी बढ़ेगी। पिछले साल गलवान वैली में चीनी जवानों ने किए हमले के बाद, भारत को इस संदर्भ में फैसला करना पड़ा दिख रहा है।

इसी बीच, शुक्रवार से लद्दाख की एलएसी पर स्थित चुशूल में भारत और चीन के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों की चर्चा शुरू हुई। इस चर्चा में लेफ्टनंट जनरल पीजेके मेनन भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस चर्चा में भारत की ओर से, लद्दाख की एलएसी पर के गोग्रा, हॉट स्पिंग्र और डेप्सांग से चीन के जवान पीछे हटें, ऐसी माँग की जा रही है। साथ ही, लद्दाख की एलएसी पर सन २०२० के अप्रैल महीने की स्थिति स्थापित हो, ऐसा भारत लगातार जताता आया है। वरना दोनों देशों में सौहार्द स्थापित नहीं होगा, ऐसी भारत की स्पष्ट भूमिका है।

भारत के साथ भाईचारे के संबंध और सहयोग अपेक्षित है, तो उसके लिए सीमा पर सौहार्द बनाए रखना आवश्यक है। सीमा पर तनाव होगा, तो भारत से सहयोग की उम्मीद ना रखें, ऐसा भारत के विदेश मंत्री ने चीन को स्पष्ट रूप से जताया था। लेकिन सीमा विवाद बाजू में रखकर, भारत चीन के साथ व्यापारिक सहयोग बनाए रखें, ऐसी अवास्तविक माँगें चीन कर रहा है। उसी समय एलएसी पर लष्करी गतिविधियाँ बढ़ाकर चीन भारत पर हावी होने की कोशिशें छोड़ देने के लिए तैयार नहीं है। ख़ासकर लद्दाख की एलएसी पर बने तनाव के कारण पूरी दुनिया को यह एहसास हो चुका है कि भारत चीन जैसे ताकतवर देश की परवाह न करते हुए उससे टक्कर ले सकता है। इसी समय लद्दाख की ठंड में चीन के जवान कंपकंपा रहे थे, यह बात भी दुनिया से छुपी नहीं थी। इस कारण चीन भारत को लष्करी मोरचे पर झटका देकर, अपनी खोयी हुई प्रतिष्ठा वापस प्राप्त करने की कोशिशें करता दिख रहा है।

इसी कारण लद्दाख की एलएसी से फिलहाल चीन ने हालाँकि वापसी की है, फिर भी चीन का लष्कर एलएसी पर फिर से खुराफात किए बगैर नहीं रहेगा, ऐसा पूर्व लष्करी अधिकारी जता रहे हैं। इसके संकेत चीनी लष्कर की गतिविधियों से मिल रहे हैं। उसी समय ‘१७ माऊंटन स्ट्राईक कॉर्प्स’ के लिए और दस हज़ार सैनिकों की आपूर्ति करके भारत ने भी, चीन को जवाब देते समय किसी भी प्रकार की कसर नहीं छोड़ेंगे, इसका प्रावधान किया दिख रहा है। उसके एक दिन पहले भारतीय वायु सेना के क्षेपणास्त्रों से लैस रफायल विमान एलएसी पर उड़ान भर रहे होने के फोटोग्राफ प्रकाशित किए गए थे। चीन अपने लष्करी सामर्थ्य का प्रदर्शन करके भारत को झुका नहीं सकेगा, ऐसा संदेश इसके जरिए भारत ने दिया है।

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