समय पर ही ध्यान नहीं दिया, तो म्यानमार ‘सिरिया’ बन जाएगा – संयुक्त राष्ट्रसंघ की मानवाधिकारों की प्रमुख

myanmar-syriaजीनिव्हा – ‘म्यानमार में लष्करी हुकूमत के दमनतंत्र को खत्म करने के लिए आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय सहयोग करें। अन्यथा सिरिया की तरह म्यानमार में भी व्यापक संघर्ष भड़केगा। सिरिया जैसीं यहाँ भी सशस्त्र बगावतें होंगी’, ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार संगठन की प्रमुख मिशेल बॅशलेट ने दी। म्यानमार में लष्कर ने सत्ता हथियाने के बाद ढाई महीनों की कालावधि बीती है। लोकतंत्र की माँग करनेवाली जनता के आंदोलन में म्यानमार के सशस्त्र गुट और चरमपंथी संगठन भी सहभागी हो रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर, राष्ट्र संघ के मानवाधिकार संगठन ने दी चेतावनी का महत्व बढ़ा है।

पिछले साल नवंबर महीने में म्यानमार में संपन्न हुए चुनावों में गैरव्यवहार हुआ होने का आरोप करके जुंटा हुकूमत ने १ फरवरी को म्यानमार की सत्ता पर कब्जा किया। म्यानमार की लोकतंत्रवादी नेता आँग स्यॅन स्यू की समेत कम से कम ३०० नेताओं को लष्कर ने गिरफ्तार किया है। साथ ही, अपने लोकतंत्रवादी नेताओं की रिहाई के लिए पिछले ढाई महीने से आंदोलन करनेवाले तीन हज़ार से भी अधिक लोगों को लष्करी हुकूमत ने जेल भेजा है।

म्यानमार के लष्कर ने निर्ममता से की कार्रवाई में ७१४ लोगों की मौत होने का दावा किया जाता है। लेकिन मृतकों की संख्या इससे बड़ी होने की चिंता ज़ाहिर की जाती है। कुछ स्थानों पर म्यानमार के लष्कर ने, शांति से प्रदर्शन करनेवालों पर बेतहाशा गोलीबारी की। इतना ही नहीं, बल्कि यंगून के नजदीकी भाग में लड़ाकू विमानों की सहायता से हवाई हमले भी किए गए थे। इस कारण म्यानमार की जुंटा हुकूमत अपनी ही जनता का भीषण हत्याकांड करवा रही है, ऐसी आलोचना संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार संगठन की प्रमुख बॅशलेट ने की।

myanmar-syria‘म्यानमार का लष्कर आंदोलनकारियों के विरोध में निर्ममतापूर्वक हिंसाचार का इस्तेमाल कर रहा है। इसके लिए लष्करी तथा गैरकानूनी हथियारों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। जुंटा हुकूमत ने अपनी ही जनता के खिलाफ शुरू किया यह दमनतंत्र रोकने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय सहयोग करें। अन्यथा म्यानमार में व्यापक संघर्ष भड़कने की संभावना है। सिरिया और अन्य देशों के संदर्भ में जो गलतियाँ हुईं, वे म्यानमार के संदर्भ में नहीं होनी चाहिए’, ऐसी चेतावनी बॅशलेट ने दी।

म्यानमार के हालातों की सिरिया के साथ तुलना करते हुए, सन २०११ में अस्साद हुकूमत ने, लोकतंत्र की माँग करनेवाली अपनी ही जनता पर की कार्रवाई का ज़िक्र बॅशलेट ने किया। दस साल पहले अस्साद हुकूमत ने सिरियन जनता पर इसी प्रकार लष्करी कार्रवाई का इस्तेमाल किया था। इस कारण खौले हुए कुछ कट्टरपंथियों ने सशस्त्र बागी, आतंकवादी संगठनों से मिलीभगत करके संघर्ष का ऐलान किया। म्यानमार में भी हालात कुछ खास अलग ना होने की चेतावनी बॅशलेट ने दी।

कुछ हफ्ते पहले यहाँ के काचिन, शान, कायिन इन प्रांतों में सशस्त्र बागी और म्यानमार का लष्कर इनके बीच संघर्ष भड़कने की खबरें सामने आईं थीं, इसकी याद बॅशलेट ने करा दी। ‘तांग नॅशनल लिबरेशन आर्मी’, ‘म्यानमार नॅशनॅलिटिज् डेमोक्रॅटिक अलायन्स आर्मी’ और ‘आराकान आर्मी’ इन बागी तथा आतंकवादी संगठनों ने पिछले महीने में जुंटा हुकूमत को सशस्त्र संघर्ष की धमकी भी दी थी। उसके बाद अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार गुट ने म्यानमार में गृहयुद्ध भड़कने की चेतावनी दी थी।

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