सरकार ने रोहिंग्या के बारे में विचारपूर्वक निर्णय लिया है- वित्तमंत्री अरुण जेटली

नई दिल्ली: भारत सरकार ने रोहिंग्या शरणार्थी उनके बारे में विचार पूर्वक निर्णय लिया है, ऐसा केंद्रीय अर्थमंत्री वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है। सोमवार के दिन केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिज्ञा पत्र प्रस्तुत करके रोहिंग्या से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होने की बात कही थी। वित्तमंत्री जेटली ने सरकार की भूमिका अधिक स्पष्ट करके प्रस्तुत की है। जिसमें अवैध रूप से घुसपैठ करने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में रहने का अधिकार नहीं है, ऐसा कहा है। उस समय से भारत इस समस्या पर मानवतावादी दृष्टिकोण से देख रहा है जब रोहिंग्या को आश्रय देने वाले बांग्लादेश को भारत ने सहायता दी है, इस बात पर वित्त मंत्री जेटली ने ध्यान केंद्रित किया है।

निर्णय

केंद्र सरकार ने अवैध रूप से देश में घुसपैठ करने वाले ४० हजार रोहिंग्यायों को खदेड़ ने का निर्णय लिया है। इस निर्णय को २ रोहिंग्या शरणार्थियों ने सर्वोच्च सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। हमें इस प्रकार से भारत से बाहर नहीं निकाला जा सकता, ऐसा इस याचिकाकर्ता का कहना है। इस पर सोमवार के दिन केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिज्ञा पत्र प्रस्तुत किया था। इस प्रतिज्ञा पत्र द्वारा केंद्र सरकार ने इस संदर्भ में अपनी भूमिका स्पष्ट की है। रोहिंग्या शरणार्थी के बारे में नीति विचारपूर्वक बनाई गई है। इन में सुरक्षा से जनसंख्या का संतुलन बिगड़ ने जैसे घातक बदलाव तक सभी बातों का विचार किया गया है, ऐसा वित्तमंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया है। तथा मानवता की दृष्टिकोण से भारत ने बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी के लिए बड़े पैमाने पर मदद भेजी थी। इस बात पर वित्तमंत्री जेटली ने ध्यान केंद्रित किया है।

पिछले कई दिनों से रोहिंग्या शरणार्थियों ने भारत में आश्रय मिले ऐसी मांग कई बुद्धिमान विश्लेषक कर रहे हैं। साथ ही कुछ राजकीय पक्ष एवं नेताओं ने इस बात पर समर्थन व्यक्त किया है। अपने देश की महान परंपरा ध्यान में रखते हुए रोहिंग्या को मानवता की दृष्टिकोण से आश्रय देना चाहिए। शरणार्थियों को आश्रय से इंकार करना मतलब संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों को एवं मानव अधिकारों का उल्लंघन होगा, ऐसा दावा इन सभी लोगों ने किया है। तथा रोहिंग्या शरणार्थियों से खतरा होने की बात भी कुछ विश्लेषकों ने रेखांकित की है।

देश में हुए हमलों के पीछे रोहिंग्या का हाथ होने की जानकारी इससे पहले सामने आई थी। तथा जम्मू कश्मीर जैसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से संवेदनशील बने राज्य में हजारों रोहिंग्या अवैध रूप से बसने जैसी चौका देने वाली बात भी इस निमित्त से सामने आयी है। जम्मू-कश्मीर से हैदराबाद जैसे शहरों तक रोहिंग्या शरणार्थी घुसपैठ कैसा कर सकते हैं? यह प्रश्न पूछा जा रहा है और उस पर चिंता व्यक्त की जा रही।

साथ ही रोहिंग्या शरणार्थी का पाकिस्तान के कुविख्यात गुप्तचर संगठन ‘आयएसआय’ तथा अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन ‘आयएस’ से संबंध होने की जानकारी गुप्तचर विभाग ने दि थी। इस वजह से रोहिंग्या शरणार्थी का प्रश्न सीधा राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा जा रहा है और अब वह अधिक जटिल होने की बात दिखाई दे रही है। इस बारे में केंद्र सरकार कोई भी जोखिम उठाने के लिए तैयार न होने की बात स्पष्ट है। कुछ दिनों पहले बांग्लादेश में जन्मे और ब्रिटिश नागरिकत्व प्राप्त व्यक्ति को नई दिल्ली में गिरफ्तार किया गया, जो आतंकवादी होने की बात बाद में स्पष्ट हुई है।

रोहिंग्या शरणार्थियों के झुंड की मदद से वह भारत में घुसा था और रोहिंग्या को आतंकी प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी इस आतंकी पर थी। इस प्रकार की घटना सामने आने के बाद रोहिंग्या शरणार्थियों के बारे में सरकार की भूमिका अब अत्यंत महत्वपूर्ण हो रही है।

दौरान, कुछ रोहिंग्या शरणार्थी सागरी मार्ग से भारत में दाखिल होने का प्रयत्न कर रहे हैं, यह ख़बर गुप्तचर संगठन ने दी है। गुप्तचर अहवाल के अनुसार रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश से लगे सागरी मार्ग से या म्यानमार से अंदमान निकोबार के मार्ग से भारत में घुसपैठ कर सकते हैं। इस पृष्ठभूमि पर भारत की सागरी सीमा, नौदल तथा तटरक्षक दल ने बंद कि हैं। साथ ही सागरी गश्ती बढ़ाई गई है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ तथा मानव अधिकार संगठन भी भारत रोहिंग्या शरणार्थियों को बाहर न खदेड़े यह मांग कर रहे हैं। भारत मानवतावादी दृष्टिकोण से इस समस्या को सुलझाएं, यह मांग संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव गुंटेरस ने किया है। इस पर प्रतिक्रिया देते वक्त वैध रूप से भारत में प्रवेश किए शरणार्थियों को योग्य सहायता दी जाएगी, ऐसा स्पष्ट किया है। पर अवैध रुप से शरणार्थियों को भारत में रहने का अधिकार नहीं है, यह भी भूमिका भारत के केंद्र सरकार ने स्पष्ट की है।

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