अर्थव्यवस्था संकट में होने के बावजूद जर्मन सरकार ने शरणार्थियों के लिए २३ अरब युरो खर्च किए

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरबर्लिन – ‘शरणार्थियों के लिए सरकार ने किया खर्च यानी जर्मन नागरिकों की मेहनत पर दी हुई महंगी ‘वेलकम पार्टी’ है, यही कहना होगा’, इस कडे शब्दों में जर्मनी की विपक्षी नेता एलिस वीडेल इन्होंने जर्मन सरकार की आलोचना की है| जर्मन अर्थव्यवस्था संकट के साए में होते हुए सरकार ने शरणार्थियों के लिए २३ अरब युरो का विक्रमी खर्च किया है, यह जानकारी सामने आ रही है| इस खर्च का सत्ता पक्ष ने समर्थन किया है, फिर भी विपक्षी और जनता इस खर्च को लेकर कडी नाराजगी व्यक्त कर रही है|

वर्ष २०१५ में जर्मनी की चान्सेलर एंजेला मर्केल इन्होंने शरणार्थियों के लिए देश की सीमा खुली रखी है, यह कहकर शरणार्थियों का स्वागत करने का रवैया अपनाया था| चान्सेलर मर्केल इनके इस निर्णय पर यूरोप से कडी प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है| महासंघ के कई देशों ने जर्मनी की इस घोषणा पर कडी आपत्ति जताकर शरणार्थियों को प्रवेश करने पर पाबंदी लगाई है| शरणार्थियों के झुंडों ने घुसपैठ करने से कई देशों को अगले ही कुछ वर्षों में कई सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पडा है और यह देश अभी भी इस स्थिति सें बाहर निकल नही सके है|

चान्सेलर मर्केल इन्होंने की घोषणा के बाद करीबन १५ लाख से भी अधिक अवैध शरणार्थियों ने जर्मनी में घुसपैठ करने की जानकारी सामने आ रही है| इन शरणार्थियों के झुंडों के कारण जर्मनी की सुरक्षा व्यवस्था के साथ अन्य कई सरकारी यंत्रणाओं पर बडी मात्रा में दबाव बना है और स्थानिय जनता को बडी समस्याओं का सामना करना पड रहा है| जर्मनी ने काफी खर्च करके शरणार्थियों के लिए कई प्रावधान किए है| इस वजह से अन्य विभागों के खर्च में कटौती करने की बात उजागर हुई थी|

वर्ष २०१७ में जर्मन सरकार ने शरणार्थियों के लिए करीबन २० अरब युरो खर्च किए थे| वर्ष २०१८ में इस खर्चे में ११ प्रतिशत बढोतरी हुई और इस दौरान जर्मन सरकार ने २३ अरब युरो की रकम शरणार्थियों के लिए खर्च की| ऐसे में स्थानिय जनता के मन में बने असंतोष के कारण राजनयिक झटका लगने के बावजूद मर्केल की सरकार ने शरणार्थियों पर किया खर्च ध्यान आकर्षित कर रहा है| इसमें शरणार्थियों को यूरोप के बाहर रखने के लिए करीबन आठ अरब युरो खर्च करने का दावा भी किया गया है|

इस वर्ष जर्मनी की अर्थव्यवस्था मंदी के साए में है और उत्पाद क्षेत्र को झटका लगने के संकेत प्राप्त हुए है| अर्थव्यवस्था का यह संकट जर्मनी के लिए चेतावनी की घडी साबित हो रही है| ऐसा होते हुए अर्थव्यवस्था संभालने के लिए जरूरी प्रावधान करने के बजाए जर्मन सरकार शरणार्थियों पर अरबों युरो खर्च कर रही है|

इस वजह से पहले ही लोकप्रियता में गिरावट हो रही चान्सेलर मर्केल की प्रतिमा अब और भी गिरने के संकेत प्राप्त हो रहे है|

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