चीन को रोकने के लिए तैवान को ‘क्वाड’ में शामिल करायें – तैवान के वरिष्ठ नेता का आवाहन

तैपेई – भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन चार जनतंत्रवादी देशों के ‘क्वाड’ में तैवान को भी सहभागी करा लीजिए। यदि चीन को रोकना है, तो तैवान का ‘क्वाड’ में समावेश अहम पड़ाव साबित होगा, ऐसा आवाहन तैवान के वरिष्ठ नेता ‘वँग टिंग-यू’ ने किया। वँग ये तैवान की सत्ताधारी ‘डेमोक्रॅटीक प्रोग्रेसिव्ह पार्टी’ (डिपीपी) के नेता हैं। तैवान यह अपना ही भूभाग होने का दावा करनेवाले चीन से, तैवान के नेता ने किये इस आवाहन पर प्रतिक्रिया आ सकती है।

वँग टिंग-यू ये तैवान की ‘डिपीपी’ के नेता और तैवानी संसद की ‘विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा समिति’ के अध्यक्ष हैं। ऑस्ट्रेलिया के अग्रसर न्यूज़ चैनल ने हाल ही में उनका इंटरव्यू लिया। इस इंटरव्यू में वँग ने, तैवान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सहयोग का नया दालान खोलने के लिए नये नये अवसर उपलब्ध हैं, ऐसा कहा है। तैवान और ऑस्ट्रेलिया ये दोनों जनतंत्रवादी देश होने की बात वँग ने इस समय अधोरेखांकित की।

‘तैवान जनतंत्रवादी देशों के साथ सहयोग स्थापित करना चाहता है। यदि जनतंत्रवादी देशों में सहयोग स्थापित हुआ, फ़ोनों देशों की आर्थिक तथा रक्षाविषयक क्षमता के विकास के लिए उसका बड़ा फ़ायदा होगा’, ऐसा दावा वँग ने किया। ऑस्ट्रेलिया और तैवान के बीच राजनीतिक स्तर पर किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं है। ‘लेकिन कुछ क्षेत्रों में कुछ मात्रा में सहयोग, दोनों देशों के लिए अच्छी दिशा में प्रवास करनेवाला होगा’, ऐसा वँग ने कहा।

ऑस्ट्रेलिया की इस क्षेत्र में भूमिका बढ़ी है, ऐसा कहकर ने ‘क्वाड’ की ओर ऑस्ट्रेलियन न्यूज़ चैनल का ग़ौर फ़रमाया। ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में चीन की आक्रामकता पर रोक लगानी है, तो तैवान जैसे देश को ‘क्वाड’ जैसे संगथन में शामिल करा लेना अहम साबित होगा, ऐसा वँग ने स्पष्ट किया। तैवान यह ‘क्वाड’ का अच्छा सहयोगी देश साबित हो सकता है, ऐसा दावा भी तैवान के इस वरिष्ठ नेता ने किया।

इसी बीच, ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र के देशों में सहयोग स्थापित करने के लिए ‘क्वाड’ की स्थापना हुई है। यह संगठन किसी भी प्रकार से इस क्षेत्र के किसी भी देश की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक नहीं है, यह भारत ने स्पष्ट किया है। लेकिन भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समावेश होनेवाले इस संगठन की स्थापना ही चीन के विरोध में से हुई है। यह संगठन ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का नाटो’ होने की आलोचना चीन के विदेशमंत्री वँग ई ने की थी। उसीके साथ, महीने भर पहले हिंद महासागर क्षेत्र में चल रहे ‘क्वाड’ सदस्य देशों के युद्धअभ्यास पर भी चीन ने ऐतराज़ जताया था।

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