रक्षा क्षेत्र में आयात कम करके निर्यात बढ़ाई जाएगी – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग की घोषणा

बंगळुरू – सन २०२२ तक रक्षा क्षेत्र में देश की आयात २ अरब डॉलर से कम करने का लक्ष्य सरकार ने सामने रखा है। इसके लिए रक्षा सामग्री के देशांतर्गत उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सन २०१६ से २०१९ इस दौर में रक्षाविषयक सामग्री का निर्माण करने वाले ३७ अरब डॉलर्स के १३७ प्रोजेक्ट्स को मंज़ुरी दी गई है। यदि सन २०२५ तक देश के रक्षा विषयक उत्पादन को २५ अरब तक और उसकी निर्यात को ५ अरब डॉलर तक ले जाना है, तो उसमें देश के एरोस्पेस उद्योग को अहम भूमिका निभानी पड़ेगी, ऐसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने कहा है।

बंगळुरू में आयोजित किए गए ‘एरो इंडिया’ का समापन समारोह संपन्न हुआ। इस समय बात करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने यह जानकारी दी। इसमें सरकार ने १२८ सामंजस्य समझौते किए होकर, तंत्रज्ञान के हस्तांतरण के १९ समझौते संपन्न हुए हैं। साथ ही, एरो इंडिया में १८ नये उत्पादन प्रदर्शित किये गए और ३२ अहम घोषणाएं की गई हैं। इस साल ४५ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगक्षेत्र की कंपनियां एरो इंडिया में शामिल हुईं। इनमें से २१ कंपनियों को २०३ करोड रुपयों के कॉन्ट्रैक्ट भी मिले हैं। यह एरो इंडिया ने हासिल की बहुत बड़ी कामयाबी साबित होती है, ऐसा कहकर रक्षा मंत्री ने उस पर संतोष जाहिर किया।

फिलहाल ११ अरब डॉलर पर होने वाली, देश के रक्षा क्षेत्र से जुड़े उद्योग की व्याप्ति सन २०२५ तक २५ अरब डॉलर्स पर ले जाने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने अपने सामने रखा है। सन २०२५ तक देश की रक्षा विषयक निर्यात लगभग ५ लाख डॉलर्स पर ले जाने का लक्ष्य भी सरकार के सामने है, यह रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया । इस मोरचे पर देश का एरोस्पेस उद्योग बहुत बड़ा योगदान दे सकता है, ऐसा विश्वास रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने व्यक्त किया। एक ही दिन पहले रक्षा मंत्री ने ‘इंडियन ओशन रिजन-आयओआर’ क्षेत्र के देशों को हथियारों की सप्लाई करने के लिए भारत तैयार होने की घोषणा की थी।

स्वदेशी बनावट के ‘तेजस’ लड़ाकू विमान की खरीद के लिए कुछ देश उत्सुकता दर्शा रहे हैं, यह भी रक्षा मंत्री ने हाल ही में कहा था। वहीं, भारत ३०९ करोड़ रुपये क़ीमत में तेजस की निर्यात करने की सोच रहा है, ऐसा एचएएल के अध्यक्ष आर. माधवन ने कहा है। आग्नेय एशियाई और खाड़ी क्षेत्र के देशों द्वारा तेजस के बारे में उत्सुकता दर्शाई जा रही है; ऐसे में एचएएल के प्रमुख ने किया यह बयान बहुत महत्वपूर्ण साबित होता है।

इसी बीच, एरो इंडिया के उपलक्ष्य में रक्षा सामग्री निर्माण क्षेत्र में अमरीका की एक अग्रसर कंपनी और एचएएल के बीच सामंजस्य समझौता संपन्न हुआ है। इससे नए अवसर और सहयोग के नए दालान खुलेंगे, ऐसा लॉक्हीड मार्टिन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है। वहीं, अमरीका की बोईंग कंपनी ने भारतीय नौसेना के पी-८आय विमानों की देखभाल के लिए सहयोग समझौता किया होने की बात सामने आई है।

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